Arapally Nikhila

Abstract Inspirational

4.3  

Arapally Nikhila

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महिला सशक्तिकरण

महिला सशक्तिकरण

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आज के आधुनिक तौर पर "महिला सशक्तिकरण" एक विशेष चर्चा का विषय है। हमारे आदि ग्रंथों में नारी के महत्व को मानते हुए यह तक बताया है कि- "यत्र नार्यस्तू पूज्यंते रमंते तत्र देवता"। अर्थात जहां नारी की पूजा होती हैं, वहां देवता निवास करते हैं। 

लेकिन विडम्बना तो देखिए नारी में इतनी शक्ति होने के  बावजूद भी उसे उसके सशक्तिकरण की जरूरत महसूस हो रही हैं। 

भारतीय समाज पहले से ही पुरुष प्रधान देश  रहा हैं। यहां महिलाओं को हमेशा से दूसरे दर्ज से देखा जाता हैं। परिवार और समाज के लिए वे एक आश्रित से ज्यादा कुछ नहीं समझी जाती थीं। ऐसे माना जाता था कि उसे हर कदम पर पुरुष के सहारे की जरूरत हैं।  आज समाज शिक्षित तो जरूर हैं लेकिन महिलाओं के लिए उनकी सोच जैसा का वैसा ही हैं। एक बेटी अपने पिता और एक पत्नी अपने पति के अनुमति के बिना एक कदम भी  बाहर नहीं रख सकती हैं। ये सब घर के मुखिया पर निर्भर रहता हैं कि उसकी बेटी या बहू पढ़ाई या रोजगार के लिए घर से बाहर निकले या नहीं आज के आधुनिक तौर पर भी महिलाओं का शोषण किया जा रहा हैं उनके साथ दुर्व्यवहार किया जा रहा हैं। पढ़ा लिखा समाज भी महिलाओं  के प्रति शोषण करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा हैं। आधुनिक समय में घटनाएं, हिंसा और शोषण कम होने के बजाय दिन - बर - दिन  बढ़ता ही जा रहा हैं। ऐसे समय में महिला सशक्तिकरण की बात करना भी बेमानी सा दिखता है। 

