मत्तूर गांव’
मत्तूर गांव’


मत्तूर गांव’ कर्नाटक की राजधानी बंगलुरू से करीब 300 किमी दूर बसा है। इस गांव की विशेषता येेह है कि यहां के निवासी आम बोल-चाल की भाषा में कन्नड़ नहीं संस्कृत का प्रयोग करते हैं। यहां बच्चे, बुजुर्ग, हिंदू, मुुसलमान सभी आपस में संस्कृत भाषा में ही बात करते हैं। 10 साल की उम्र में ही बच्चों को वेदों का ज्ञान दे दिया जाता है। यहां के गांववाले बताते हैं कि करीब 600 साल पहले केरल के संकेथी ब्राह्मण समुदाय के लोग यहां आकर बस गए थे।
तब से यहां संस्कृत ही बोली जाने लगी। हालांकि बाद में यहां के लोग कन्नड़ भाषा बोलने लगे थे। लेकिन 35-40 साल पहले पेजावर मठ के स्वामी ने इसे संस्कृत भाषी गांव बनाने का आह्वान किया। जिसके बाद मात्र 10 दिनों तक रोज 2 घंटे के अभ्यास से पूरा गांव संस्कृत में बात करने लगा। मत्तूर गांव में 500 से ज्यादा परिवार रहते हैं, जिनकी संख्या तकरीबन 3500 के आसपास है।
वहीं मध्य प्रदेश में भी एक गांव है जहां हर कोई केवल संस्कृत में बातचीत करता है। यह गांव है राजगढ़ जिले का झिरी गांव। एक हजार की आबादी वाले इस गांव में 70 फिसदी लोग संस्कृत में बात करते हैं। झिरी के लोगों के अनुसार उनके गांव का नाम कर्नाटक के मत्तूर गांव से पहले आना चाहिए, क्योंकि मत्तूर में 80 फीसदी आबादी ब्राह्मणों की है, जिन्हें संस्कृत विरासत में मिली है। वहीं झिरी में केवल एक ब्राह्मण परिवार है और बाकी क्षत्रिय और अनुसूचित जाति के लोग हैं जो आपस में संस्कृत में बातचीत करते हैं।