मिस्टर परफेक्शनिस्ट

मिस्टर परफेक्शनिस्ट

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अरे, 600 बज गये आज तो लेट हो जायेगा। जैसे ही अलार्म बजी नेहा सकपका कर उठी। हाथ मुंह धोये घर मंदिर मे हाथ जोड़। ब्रश मे बच्चों के लिए पेस्ट रखा।

लव कुश उठो बेबी स्कूल के लिए लेट हो जाओगे। जल्दी उठकर ब्रश करो बच्चा।

 फिर गीजर ओन कर एक चूल्हे पर दूध चढाया और नाश्ते की तैयारी मे लग गई। जैसे ही लव कुश ने ब्रश किया उन्हें नहलाकर स्कूल के लिए तैयार किया। और एक नजर घडी की तरफ नजर दौडाई।

अरे, बस आती ही होगी "लव कुश जल्दी जल्दी भगवान जी को हाथ जोडो और दूध कम्पलीट करो वरना हम स्कूल को लेट हो जायेंगे और फिर से ड्राइवर अंकल चिल्लायेगे। "

"इतने मे होर्न बजा कम ओन बेबी बी फास्ट। "

बाय मम्मा

बाय बेबी, लव यू,मिस यू, कम सून

वी मिस यू टू मम्मा

 अरे, यार आठ बज गये। मिहिर को भी आफिस के लिए लेट हो जायेगा यह सोच उसनें चूल्हे पर चाय चढा दी और नाश्ते की तैयारी मे लग गई। कल रात मिहिर ने केलापराठे बनाने को कहा था तो चलो उनकी भी फरमाइश पूरी कर लेते है।

इतने मे मिहिर ने आवाज दी डार्लिंग चाय तो पिला दो।

हाँ बस दो मिनट लेकर आ रही हूँ।

और फिर वह अपने लिए और मिहिर के लिए चाय की ट्रे लेकर कमरे की तरफ गई।

मिहिर बालकनी मे बैठा मोबाइल में न्यूज देख रहा था।

यही ले आओ सुबह सूबह मौसम भी अच्छा है।

 चाय की चुस्कियां लेते हुये नेहा की नजर सामनेवाले फ्लेट की बालकनी मे खडी रिया पर पडी वह सजधज कर बालकनी मे खडी थी।

नेहा कुछ सोच ही रही थी इतने में रिया ने आवाज़ लगाई।

"क्या हो रहा है डियर!"

"कुछ नहींं बस चाय नाश्ता आ जाओ तुम भी। "

नहीं डियर, मै तो मंदिर जा रही हूँ वो आज हमारी शादी की सालगिरह है।  रोहन भी साथ आ रहा हैं तो सोचा मंदिर से आते समय नाश्ता बाहर ही कर लेगें। वैसे भी तुम तो जानती हो सुबह उठ जल्दी तैयार होना मंदिर जाना यह सब मेरा रेगुलर रुटीन है।

ओके, बाय डियर फिर मिलते है।

हाँ बाय, और सालगिरह मुबारक हो और हाँ रोहन को भी हमारी तरफ से विश करना।

 फिर से नेहा सोच मे डूब गई। पता नहींं मेरा रुटीन कब चेंज होगा।

क्या सोच रही हो नेहा ?"नेहा का भ्रम तोडते हुये मिहिर ने पूछा"

कुछ नहीं

तुम जानती हो नेहा जब भी रिया को देखता हूँ सोचता हू कितनी परफेक्ट है वो हर बात मे। उसके भी दो बच्चे हैं, वे भी स्कूल जाते है लेकिन उसका टाइम मैनेजमेंट कितना परफेक्ट है। आठ बजे तक सब काम निपटा तैयार हो मंदिर भी चली जाती है और तुम दस बारह बजे तक गाऊन मे हीकुछ सीखो उससे तुम्हारी बेस्ट फ्रेंड है आखिर।

बस करो मिहिर वह ही परफेक्ट नहीं है उसके घर मे जो मिस्टर हसबैंड है ना वो भी मिस्टर परफेक्ट है।

क्या मतलब है तुम्हारा ?

मेरा मतलब यह है कि रोहन रिया के साथ 6 बजे उठ उसके सारे छोटे मोटे काम में हाथ बंटाता है। यहां तक की बाजार से सब्जी खरीदना, अपने कपडे खुद आईरन करना, और तो और बच्चों को स्कूल के लिए तैयार करना सब कुछ। वैसे उठते तो आप भी छः बजे हो लेकिन मोबाइल न्यूज, फेसबुक, व्हाट्सएप के लिए जब तक चाय ना मिले अपनी जगह से हिलते तक नहीं।

बस करो नेहा चलो कल से मै भी रोहन की तरह तुम्हारी मदद कर दिया करूंगा फिर देखते है।

अगले दिन सुबह मिहिर ने जल्दी उठ जैसे तैसे चिल्लाकर डांटकर बच्चों को तैयार किया। पास मे नेहा नाश्ता तैयार कर रही थी। मिहिर ने जैसे ही बच्चों के लिए दूध का गिलास भरने के लिए बरतन उठाया। तपेला हाथ से छूट गया।

इतने मे रिया चाय की ट्रे ले आई। मिहिर उठो, मिहिर कब से आवाज दिये जा रही हूँ।

मिहिर सकपका कर उठा। नेहा, वो दूध दूध

क्या हुआ मिहिर ?

नहीं कुछ नहीं,सामने सजी धजी नेहा को देख उसने चैन की सांस ली अच्छा तो वो सब सपना था और उसके चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान आ गई।

क्या हुआ स्माईल क्यो कर रहे हो ?

कुछ नहीं इतना सजधज कर कहा जा रही हो। वो तुम्हें कभी ऐसे देखा नहीं ना सुबह सुबह इतना सजा संवरा इसिलिए,और तुमनें मुझे उठाया क्यों नहींं ?

मिहिर वो कल रात तुम देर तक काम जो कर रहे थे। और हाँ आज जल्दी उठ गई थी तो सोचा तैयार हो मंदिर हो आऊं वो रिया को देखती हूँ तो सोचती हूँ मुझे भी अपना रुटिन चेंज करना चाहिए कितनी परफेक्ट है ना वो।

मिहिर ने बालकनी की तरफ नजर दौडाई वहाँ कोई नहीं था।

फिर उसने नेहा की ओर मुडते हुये कहा किसने कहा, तुम परफेक्ट नहीं हो मेरे लिए तुम एकदम परफेक्ट हो मिस परफेक्शनिस्ट। तुम जानती हो नेहा जिस परिवार में बच्चे स्वस्थ हो, सुखी हो, हंसते खेलते हो, जहाँ पति पत्नी के बीच थोड़ी तकरार और बहुत सारा प्यार हो, वह परिवार एक परफेक्ट परिवार है। और उस की जो गृहिणी है वह एक कुशल गृहिणी।

"क्या बात है जनाब ? सुबह सुबह बहुत ज्ञान बाँट रहे हो रात को सपने मे ज्ञानी बाबा आये थे क्या। "


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