मनुष्य एक सुन्दरतम् कृति!
मनुष्य एक सुन्दरतम् कृति!
कभी कभी ऐसा लगता है मुझे कि क्या सच में मनुष्य उस परम आत्मा प्रभु की सबसे सुन्दरतम् सबसे बुद्धिमान कृति है ?
क्योंकि ऐसा कहा जाता है और शायद है भी कि
मनुष्य उस परम आत्मा प्रभु की सबसे सुन्दरतम् सबसे बुद्धिमान कृति है!
पर
मेरे मन में जो असीम सवाल है उस भगवान से उन उठे सवालों का क्या ?
क्या आप लोग जानना चाहेंगे -
कभी कभी ऐसा होता है कि हमें ऐसी ऐसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ जाता है की हमें पता होता है कि हम ऐसे चाहते तो शायद बदल सकते थे पर हम नहीं बदलते है जो भी होना होता है उसे ना जाने क्यों होने देते है
और सब स्वीकार कर लेते है और दुःखी भी होते है चिंता करते है
कभी ऐसा होता है परिस्थितियां बदलना चाहती है सब कुछ सामने होता है पर हम उसे नहीं बदलने देते है
जीवन की बहुत बड़ी सच्चाई है कि बुद्धिमान लोगों को पता होता है कि चिंता नहीं करनी चाहिए, जो हुआ सो हुआ, जो होगा सो होगा चिंता करने से सब बदल तो नहीं जाएगा सब सही और हमारे अनुसार तो नहीं होगा
फिर चिंता क्यों करना !
चिंता तो मृत्यु के समान है कई बीमारियों का कारण है !
पर फिर भी हम चिंता करते है ,अक्सर बुद्धिमान मनुष्य भी चिंता कर ही लेते है इससे बच नहीं पाते है
हम तकलीफ पाते है पर फिर भी चिन्तित रहते है ।
मनुष्य श्रेणी में आकर
भी सभी दुःखी है कोई मन से दुःखी है ,कोई तन से दुःखी है कोई धन से दुःखी है, कोई धन न होने पर या धन के कम होने पर दुःखी है पर दुःखी है
और भी कई सारी समस्याएं है मनुष्यों के साथ
(भगवान की सबसे सुंदरतम कृति !)
कभी तो मनुष्य स्वयं दुःखी है कभी दूसरों को दुखी करता है।
मनुष्य का इन्द्रियों पर संयम ही नहीं है फिर भी हमें अपने ऊपर कभी मान है तो कभी अभिमान।
कई विकारों से ग्रस्त है हम
इन विकारों के कारण हम भूल कर बैठते है कुछ गलत कर बैठते है कभी महापाप भी कर देते है
इस वर्तमान दुनिया में मात्र कुछ ही लोग होंगे जो शांत, संयमी , निश्चल, अभाव रहित , प्रेम से पूरित , आशावान, पर हितैषी , योग्य, आत्मनिर्भर और कर्मशील है!
वरन यहाँ सब अजीब सा है !
मनुष्य ही मनुष्य को काट रहा है
अब पूछो उनसे की एक व्यक्ति दूसरे को ही नहीं चाहता है
फिर तुम भला किसके पास किसके साथ रहोगे।
क्या अकेले रहोगे !
हर एक व्यक्ति में कुछ न कुछ विलक्षण प्रतिभा और गुण होता है जो हमें औरोंं से भिन्न बनता है!
हमें सबकी जरूरत पड़ती ही है अपने सुख और अन्य कामों के लिए ! तो फिर हम क्यों इतने अहंकारी और क्रोधित है किसी से।
क्यों आखिर हम प्रभु को ही दुःख दे रहे है जिन्होंने हमें बनाया
क्या हम है सबसे सुंदरतम कृति।