मंत्र समाधान का
मंत्र समाधान का
मनोज जी दिन भर के कामों से थके हुए आफिस से निकला तो रास्ते में ही रतनलाल जो उसी के आफिस का सहकर्मी था साथ हो लिया।
घर घुसने से पहले मनोज जी ने आँगन में लगे एक खुबसूरत वृक्ष के तने को नीचे किया और प्यार से कुछ पत्तियों को चूम लिया और कुछ अस्पष्ट सा बात बुदबुदाया मानो कुछ कह रहा हो ---
घर घुसकर हँसते हुए बच्चों और पत्नी से दिन भर की सभी जानकारी हासिल किया और चाय का अनुरोध किया।
घर बैठकर दोनों ने चाय पिया तथा रतनलाल जब जाने लगा तो उसे औपचारिकता वस मनोज जी छोङने गेट तक आते हैं---
रतनलाल ने बेचैन होकर वृक्ष के पत्ते से चुमने और बुदबुदाने वाली बात के विषय में जानने की इच्छा जाहिर की।
मनोज जी ने कहा दरअसल जब मैं आफिस से वापस आता हूँ तो इसी वृक्ष को अपनी सारी समस्याऐ सौंप देता हूँ और फिर घर के अन्दर जाता हूँ। फिर आफिस जाते समय समस्या लेते जाता हूँ। इससे बहुतो बार तो वृक्ष अपने तना से गिरा भी देता है।
रतनलाल को जीवन का फरमूला समझ आ गया था। सच में यह बेजोङ मंत्र है समस्या समाधान का।