Ajay Singla

Drama

4.3  

Ajay Singla

Drama

ममता

ममता

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मैं एक डॉक्टर हूँ और पंजाब के एक शहर मैं रहता हूँ। मेरी पत्नी भी डॉक्टर है और हम दोनों एक नर्सिंग होम चलाते हैं। मेरे दो बेटे हैं, एक १०+२ पास करके आई आई टी की तैयारी में लगा है और दूसरा दसवीं क्लास में पढ़ रहा है।

कुछ दिन पहले हम ऐसे ही मज़ाक कर रहे थे कि आई आई टी में सिलेक्शन के बाद बेटा बाहर चला जायेगा और फिर तो कभी कभार ही हमारे पास आया करेगा। इतने में मैंने देखा कि बात करते करते मेरी पत्नी की आँखों में आंसू आ गए। मैंने उसे थोड़ा ढांढस बंधाया। तभी मुझे भी वो वक्त याद आ गया जब ३० साल पहले मेरा सिलेक्शन मेडिकल में हुआ था।

मेरा एम बी बी एस में कलकत्ता मेडिकल कॉलेज में सिलेक्शन हुआ था। इससे पहले मैं कभी बस नानी के यहाँ चंडीगढ़ तक ही कभी कभार गया था वो भी  मम्मी के साथ। अब मुझे घर से करीब १६०० किलोमीटर दूर जाना था और वहां अकेले कम से कम ५ साल गुजारने थे। फिर भी पढ़ाई के लिए मन को पक्का कर लिया। जब मैं ३ महीने बाद छुट्टिओं में घर आया तो पापा ने बताया कि तुम्हारे जाने के बाद मम्मी ने करीब एक महीना लगभग कुछ नहीं खाया और वो सारा दिन रोती रहती थी, अब कुछ दिनों से थोड़ा कुछ खाने लगी है।

मैं ये सोच रहा था कि इतनी ममता सिर्फ एक माँ में ही हो सकती है और शायद ये ममता बच्चे के पेट में आते ही शुरू हो जाती है। मुझे याद आया कि जब मेरा बड़ा बेटा माँ के गर्भ में था तो मेरी पत्नी कितना संभल संभल के चलती थी तांकि उसे अंदर कुछ हो न जाये। उसके जन्म के बाद रात रात भर जागना, दिन में भी कभी ही सो पाती थी। उसके रोने पे बहुत ज्यादा घबरा जाती थी।

डॉक्टर होते हुए भी जब कभी उसे बुखार आता तो आंसू बहने लगते थे। जब वो प्ले स्कूल जाने लग गया तो उस के वापिस आने तक पत्नी का मन नहीं लगता था और उस के आते ही खुश हो जाती थी। जब वो ५-६ साल का हो गया तब उसे शरारत करने पर डांटना और कभी कभी थप्पड़ भी लगा देना, फिर खुद ही आंसू बहाना। मुझे अपनी ५-६ साल तक की तो बातें याद नहीं पर उस की बाद की ज्यादातर बातें याद हैं।

हम पांच भाई-बहन थे। मम्मी ने बी एड किया हुआ था पर बच्चों की परवरिश के लिए नौकरी छोड़ दी थी। हालाँकि वो प्राइवेट ट्यूशस पढ़ाती थीं। ट्यूशन पढ़ाने के बाद थके होने पर भी हमारी पसंद का खाना बनातीं।

मुझे अब भी याद है उस वक़्त शायद ६-७ साल का था। मुझे कंचे खेलने का बहुत शौक था। एक बार मैं कंचे खेलने के लिए दूसरे मोहल्ले में निकल गया। वक़्त का पता ही नहीं चला और शाम को सूरज ढलने के बाद ही घर पहुंचा। घर पहुँचते ही देखा के सारे बहुत परेशान थे, उन्हें लगा था के शायद मैं कहीं खो गया हूँ या मेरे साथ कोई दुर्घटना हो गयी है। मम्मी ने आते ही एक थप्पड़ जड़ दिया, मैं रोने लगा। मम्मी मुझे छोड़ कर दूसरे कमरे में चली गयी और बेड पर लेट गयी। मैं भी मम्मी के पीछे चला गया कि शायद मम्मी मुझे मनाएगी पर माँ ने मेरी तरफ मुँह भी नहीं किया और दूसरी तरफ मुँह कर के लेट गयी। थोड़ी देर में मेरा हाथ माँ के गाल पर गया तो पाया कि माँ की आँखों से लगातार आंसू आ रहे हैं। माँ मेरी तरफ मुड़ी और मुझे अपनी बाँहों में ले कर चूमने लगी। माँ कुछ बोल नहीं रही थी पर उसकी ख़ामोशी सब कुछ कह रही थी।

ऐसी न जाने कितनी यादें होती है हम सब के जीवन में जो माँ की ममता की हमें याद दिलाती हैं और शायद माँ के रिश्ते को सबसे महान बनाती हैं।


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