मन की डोर
मन की डोर
ऋतु तुझे कैसा पति चाहिए? सुहाना ने ऋतु को जोर से हिलाते हुये कहा। अरे ये कैसा सवाल है? ऋतु हम दोनों बचपन की सहेलिया एक दुसरे से ये पूछ ही सकती है।बता ना! अब हमारे घर वालो ने लडके भी देख रहे है कब रिश्ता हो जाये। मेरा तो पक्का है हीरो की तरह होना चाहिए खूब पैसे वाला हो बस। ऋतु मेरे को साधारण व्यक्तित्व वाला मुझे समझने वाला हो बस।
समय बीता और ऋतु और सुहाना की शादी एक ही शहर मे हुई। बचपन मे भी जब परेशान होती, ऋतु तुरंत परेशानी का हल बन जाती। कभी चुप बैठती तो जल्दी भाँप जाती।
बता जरा क्या छुपाये बैठी है ? कुछ नहीं...कैसे नहीं !साफ दिख रहा है चेहरे पर। पैसो की जरुरत है क्या? नहीं कहने से पहले, ये ले कहकर कुछ रूपये मेरी हथेली पर रख कर बंद कर दी हथेली। तुरंत सुहाना ने गले लगा लिया ऋतु तु पिछले जन्म मे बहन होगी मेरी। बहन नहीं जुडवा बोल हँसने लगती। तुझे नहीं पहचानुगी तो किसे पहचानूँगी ? दोनों की शादी हो गई। ऋतु बहुत अमीर परिवार से थी उसकी शादी शहर के नामी धन्नाडय परिवार मे हुई।जबकी सुहाना मध्यम वर्ग की थी तब वैसे ही परिवार मे गई।पर घर आस पास ही थे।
शादी के बाद भी मेहमान आने होते तो तुरंत काम करके घर का सुहाना की मदद करके चली जाती। मेहमानों के आने से पहले आ जाती। वही ऋतु के साथ सुहाना का था। बिना बताए रह नहीं पाती थी।सब सुख दुख साथ बाटती।दोनों के पति की भी अच्छी बनती थी।
एक दिन किटी थी ऋतु ने सुहाना के साथ खाना, गेम, सब तैय्यार कर लिया था।सुहाना जाने लगी काम करके तो ऋतु ने रोका तु भी रूक ना बडा मजा आयेगा।
नहीं अमीरो की सहेलिया मुझसे दूर ही रहे। बस तु ही बहुत है मेरे लिए। सुहाना रूकना ही पडेगा।तुझे मिलवाना है सबसे।तुने किटी करने को मना किया था, जिद्दी है तु पर आज तो मिल। सब जानते है तुझे घबरा नहीं।
सुहाना रूक गयी। सब आ गये।बहुत काम करने वाले थे ऋतु के घर। वो सबको खाने का सामान दे रहे थे। तभी ऋतु ने आवाज दी सुनो सब ये है मेरी सबसे प्यारी सहेली सुहाना, पास मे ही रहती है।, सब इसी ने खाने मे सहायता की। कुक से भी नहीं बनवाया मैने इतना अच्छा बनाती है। सबने ऊपर से नीचे मुँह बनाते हुए एक नजर लगाई साधारण कुर्ती में सुहाना । तभी एक ने कहा हाँ मिडियम क्लास मे घरो मे लडकियों को जल्दी सब आ जाता है रसोई मे।ऋतु ने कहा इसमे मिडियम कलास की बात क्यूँ आई मिसेज़ माथुर? ये शौक की बात है। और स्वाद की भी। तभी एक सहेली ने कहा।कहाँ रहती हो? पास मे मीरा बिल्डिंग मे ओहह !बिना सोसायटी की है जो अपार्टमेंट है बस।जी वही सुहाना ने कहा। मैंने तो शुरू मे पति को देख कर ही मना कर दिया था इतने छोटे कमरे थे। ना कल्ब ना स्विमिंग पुल।कैसे रहती हो मुँह बनाती बोली। सुहाना का मुँह उतर गया।
ऋतु ने कहा क्या बेकार की बात छोटे घर मे रहते नहीं क्या लोग। सुहाना ने ऋतु का चुप रहने का इशारा किया। बच्चे कौन से स्कूल मे है। इससे पहले सुहाना बोलती।ऋतु जोर से बोली मैंने अपनी सहेली को मिलाने के लिए बुलाया था आप सबसे।पर आप तो अपनी बातो से बता दिया की आपका लेविल क्या है?ये उस तरह की बात कर सकती जैसे आप सब इसको दिखाना चाहते है। पर ये मेरी सहेली समझ कर चुप है। आप हाई स्टैंडर्ड किसे कहते है जो एक सहेली के बीमार होने पर अगले दिन फल और गुलदस्ता लेर हास्पिटल पहुँचे।ये मिडियम जिसे आप समझ रही है वो अपने घर के साथ अपनी सहेली का भी संभाल ले।उसके दुख सुख को अपना मान ले। अमीरी दिल मे होनी चाहिए ना की रूपये कितना है।
इसकी बेइज्जती मेरी बेइज्जती है ये मेरी सोलमेट है। हम दोनों दूर रहते है पर मन से एक ही है।सबकी नजरें झुक गयी थी। एक ने कहा माफ करना हमारा मतलब ये नहीं था। ऋतु ने कहा जो भी कहा था पर ठीक नहीं था। सुहाना पास आके बोली छोड ना ये सब बाते किटी का आन्नद लो। ऋतु बोली दोस्ती की है तो निभानी तो पडेगी। और आगे बढकर सुहाना को गले लगा लिया। पिछले जन्म मे जुडवा होगे हम क्युँ सुहाना ? हाँ बिल्कुल सुहाना ने कहा। अब सब खा कर बताइये खाना कैसा बना ? चलो भूख भी खूब लगी है, दोनोंं हँसने लगी।