मतवाला
मतवाला
महेश भैया, हमारे महेश भैया हमारी बचपन की सखी के भाई थे। फिर भी हमारे अपने सगे से भाई से भी सगे भाई थे। कुछ भी जीवन में घटे हर जगह महेश भैया, जितनी भी तारीफ करूँ कम है।
महेश भैया के मन के आंगन में कब आकर सविता छा गयी पता ही नहीं चला। महेश भैया, किसी को कोई कभी चाह ही नहीं सकता उतना चाह बैठे, पर दोनो की हैसियत में जमीन असमान का अंतर का था। सविता भाभी के पिता ने सविता भाभी का विवाह दहेज के लोभी परिवार में कर दिया। महेश भैया खामोश हो गये बस तूफान के पहले की खामोशी में खो गये।
उधर सविता भाभी को ससुराल वालों ने मार डाला। इधर महेश पागल हो गये। जंजीरो से बांध कर रखा जाता है उनको, वह एकदम से मतवाला बन गये। हमारा भाई कहीं खो गया। पता नहीं सविता भाभी के पिता को क्या मिला, पर हमने अपना भाई खो दिया।