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Sudhir Srivastava

Abstract

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Sudhir Srivastava

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ममता

ममता

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लघु-कथा  ममता  ************    ममता सड़क किनारे एक छोटी सी चाय की दुकान चलाती थी, आज सुबह जब वह दुकान पर साफ सफाई कर दूध गर्म कर रही थी, तभी फटेहाल स्थिति में एक 6-7 सालों की छोटी बच्ची आई और कुछ खाने को माँगा, तो उसने उसे अपने पास बुला कर बैठाया, बिस्किट खिलाया और चाय के लिए रखे दूध के भिगोने से एक गिलास दूध पिलाया।     बच्ची से पूछताछ में पता चला कि बच्ची सिर्फ अपने नाम के अलावा कुछ भी नहीं बता पा रही है।  रहने के बारे बताया कि सड़क किनारे कहीं भी सो जाती है।      बच्ची से बात करने और उसकी दशा देख कर उसकी ममता जाग गई। तब तक उसका पति रामू भी आ गया। ममता ने अपने मन की बात पति को बताई।     पहले तो रामू ने मना कर दिया। क्योंकि दो बेटियाँ पहले से ही हैं, उनकी परवरिश में भी कम मुश्किलें नहीं हैं। लेकिन ममता की जिद के आगे हार गया।       पत्नी को आश्वस्त कर रामू बच्ची को लेकर नजदीक के थाने पहुँचा और थानेदार को पूरी बात बताई। उसकी बात सुनकर थानेदार ने बच्ची से बात की। फिर रामू का पहचान पत्र देखा और इस शर्त के साथ बच्ची को उसके साथ वापस भेजा कि यदि बच्ची के माँ- बाप का पता चलता है, तो वह बच्ची को उन्हें सौंप देगा।       रामू ने सहमति दे दी और बच्ची को लेकर वापस दुकान पर आ गया। रामू ने ममता से थानेदार से हुई बातचीत दोहरा दी। रामू की बात सुनकर ममता ने बच्ची को बाँहोँ में समेट लिया और सिर्फ इतना कहा - जैसी भगवान की मर्जी।      ममता की ममता से एक अबोध, असहाय बच्ची को माँ बाप की छाँव मिल गई। सुधीर श्रीवास्तव  


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