ऐसे माना जाता हैं कि प्राचीन भारत में महिलाओं को जीवन के सभी क्षेत्रों में पुरुष के साथ बराबरी दर्जा हासिल था। पतंजलि और कात्यायन जैसे प्राचीन भारतीय व्याकरण वादियों का कहना हैं कि प्रारंभिक वैदिक काल में महिलाओं को शिक्षा दी जाती थी। ऋग्वैदिक ऋचाएं यह बताती हैं कि महिलाओं की शादी एक परिपक्व उम्र में होती थी और संभवतः उन्हें अपनी पति चुनने की भी आजादी थी । जैन धर्म जैसे सुधारवादी आंदोलनों में महिलाओं को धार्मिक अनुषठानों में शामिल होने की अनुमति दी गई हैं। ऋग्वेद और उपनिषद जैसे ग्रन्थ कई महिला सादवियों और संतों के बारे में बताते हैं जिसमें गार्गी और मैत्रेई का नाम उल्लेखनीय हैं।  भारत में महिलाओं को कमोबेश दासता और बंदिशों का ही सामना करना पड़ा है। बताया जाता हैं कि बाल विवाह की प्रथा छटी शताब्दी के आस पास शुरू हुई हैं।  मध्यकालीन समाज में भारतीय महिलाओं कि स्थिति में अधिक गिरावट आई जब भारत के कुछ  समुदायों में सती प्रथा, बाल विवाह और विद्वा पुनर्विवाह पर रोक, सामाजिक जिन्दगी का हिस्सा बन चुकी थी। पर्दा प्रथा, जौहर प्रथा, बहुविवाह प्रथा आदि ऐसे कई समस्याओं से भारत की महिलाओं को झेलना पड़ता था।  इन सारी परिस्थितियों को सहते हुए हुए भी कुछ महिलाओं ने राजनीति, साहित्य, शिक्षा, और धर्म के क्षेत्रों में सफलता हासिल की।  यह सशक्तिकरण केवल भारत में ही नहीं बल्कि अन्य देशों में भी होती हैं। दुनिया के सभी हिस्सों में महिलाओं को अपने जीवन स्वास्थ और कल्याण के लिए कई मुसीबतों का सामना करना पड़ता हैं।  क्या आपको पता हैं कि हम सब 8 मार्च को ही अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस क्यों बनाते हैं? तो देखते हैं , सबसे पहले हमें यह जानना चाहिए कि  इस दुनिया में हर कार्य के पीछे कोई न कोई कारण भी छुपा रहता हैं थी तो उसी प्रकार अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने के लिए भी एक कारण है दरअसल महिला दिवस एक मजदूर आंदोलन से उपजा हैं इसका बीजारोपण १९०८ में हुआ था जब न्यूॉर्क में एक बार १५००० औरतें मार्च निकालकर नौकरी कम घंटों  की मांग की थी और उनको बेहतर वेतन दिया जाय और मतदान करने का भी अनुमति दी जाए । एक साल बाद सोशलिस्ट पार्टी ऑफ अमेरिका ने  इस दिन को राष्ट्रीय  महिला दिवस घोषित कर दिया।  इसे अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस बनाने का आइडिया एक महिला को ही आया था जिनका नाम हैं क्लारा जेटकिन का था।  इसी प्रकार डाक्टर बी. आर. अम्बेडकर ने भी महिलाओं के सश्तीकरण के लिए अपना योगदान दिए उन्होंने  महिलाओं की स्थिति में सुधार लाने के लिए दो मुख्य अख़बार की भी स्थापना की थी- मुखनायक और बहिष्कृत भारत ।  इनके अलावा भी ऐसे कई महान लोगों ने महिला सशक्तिकरण के लिए अपना योगदान दिया है। 


"हर कोई कहता हैं कि इस संसार में स्त्री के लिए अपना कोई घर नहीं हैं पर सच तो यह हैं कि उस स्त्री के बिना यह संसार ही नहीं हैं"। 

सरल शब्दों में अगर महिला सशक्तिकरण का अर्थ कहा जाए तो इससे महिलाओं में उस शक्ति का प्रवाह होता हैं जिससे वे अपने जीवन से जुड़े हर कदम स्वयं कर सकती हैं। समाज में उनके वास्तविक अधिकारों की  मांग के लिए उन्हें सक्षम बनाना ही महिला सशक्तिकरण हैं।

भारत में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए सबसे पहले समाज में उनके अधिकारों और मूल्यों को मारने वाली उन सभी राक्षसी सोच को पहले खत्म या दबा देना जरूरी हैं। जैसे - दहेज प्रथा, भ्रूण हत्या, यौन हिंसा, अशिक्षा, घरेलू हिंसा, वैश्यावृत्ति, मानव तस्करी और ऐसे ही कई विषय हैं जिन्हें सबसे पहले समाज से हटाना चाहिए। हमारे देश में उच्च स्तर लैंगिक असमानता हैं। जहां महिलाएं अपने परिवार के साथ ही बाहरी समाज के भी बुरी बर्ताव से पीड़ित हैं। भारत में अनपड़ की संख्या में महिलाएं सबसे अव्वल हैं। 

