मिलन
मिलन
वे दोनों रूहें रोज रात को अपनी अपनी कब्र से निकलतीं। एक सुनसान जगह पर बैठ कर बीते दिनों को याद करके अपना समय खुशी खुशी बितातीं और अपने अगले जन्म का इंतज़ार करतीं। पिछले जन्म में तो उन दो आत्माओं का मिलन न हो सका।उम्मीद थी कि अगले जन्म में...
तभी घाटी में से धूएँ का गुब्बार निकलता दिखा जो मानों उनको निगल लेना चाहता हो।
दोनों हतप्रद थीं,पर डरी नहीं।शरीर को तो कोई भी नष्ट कर सकता था पर रूह को कोई नहीं।
जिसने जीवित अवस्था में उन दोनों को न मिलने देने के लिये जान से मार दिया था वह स्वयं धूएँ के आकार में उनके सामने खड़ा था पर अब वह उन दोनों का बाल भी बांका नहीं कर सकता था।
दोनों रूहें विस्तृत नीले आकाश के नीच बिना किसी भय के,स्वछंद रूप से अपने पवित्र प्रेम में पूरी तरह डूब गईं.