मृग मरीचिका
मृग मरीचिका
यह क्या कह रही हो रिया हम दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं। कहते कहते यश की जुबान लड़खड़ा सी गई।
लेकिन रिया बिल्कुल पत्थर की मूर्ति बनी बैठी रही। आप नहीं ममिस्टर यश मैं आपसे बहुत प्यार करते थी आप तो सिर्फ मुझे पाना चाहते थे। यह बताइए अगर आपको मुझसे प्यार था तो आपने क्यों मेरा साथ नहीं दिया। जब कभी मुझे आपकी जरूरत महसूस हुई मैं आपको मैसेज भेजती थी लेकिन आपने कभी उनका उत्तर नहीं दिया हां आपको तो बस यही लगता था मैं आप का फायदा उठाना चाहती हूं। आप मेरे बॉस जो हैं । लेकिन हर बार आप को समझा समझा कर थक गई थी कब लिया कोई फायदा सोच कर बताइये। आपने मेरे साथ देना तो दूर कभी-कभी परेशानी मैं पूछे गए सवाल का भी जवाब देना जरूरी नहीं समझा, हां जब मेरा एक्सीडेंट हुआ तब भी आपने ना तो मुझे देखना और ना ही मेरा हाल चाल लेना उचित समझा। मैं जियूँ या मरूँ उससे आपको क्या और सच मैं बताइये क्या मेरी जगह आपका कोई दोस्त होता तो क्या आप अपने दोस्तों को देखने न जाते मैं तो आपका प्यार थी। एक्सीडेंट के बाद ही मुझे यह समझ आया कि आप मेरे लिए मृग मरीचिका की तरह जो दूर से रेगिस्तान में प्यासी व्यक्ति को जल का एहसास कराती है लेकिन वह पानी नहीं होता ।है वह तो एक भ्रम होता है ।तो ठीक उसी प्रकार आपका प्यार प्यार ना होकर सिर्फ एक भ्रम है मैं इस मृगमरीचिका में आपके साथ नहीं रहना चाहती हूं।
आप जा सकते है मिस्टर यश.... गुड बाई।