लेकिन 21 वीं सदी आते ही महिलाओं का काम केवल घर - गृहस्थ संभालने तक ही सीमित नहीं हैं, वे अपनी उपस्थिति हर क्षेत्र में दर्ज कर रही हैं। जैसे ही उन्हें शिक्षा मिली उनके समझ में वृद्धि हुई। खुद को आत्मनिर्भर बनाने की सोच और इच्छा जागृत हुई। शिक्षा मिलने के बाद महिलाओं ने अपने पर विश्वास करना सीखा और घर के बाहर की दुनिया को जीत लेने का सपना अपने मन में बुन लिया और बहुत हद तक पूर्ण भी किया। पिछले कुछ वर्षों में महिला सशक्तिकरण के कार्यों में तेजी भी आयी हैं। इन्हीं प्रयासों के कारण महिलाएं खुद को अब दकियानूसी जंजीरों स से मुक्त करने की हिम्मत करने लगी । कई NGO भी महिलाओं के अधिकारों के लिए अपनी आवाज बुलंद करने लगे हैं। जिससे महिलाएं बिना किसी सहारे के हर चुनौती का सामना कर सकने के लिए तैयार हो सकती हैं। बिजनेस हो या परिवार सब कुछ करने के लिए महिलाएं ठान ली हैं । 

महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता क्यों :- 

भारत में महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता के बहुत से कारण सामने आते हैं। जैसे:- आधुनिक युग में कई भारतीय महिलाएं कई सारे राजनैतिक तथा प्रशासनिक पदों में पदस्थ हैं, लेकिन सामान्य गावं की महिलाएं आज भी अपने घरों में रहने के लिए बाध्य हैं। उन्हें सामान्य स्वास्थ सुविधा और शिक्षा सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं हैं। भारत में महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता का एक मुख्य कारण भुगतान में असमानता हैं। हमारा देश टेक्नोलॉजी , शिक्षा, आदि क्षेत्रों में काफी तेजी से और उत्साह से आगे बढ़ रहा हैं। लेकिन इसे हम तभी बरकरार रख सकते हैं जब हम लैंगिक असमानता को दूर कर पाए और महिलाओं के लिए भी पुरुष समान शिक्षा, तरक्की और भुगतान सुनिश्चित कर सकें। 

पिछले कुछ वर्षों में महिलाओं के खिलाफ होने वाली लैंगिक असमानता और बुरी प्रथाओं को हटाने के लिए सरकार द्वारा कई सारे संवैधानिक और कानूनी अधिकार बनाए और लागू किए गए हैं। हालांकि ऐसे बड़े विषयों को सुलझाने के लिए महिलाओ सहित सभी का लगातार सहयोग की जरूरत हैं। 

महिला सशक्तिकरण के लिए सरकार का योगदान:- भारत सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण के लिए कई योजनाएं चलाई जाती हैं। इनमे से कई सारे योजनाएं कृषि रोजगार, स्वास्थ जैसे चीज़ों से सम्बंधित होती हैं। इनमें से कुछ मुख्य योजनाएं हैं। जैसे:- मनरेगा, सर्व शिक्षा अभियान, जननी सुरक्षा योजना आदि। 

महिला एवं बाल विकास कल्याण मंत्रालय और भारत सरकार द्वारा भारतीय महिलाओं की साशक्ती के लिए निम्नलिखित योजनाएं इस आशा के साथ चला रही हैं कि एक दिन भारतीय समाज में महिलाओं को पुरुषों की तरह प्रत्येक अवसर का लाभ प्राप्त होगा |  जैसे:- 

१. बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना २. महिला हेल्पलाइन योजना ३. सपोर्ट टू ट्रेनिंग एंड एम्प्लॉयमेंट प्रोग्राम फॉर वूमेन ४. महिला शक्ति केंद्र ५. पंचायती राज योजनाओं में महिला के लिए आरक्षण ६ उज्जवला योजना । 

आज देश में नारी शक्ति को सभी दृष्टि से सशक्त बनाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं और साथ ही साथ इसके परिणाम भी देखने को मिल रही हैं। आज देश की महिलाएं जागरूक हो चुकी हैं। आज की महिला पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिलाकर बड़े से बड़े कार्य क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। फिर चाहे वह कार्य मजदूरी का हो या बिजनेस का हो या फिर अंतरिक्ष जाने का। देखा जाए तो महिला सशक्तिकरण के द्वारा कई लाभ भी हो रहे हैं जैसे की इस सशक्तिकरण के बिना देश और समाज में नारी को वह स्थान नहीं मिल सकता था जिसकी हमेशा वह हकदार भी रही हैं। महिला के अधिकारों और समानता का अवसर पाने में महिला सशक्तिकरण की महत्व पूर्ण भूमिका हैं क्यूंकि नारी सशक्तिकरण के द्वारा ही महिलाओं में नारी चेतना को जगाने व सामाजिक अत्याचारों से मुक्ति पाने का प्रयास हुआ और यह प्रयास बहुत हद तक कामयाब भी हुआ हैं। महिलाएं अब बिना संकोच के हर क्षेत्र में आगे आने लगी हैं। आधुनिक नारी अब जागरूक और सक्रिय हो चुकी हैं। 

