मरजावां
मरजावां
मैं आपके लिए लेकर आया हूँ एक बहुत ही अनोखी कहानी-मरजावां। इस कहानी की शुरुआत होती है दिल्ली के मल्होत्रा मेंशन से।
मल्होत्रा मेंशन में सविता मल्होत्रा नाम की महिला दिखाई देती है जिसका ये घर है।
आदित्य:" ताई जी मैं तो यहां हूँ।बाकी सब का मुझे पता नहीं।"
(आदित्य सविता का भतीजा मतलब उसके देवर का बेटा है)
सविता: "पर तुम्हारी माँ के बारे में तो पता होगा तुम्हें?कहाँ है कविता?"
आदित्य: "हाँ वो पता है।कविता तैयार हो रही है।"
सविता:" क्या?"
आदित्य: "मेरा मतलब मेरी मम्मा तैयार हो रही हैं।"
सविता:" इतनी देर हो गई वो अभी तैयार नहीं हुई।"
आदित्य: "अरे ताई जी आपको पता है ना कि वो अपने आप को किसी सल्तनत की राजकुमारी समझती हैं और राजकुमारियों को तैयार होने में टाइम तो लगता है ना।"
सविता: "ए!माँ है तुम्हारी ऐसे नहीं बोलते।"
आदित्य: "यही तो परेशानी है कि वो मेरी माँ हैं।अब देख लो मेरी बहन अदिति को वो भी तो लड़की है उसे तो कभी इतना टाइम नहीं लगता।"
सविता: "मतलब वो तैयार हो गई?"
आदित्य:"हाँ वो तो कबकी तैयार हो गई।"
सविता: "तो अब वो कर क्या रही है?"
आदित्य: "अरे अब वो आपके प्यारे और लाड़ले बेटे सुकृत भैया के कपड़े सिलेक्ट कर रही है।"
सविता: "क्या?सुकृत अभी तैयार नहीं हुआ?"
आदित्य: "अरे अदिति खुद तो तैयार हो गई पर भैया को तैयार होने ही नहीं दे रही है।"
सविता: "क्यों?"
आदित्य: "वो कह रही है कि भैया ने ये सभी कपड़े तो पहने हैं।इसलिए आज कोई नये और स्पेशल कपड़े ही पहनेंगे भैया।"
सविता(हंसते हुए):" क्या?"
आदित्य: "हाँ और नही तो क्या..."
अदिति: "ताई जी!"
(अदिति सविता की भतीजी और आदित्य की बहन है)
अदिति: "ताई जी!देखिये ना भैया के पास कोई भी अच्छे कपड़े बचे ही नहीं हैं।सब पुराने हो गए हैं।"
सविता: "अरे बेटा ये तो तो सुकृत ने एक बार ही पहना है।"
अदिति: "अरे तो!आज भैया के लिए बहुत खास दिन है इसलिए आज वो कोई स्पेशल कपड़े ही पहनेंगे।और वैसे इतनी बड़ी कंपनी के मालिक हैं वो।तो वो ऐसे कपड़े पहनेंगे तो सब क्या बोलेंगे?"
सविता:" अरे पर...."
अदिति: "नहीं...नहीं...नहीं...भैया ये कपड़े नहीं पहनेंगे।"
सुकृत: "अदिति!"
(सुकृत सविता का बेटा है)
सुकृत: "तो तू ही बता मैं क्या पहनूँ फिर?"
अदिति: "अरे भैया आप उसकी चिंता मत करो।मैंने आपके लिए एकदम नए और स्पेशल कपड़े ऑर्डर कर दिए हैं।वो बस आते ही होंगे।"
