अहंकार
अहंकार
गोलू जब भी मोनू को देखता अपने दोस्तों को कहा करता-किसी जमाने मे मोनू बहुत पैसे वाला था मगर इसकी-दारू पीने की आदत और अहंकार ने आज इसे इस मुकामपर ला दिया कि ये हर किसी से पव्वे के पैसे मांगता रहता है ऐसे निर्लज व्यक्ति को चुल्लु भर पानी मे डूब मरना चाहिए ।इस प्रकार लोग उसकी हँसी उड़ाया करते थे।गोलू ने अपनी मेहनत से अच्छा व्यवहार बना लिया था । करीब सर्वसम्पन्न था । अपने वर्चस्व के कारण दस-बीस कोस में अपना नाम कमा लिया था । कई जगह काम चला करता था , दस बीस लोग भी काम किया करते थे ।मगर बहुत पुरानी एक कहावत हैं - परिवर्तन संसार का नियम हैं .... बदलते जमाने ओर माहौल के साथ अब गोलू भी कभी कभार यार दोस्तों के साथ पी लिया करता था ,गोलू को संगीत का बड़ा शौक था , जब भी पीता संगीतजरूर सुनता ..। मजदूरों को पैसे तो देता था मगर भैरूजी के प्रसाद चढ़ाना पड़ेगा ऐसा कहकर सो दो सौ कम कर देता । सिलसिला जारी रहा ।धीरे धीरे अहंकार ने गोलू को भी अपने जाल में जकड़ लिया । एकबार किसी ने कोई काम ले लिया जब गोलू को पता चला तो आग बबूला होकर उसके साथ मारपीट भी कर दी । अब उसका डर भी हो गया । धीरे धीरे रोज पीने की लत ने उसे शराबी बना दिया । मजदुरो को कहता - मैं तो तुम्हारे लिए काम ढूढता हूँ , वरना मुझे जरूरत है ही नहीं । ये बात माना व नारायण को बुरी लगी , उन्होंने काम करना बंद कर दिया । ओर मजदूर भी समझने लगे । धीरे धीरे विरोध शुरू होने लगा ।अब बीस बीस की जगह दो-चार ही काम करने लगे ।
पचास लाख महीना कमाने वाला आधे से भी कम में संतोष करना पड़ रहा था । जब हालात कुछ बिगड़ने लगेंतो साहूकारों से लोन लेने लगा । मगर साहूकार भी रसीले थे । सुबह सुबह पीकर मदद करते । आखिर वक़्त किस का गुलाम होता हैं । आज करीब 20 वर्ष बाद गोलू पूरे शहर में शराबी के नाम से प्रसिद्ध हो गया था । अरसों बाद किसी सिलसिले में माना व नारायण से मुलाक़ात हो गई ।साथ कुछ वक्त गुजारा तो माना व नारायण को पता चला
की ये अभी भी बिगड़ा हुआ हैं और सुधरने का कोई नाम नहीं । दोनों को अहसास हो गया था रस्सी जल गई मगर अभी तक बल नहीं गया । क्यों कि उसका अहंकार अभी भी नहीं मरा था । लेकिन जो कभी किसी की मजाक उड़ाया करता था आज वो खुद उसी मुकाम पर है ।
किसी ओर ने नहीं उसके अहंकार ने इस मुकाम पर ला दिया है...…....
