मोहनजोदड़ो की ' डांसिंग गर्ल'
मोहनजोदड़ो की ' डांसिंग गर्ल'
आप में से कई लोगों ने साल 2016 में आई फिल्म मोहनजोदड़ो जरुर देखी होगी। सिंधु घाटी सभ्यता पर आधारित इस फिल्म में कई रोमांचक दृश्य थे। फिल्म के अंतिम भाग में, बाढ़ वाले दृश्य में एक मूर्ति को पानी के अंदर जाते दिखाया गया है। क्या आपने जानने की कोशिश की कि वह मूर्ति किसकी थी और उसे फिल्म में खास अहमियत क्यों दी गई ? मुझे पता है बहुत कम ही लोगों के मन में ऐसा कुछ ख्याल आया होगा। इसलिए आज बात करते हैं डांसिंग गर्ल की। जी हाँ! ठीक पढ़ा आपने। मोहनजोदड़ो से वर्ष 1926 में प्राप्त इस कांस्य की मूर्ति को इतिहासकार जॉन मार्शल ने डांसिंग गर्ल का नाम दिया था।
राष्ट्रीय संग्रहालय, नई दिल्ली में रखी कांस्य की यह छोटी सी मूर्ति एक निर्वस्त्र महिला की है, जिसे देखकर सर्वप्रथम नृत्य मुद्रा का ख्याल आता है। इसलिए जॉन मार्शल ने इसे डांसिंग गर्ल का नाम दिया
था। लेकिन यह एक अनुमान मात्र है। पूरे विश्वास के साथ इस बात को नहीं कहा जा सकता कि इस मूर्ति का नृत्य से कोई संबंध है भी या नहीं। मूर्ति के दोनों हाथ सामान्य हाथों से अधिक लंबे हैं और बाएँ हाथ में चौबीस-पच्चीस चूड़ियाँ ऊपर तक है। गले में एक हार भी है। फिल्म में मूर्ति वाले दृश्य को देखकर आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते कि इसकी लंबाई मात्र 10 से.मी. से थोड़ी ही अधिक होगी।
लॉस्ट वैक्स मेथड से बनी इस मूर्ति को खुदाई के वक्त मोहनजोदड़ो से प्राप्त किया गया था, जोकि बँटवारे के बाद पाकिस्तान के हिस्से चला गया। इसी कारण सिंधु घाटी सभ्यता की इस सांस्कृतिक कलाकृति पर पाकिस्तान के भी कुछ लोग अपने मुल्क का हक बताते हैं। वर्ष 2016 में भी एक पाकिस्तानी वकिल ने लाहौर उच्य न्यायालय से गुहार लगाई थी कि वह पाकिस्तानी सरकार को भारत से मूर्ति वापस लाने की दिशा में कदम उठाने को कहे।