मोहब्बत
मोहब्बत
तुम रख सको इश्क़ जिंदा, तो ही मोहब्बत करना।
याद करे हमको जमाना, तुम ऐसी मोहब्बत करना।।
तुम औरत की खामोशी का, यू मजाक मत बना देना।
बता सको हमें जिंदगी, तुम ऐसी मोहब्बत करना।।
हमें अपनाकर यू बेवजह, कभी जमाने से मत डरना।
कह सको हमको अपना, तुम ऐसी मोहब्बत करना।।
मेरे जिस्म को नहीं, मेरी रूह को अपना समझ सको।
फिर हमसे वादा करना , तुम ऐसी मोहब्बत करना।।
जख्मों को शब्दों में न लिखते , तो कब के मर गए होते।
फिर किससे कहते वरना , तुम ऐसी मोहब्बत करना।।
इस जिस्म से खेल लेना, वफाओं का सबूत नहीं होता।
मुझे बचा सको कायनात से, तुम ऐसी मोहब्बत करना।।
कभी शिकायत हो तुझको , इस रूप से मेरे "स्वरूप" से।
इम्तिहाँ लेना फिर कहना, के तुम ऐसी मोहब्बत करना।।
रूह-आत्मा क़ायनात-जमाना
