मन की बात
मन की बात
आज ऑफिस में एक महिला से बात हो रही थी।बातों बातों में महिला ने कहा,"मुझे घर में यूँही एकदम खाली बैठना बिलकुल भी पसंद नहीं है।मै अपने retirement के बाद अपना कोई काम करना चाहती हुँ बिलकुल independantly,लेकिन पति को लगता है की मैं घर में ही रहु उनके साथ।बकौल उनके मैंने अबतक की अपनी नौकरी में बहुत काम किया है।पैसे की भी ज्यादा जरुरत नहीं है, उनकी जरुरत के मुताबिक पैसे है उनके पास।"
मैंने कहा,"अरे,तुम्हारे पति सही सोच रहे है,देखा वे कितने caring है।"वह कहने लगी,"उनकी caring अपनी जगह सही हो सकती है परंतु मेरे मन का क्या? मेरी अपनी इच्छाओं का क्या?मुझे खुद का अपना कोई creative काम करना पसंद है,और मैं वह कर सकती हूँ तो क्यों न करू?क्या मुझे हर काम सिर्फ पति के मन मुताबिक करना होगा?"
थोड़ी देर के बाद हमारी चाय खत्म हो गयीऔर वह चली गयी पीछे कुछ सवाल छोड़ कर...
उन सवालों के जवाब शायद मिलेंगे या हो सकता है नहीं भी मिलेंगे।चलिये International women's day,अरे,नही नही International women's month ही मनाते है।
छोड़िये इन सवालों को।जिंदगी में और भी तो चीजें है सोचने के लिए और करने के लिए ...