Shobhit शोभित

Drama Tragedy

5.0  

Shobhit शोभित

Drama Tragedy

मोनिरा

मोनिरा

3 mins
830


राज और मोनिका एक दूसरे को बहुत पसंद करते थे। पूरा कॉलेज ये बात जानता था हालाँकि उनके घर में किसी को यह पता नहीं था।

दोनों ने निश्चय किया था कि दिवाली के मौके पर परिवार साथ होगा और वो अपने-अपने घर एक-दूसरे के बारे में बताएँगे। उनका अपने घर बताना था और जैसे कोई भूकंप सा आ गया मानों हिरोशिमा और नागासाकी की जगह बम उनके घरों पर गिरे थे। वो जिस काम को इतना आसान समझ रहे थे वो तो जैसे असंभव था उनके परिवारों के लिए।

राज का परिवार बहुत बड़े दहेज़ की उम्मीद लगाये था और मोनिका ने इस बारे में साफ़ मना कर दिया था।

राज का परिवार जन्मपत्री वगैरह को बहुत मानता था, राज ने यह सोचकर मोनिका की जन्मतिथि, समय इत्यादि परिवार को दिया कि अगर जन्मपत्री मिल गयी तो शायद परिवार तैयार हो जाए। वो देना तो और मुसीबत हो गया। मोनिका की उम्र राज से 6 महीने ज्यादा थी और यह सबसे बड़ा खोट माना राज के परिवार ने। कोई लड़की कैसे अपने पति से बड़ी उम्र की हो सकती है ! और ऊपर से पण्डित जी ने मोनिका की कुण्डली में मंगल दोष भी बता दिया था।

कहीं सुना था “अगर आप किसी को शिद्दत से चाहो तो पूरी कायनात आपको उससे मिलाने में लग जाती है” पर लगता था, ‘मोरा’ के मामले में इसका उल्टा था, पूरी कायनात लगी हुई थी कि वो न मिले।

राज के परिवार में उसके दादा जी की तबियत ख़राब हो गयी थी और राज का परिवार इसमें मोनिका के अपशकुनी पैरों को दोषी मान रहा था जो उनकी ज़िन्दगी में आ गए थे।

कोई 4 महीने उन्होंने अपने परिवारों को मनाने में लगाया था पर वो नहीं मान रहे थे। इधर राज और मोनिका भी एक-दुसरे के बिना रह नहीं पा रहे थे तो उन्होंने परिवारों की इच्छा के विपरीत और भरपूर विरोध के बावजूद कोर्ट मैरिज कर ली थी। दोनों के परिवारों ने उनको अपना चेहरा ज़िन्दगी में दोबारा दिखाने से मना किया था।

आज कोई 4 साल हो चुके हैं इस बात को, दोनों एक-दूसरे के साथ बहुत खुश थे और ज़िन्दगी में भरपूर तरक्की कर चुके थे। इस बीच उन्होंने परिवार से अलग रहते हुए भी घर के सभी सामान्य संस्कारों का पालन किया था और समय समय पर अपना समाचार भेजते रहते थे। हैशटैग ‘मोरा’ भी ख़ूब ट्रेंडिंग हो चुका था। एक शानदार उदाहरण बन चुका था।

तीन महीने पहले ही उन्होंने एक सुंदर सी लड़की को जन्म दिया था और उसके नामकरण में दोनों के परिवार से कुछ सदस्य आये थे और यह दिखा रहा था कि उनके परिवार से रिश्तों पर जमी बर्फ़ अब पिघल चुकी थी।

आख़िर उनका प्यार आज समाज के अंधविश्वासों से जीत गया था।


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