प्रेम रूहों का प्रेम रूहों का
तभी घाटी में से धूएँ का गुब्बार निकलता दिखा तभी घाटी में से धूएँ का गुब्बार निकलता दिखा
तब तो निश्चय ही खतरनाक है तब तो निश्चय ही खतरनाक है
आकार- परिवेश- आदत- पसंद- ख्वाहिश आदत और पसंद तो एकदम विपरीत ही हो गया। आकार- परिवेश- आदत- पसंद- ख्वाहिश आदत और पसंद तो एकदम विपरीत ही हो गया।