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AMIT SAGAR

Drama

4.8  

AMIT SAGAR

Drama

मोदी‌ जी की दावत

मोदी‌ जी की दावत

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चुनाव आते ही सारे करोड़पति नेताओ को सिर्फ और सिर्फ झुग्गियों और झोंपडियों में, रहने वाले गरिबो के घर का खाना ही पचता है। पर कितने सीधे होते है यह नेता जिन्हे यह भी नही पता होता कि जिस गरीब के घर वो खाना खाने जाते हैं , वो तो खुद बैचारा हर दुसरे दिन आधे पेट खाकर गुजारा करता है। अरे अगर इस गरिब के पास दावत खिलाने के लियें पैसे होते तो बरात में चार आदमियों को बुलाकर अपनी बेटी का व्याह ना कर देता एक दावत की इज्जत के कारण ही तो बैचारे ने अपनी व्याहने लायक बेटी को घर में बिठाल रखा है।

अरे उस गरीब के पास तो इतनी भी धन दौलत नहीं साहेब कि जिस करोड़ रुपय की गाड़ी में आप बैठकर आये हो उसके एक पहियें में हवा भी भरवा सके, और आप दावत की बात करते हो। खैर अब नैता जी को शौक लगा है गरीब के घर दावत खाने का तो वो शौक तो पूरा करना ही पड़ेगा, हाँ वो ओर बात है कि साहब के लियें सब कुछ किसी फाइव स्टार होटल से शुद्ध देसी घी में तला भुना पार्सल में आयेगा, जिसे नेता जी उस गरीब के घर एक फटी हुई दरी पर बैठकर खायेंगे। अपने ही घर में नेता जी को शुद्ध देसी घी की दावत खाते देख बेचारे गारीब के मुँह मे पानी तो बहुत आता है, पर वो सारा पानी उम्मीदो की नालियों से गुजरता हुआ निराशा के गटर में गिर जाता है। अपने ही घर मे खाने की खुश्बु के अतिरिक्त बेचारे गरीब को और कुछ ना मिल पाता। पर  नेता जी की नजरो मे इस नाटक से फायदा तो उस गरीब को ही हुआ है अरे हमने उस गरीब को उन व्यंजनो के दर्शन भी करा दिये जिनके बारे में इसने कभी सुना भी ना होगा और अगर हमारे पेट से बच जाता तो हम वो व्यंजन इसे खिला भी देते और जरा सोचो कितना मान सम्मान दिया है हमने उस गरीब को मात्र एक वोट के लियें, अरे इसके एक वोट से थोड़ी ना हम जीत जायेंगे।

तो भैया यह थी नेता जी की सोच जिस में गरीब के लियें मात्र बेरुखि और निरादरता थी पर भईया हम ठेहरे मुर्ख लोग हमें क्या पता खाना कहाँ से आया है और कौन लाया है हमारे पुराने धुंदले से टी.वी.मे तो शाही पनीर भी सोया बीन की सस्ती वाली बरी नजर आती है और यही बात हमें न्यूज वाले भी बताते है, वैसे भी हमें तो जो न्यूज पर दिखाया जाता है वही सच लगता है। और उसी दिखावे के तवे पर हम भी अपनी ख्वाहिशों की रोटी सैंकने का सपना देखने लगते है।

तो इस बार हमारे मन और हमारे मन के प्रतिबिम्ब ने भी किसी नेता जी को दावत पर बुलाने का मन ही मन विचार बनाया है।

पर कौन से नेता जी, क्या मोदी जी, हाँ मोदी जी।

अरे उनसे बेहतर और कौन हो सकता है। पर वो हमारे यहाँ क्यो आने लगे। अरे क्यो नहीं आयेंगे जब उनसे बड़े बड़े महान नेता उस घर में खाना खा सकते हैं जहाँ बैठने को फटी दरी मिलती है, तो हमारे यहाँ तो फिर भी कुर्सियाँ है। वो बात ओर है कि उनकी टांगे पुरानी होने के कारण डगमगा जाती हैं और चुरमुर चुरमुर बोलती हैं , पर बात खाली कुर्सियों की नही हैं, अरे हम जिस मोहल्ले में रहते हैं वहाँ तो दुसरे मोहल्ले की गली का सडा़ कुत्ता भी यहाँ मूतने तक नहीं आता और हम मोदी जी जैंसे महान नेता को उस मोहल्ले में दावत खिलाने का सपना दैख रहें है।

मोहल्ला गन्दा है तो क्या हुअा अरे सिर्फ एक दो घण्टे की तो बात है, अरे जिस गन्दगी में हम पिछले दस साल से रह रहे हैं क्या मोदी जी वहाँ एक घण्टा भी नहीं गुजार सकते। गुजार सकते है पर यहा के रास्ते तो देखो कितने गड्डे हैं इन रास्तो पर, और जगह जगह नाली की कीँचड़ और घर का कूढ़ा पडा़ रहता है सड़को पर, अरे हमारे जैंसे जवान जुआन आदमी की कमर  बल खा जाये इन रास्तो पर, मोदी जी तो वैसे भी उमरदराज हैं, नही नहीं मैं मोदी जी को इतने कष्ट नहीं दे सकता। अरे कष्ट काहे का  एक ही तो महान नेता बचे हैं इस देश में जिन्होने सारी दुनिया में हमारे देश का परचम लहराया है। जो देश की सेवा में तत्पर तैयार रहते हैं और जो नेता इतनी उम्र में भी इतनी मेहनत करता हो उसका कोई कष्ट क्या बिगाड़ लेगा। और वैसे भी वो हमारी तरह गरीब थोडी़ ही ना है जो साईकिल पर, रिक्शे में या फिर किसी सस्ती गाड़ी में बैठकर आयेंगे अरे उनकी गाड़ियाँ तो कई कई करौड़ की होती हैं उनमें तो गड्डो का पता भी नही चलता। पर बात खाली सड़क के गड्डो नहीं है बात उनके आत्मसम्मान की भी है। क्यू़ँ क्या यहाँ आने से उनका अत्मसम्मान कम हो जायेगा, बिल्कुल नहीं हमें अभी उनको चिट्ठी लिखनी चाहियें।

तो भैया इस तरह मेरे मन और मन के प्रतिबिम्ब ने मोदी जी को दावत पर बुलाने के लियें चिट्ठी लिखी और उनके पते पर पोस्ट कर दी थी। और अाज उस चिट्ठी को पोस्ट किये हुए भी चार साल हो गये है, पर अभी तक ना तो उस चिट्ठी का कोई जवाब आया है, और ना ही मोदी जी आये हैं, पर हा इस बीच मैंने मोदी जी को दावत खिलाने के लिये बहुत से ईन्तेजाम कर लियें है। मैंने एक नई मैज ले ली है, एक नया टेबिल फेन भी ले लिया है, और साथ ही कुछ पैसो का बन्दोवस्त भी कर लिया है। अरे अब मोदी जी की दावत करेंगे तो जरा अच्छी ही करेंगे। अगर मोदी जी दो तीन साल और मेरी दावत पर नहीं आये तो इस बीच मैं मोदी जी को बिठाने के लियें सोफा और ठन्डा पानी पिलाने के लियें फ्रिज भी ले ही लुंगा।


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