किसी  ने बहुत अच्छी बात कही हैं की " नारी जब अपने उप्पर थोपी हुई बेड़ियों एवं कड़ियों को तोडने लगेगी तो संसार की कोई भी शक्ति उसे नहीं रोक पाएगी।।"

वर्तमान युग की नारी रूढ़िवादी परम्परा को थोड़ना शुरू कर दिया है। लोगों की सोच भी बदल रही हैं। भले ही आज के समाज में कई भारतीय महिलाएं राष्ट्रपति, डॉक्टर, वकील, प्रधानमंत्री, आदि बन चुकी हैं लेकिन फिर भी काफी सारी महिलाओं को आज भी सहयोग और सहायता की आवश्यकता है। उन्हें शिक्षा और आजादीपुर्वक कार्य करने में और सुरक्षा यात्रा और सुरक्षा कार्य और सामाजिक कार्य में अभी भी और सहयोग की आवश्यकता हैं। महिला सशक्तिकरण महिलाओं को वह मजबूती प्रधान करता है जो उन्हें उनके हक के लिए लड़ने में मदद करता है। हम सभी को महिलाओं का सम्मान करना चाहिए उन्हें आगे बढ़ने का मौका देना चाहिए। 

इस अवसर पर मुझे एक पंक्ति की याद आ रही हैं :- "अगर एक पुरुष को पढ़ाने से सिर्फ वह एक पुरुष ही शिक्षित होगा, लेकिन जब एक स्त्री को पढ़ाने से पूरा परिवार और समाज शिक्षित होगा ।। "

वस्तुत: विश्व के विकसित राष्ट्रों ने अपना गौरवमय स्थान अपने देश की महिलाओ को समुचित आदर प्रधान करके ही हासिल किया है। सम्पूर्ण विश्व में 8 मार्च को सम्पूर्ण रूप से महिला दिवस बनाए जा रहे हैं। स्वामी विवेकानंद ने नारी को पुरुष के सम कक्ष बताते हुए कहा था कि " जिस देश में नारी का सम्मान नहीं होता वह देश कभी उन्नति नहीं कर सकता हैं। 

महिलाओं को सशक्त बनाना हमारे आने वाले कल हमारे भविष्य के लिए बहुत महत्व पूर्ण हैं। महिलाएं ही देश के भविष्य को जन्म देती हैं और वे ही बच्चे के पहली गुरु होती हैं यदि वे सशक्त होंगी तो भविष्य भी सशक्त होगा। अतः उज्वल भविष्य के लिए महिला सशक्तिकरण बहुत ही आवश्यक हैं। आज महिलाएं विभिन्न क्षेत्रों में पुरुष से आगे बढ़ रही हैं। 

निष्कर्ष के रूप में हम कह सकते हैं कि भारतीय समाज में महिला सशक्तिकरण लाने के लिए महिलाओं के खिलाफ बुरी प्रथाओं के मुख्य कारणों को समझना होगा और समाज से हटाना होगा आज के समाज में यह आवायश्यक्ता हैं कि हम महिलाओं के लिए पुराने सोच को बदले और उनके सशक्तिकरण के लिए बेहतर कदम उठाएं। 

"नारी ही शक्ति हैं नर की, नारी ही शोभा हैं जर की जब उसे उचित सम्मान मिले, जर में खुशियों के फूल खिले।" 


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