पुरस्कार
पुरस्कार
देखा आपने कैसे सोशल मीडिया पर चारों तरफ उसकी तस्वीरें है पुरस्कार लेते हुए। आपको गुस्सा नहीं आ रहा है,जबकि सबको पता है यह आप ही का आइडिया और मेहनत थी। कैसे धोखा दिया उसने आपको और आप -आप तो अपनी महानता की तस्वीर पेश कर रहे हैं। आप उस पर गुस्सा करने की बजाय उसे खुद बधाई दे रहे हैं। सत्यम बाबू लगातार राधेश्याम पर चिल्लाये जा रहे थे और राधे श्याम बाबू बिना किसी प्रतिक्रिया के चुपचाप सुने जा रहे थे।
यह जानते हुए की आपकी सारी मेहनत थी और उसने सब कुछ अपने नाम से पोस्ट करके पुरस्कार हासिल कर लिया ,आपको गुस्सा नही आ रहा कैसे हैं आप? इतना सीधा होना भी आजकल के जमाने में बेवकूफी है, इतनी देर से मैं ही बोले जा रहा हूं आप तो मौन धारण किए हुए बैठे है , कुछ बोलते क्यों नहीं है आप।
नहीं मुझे गुस्सा नहीं आ रहा है बल्कि थोड़ा दुख हो रहा है उसके लिए ….। मैंने तो केवल थोड़े दिन की मेहनत खोई जो मैं दोबारा कर सकता हूँ, पर उसने धोखा देकर एक अच्छा दोस्त और उसके विश्वास को खोया है जो उसे कभी नहीं मिलेगा।
पुरस्कार पाना भाग्य है तो अच्छा मित्र मिलना सौभाग्य है जो आपका हमेशा साथ देते हैं। छल कपट से हासिल किये पुरस्कार से क्षणिक खुशी होगी जबकि एक अच्छे मित्र और उसके विश्वास से जीवन हमेशा खुशियों से भर जाता है । मेरे साथ आप जैसे मित्र और उसका निश्छल प्रेम और विश्वास है , क्या इससे बड़ा कोई पुरस्कार हो सकता है, तो बताइए सुखी कौन, खुश कौन? सत्येंद्र बाबू अवाक होकर राधेश्याम जी की बातें सुनते रहे।