मोहन के आंसू

मोहन के आंसू

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मोहन यह क्या तुम तो रहे हो। तुम लड़के होकर रो रहे हो।

फिर वही बात,

मोहन सोच रहा था मैं परेशान हो गया हूं यह सब सुनकर, क्या मैं लड़का हूँ तो रो नहीं सकता। क्यों मुझे अपनी फिलिंग नहीं बताना चाहिये।

मोहन एक सीधा साधा लड़का था मगर इमोशनल था वह कोई पिक्चर देखकर या किसी का दुख देखकर उसे रोना आ जाता था और लोग उसे चिढ़ाते थे। कोई कन्या राशि तो कोई रोतलु कहते थे। उसने कितनी बार कोशिश की कि वह नहीं रोये मगर सफल न हो पाया।

अब उसने अपने रोने पर कंट्रोल कर ही लिया। बिल्कुल न्यूट्रल हो गया। अब फ़िल्म देखकर भी उसे रोना नहीं आता। उसने लोगों के लिये खुद को बदल लिया।

माँ अर्थी पर लेटी थी और मोहन फूट फूट कर रो रहा था। हम सच्ची फिलिंग को कंट्रोल नहीं कर सकते और हाँ लड़के भी रोते हैं।


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