मेरी सच्ची मुहब्बत

मेरी सच्ची मुहब्बत

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खुदा ने मुझे ज़िंदगी दी और ज़िन्दगी में मुझे वो मिला जिसकी मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी। बचपन जो बस बहन को सँभालने में बिता और जब जवान हुई तो बस ज़िम्मेदारियों ने जकड लिया अभी तो मैंने ठीक से उड़ना शुरू भी नहीं किया था की मुझे माँ छोड़ कर चली गयी। माँ ने बाबा के तानो और रोज़ के झगड़ो से तंग आकर दूसरी शादी जो कर ली थी अब हम बहने हमारे बाबा के साथ रहा करती कुछ ही दिन गुज़रे थे माँ को जाने की लोगो ने हमें ताने देने शुरू कर दिए जब तक माँ थी तब तक कोई कुछ बोलता नहीं था माँ सबसे हमारे लिए लड़ लेती थी माँ के जाने के बाद बाबा ने भी पीना छोड़ दिया शायद उन्हें उनके जाने से ज़िम्मेदारिया समझ आने लगी थी बाबा अकेले पढ़ चुके थे उनके अकेले से घर चलना मुश्किल था बहुत क़र्ज़ उधर ले चुके थे परेशांन रहते थे मुझसे ये देखा न गया और मैंने नौकरी की तलाश शुरू कर दी !

बहुत खोजने पर मुझे नौकरी मिल ही गयी नौकरी करने पर मुझे ये अहसास हुआ की ज़िन्दगी और महेनत इतनी आसान नहीं है कुछ महीने बाद मैंने कामना शुरू किया जिससे अब घर की सारी ज़िम्मेदारियां मुझपे आ चुकी थी। मैं अब पूरा दिन काम में रहने लगी जिससे मुझे दिन और रात का पता नहीं चलता था। कुछ वक़्त बाद कुछ यूँ हुआ की मुझे समझ नहीं आया क्या करना और क्या नहीं करना। एक शक़्स जो की मेरे दिल को बहुत भाने लगा था उसके साथ रहेके ये जाना की धड़कने भी तेज़ होती है बहुत ही अजीब सा अहसास तारीफ क्या करू उसकी उसकी आंखे जैसे मोतियों की माला उसके लहराते हुए बाल उसके होठ जैसे गुलाब की नाज़ुक पंखुडिया बहुत ही खूबसूरत और दिल तो पानी की तरह साफ़ था मै मन ही मन उसे प्यार कर बैठी मैंने कभी उसे किसी भी वक़्त में अकेला नहीं छोड़ा एक दिन की बात है मैंने सोचा क्यों न मै उसे अपने दिल की सारी बात बता दू ये सोचकर मैंने बढ़ी हिम्मत से उसे ये बात बतानी चाही मगर मेरे अहसासों से अनजान वो शक़्स उसे तो ये तक खबर न थी की मै उसे प्यार करने लगी !

मैंने एक लम्बी साँस लेते हुए उसे बताने की कोशिश ही की थी की तभी उसने मुझे एक लड़की से मिलाते हुए कहा की वो उस लड़की से प्यार करता है और शादी करने वाला है इतना ही सुनना था की मेरा दिल टूट गया पर फिर भी मैंने अपने होठो पर मुस्कान को बनाये रखा था और उसे हमेशा खुश रहने की दुआ देते हुए मै घर चली गयी। कुछ वक़्त बाद उस शक़्स की शादी जुड़ चुकी थी। अब कुछ ही दिन बचे थे उसकी शादी को की वो मेरे लिए कुछ कुछ महसूस करने लगा मुझे पसंद करने लगा। मैंने सोचा नहीं था की ज़िन्दगी एक ऐसा मोड़ भी लेगी आखिरकार उस शक़्स ने मुझे अपना लिया और फिर उसकी शादी निकल गयी। मैं भी उसकी शादी की तैयारियां करने लगी अपने नाज़ुक हाथों और नरम दिल के साथ उसे हल्दी लगाने लगी। उसकी खुशी जहाँ दिखी मैं भी वहीं अपनी खुशिया मानाने लगी उसकी शादी हो रही थी और मुझे बहुत अजीब सी तकलीफ मानो जैसे दिल ने धड़कना बंद कर दिया हो। जैसे तैसे शादी निपटी और मैं वापिस घर आ गयी शादी के बाद जैसे ही वो शक़्स वापिस लौटा उसने मुझे आते बराबर गले से लगा लिया। जिससे प्रतीत हुआ की उसने भी मुझे बहुत याद किया। मैं क्या करती अब वो और मैं हम दोनों मजबूर थे खुदा ने उसे एक अच्छी बीवी दी थी जो सब संभाल सकती थी। कुछ वक़्त साथ काम करने के बाद हम और करीब आ गए। अब धीरे धीरे हम बहुत करीब हो चुके थे जिससे दूर जाने के ख्याल से भी तकलीफ होने लगी अब मैं बीच मंझधार में फंस चुकी थी !

ज़िन्दगी में सच्चा प्यार होने के बाद मैं बहुत खुश थी। बस फ़र्क़ ये था वो मेरी ज़िन्दगी में तो था लेकिन इस किस्मत में नहीं उसके साथ होना एक अलग ही अहसास था। मैं उसे पा न सकी ये तो सच है लेकिन सच ये है की मुहब्बत आज भी बरक़रार है मेरे दिल में। मेरी जान में, मेरी हर यादों में, सच कहते हैं कि प्यार का मतलब सिर्फ किसी को पाना नहीं उसे खोना भी है। आज ५ साल होते आ गए। मैं उसे किसी और के साथ देखकर जी रही हूँ और मैं खुश हूँ उसे खुश देखकर क्यूँकि उसकी ख़ुशी में मेरी ख़ुशी है। आगे भी ज़िन्दगी शायद ऐसे ही गुज़रेगी क्यूंकि वो मेरी मुहब्बत है मेरी सच्ची मुहब्बत !


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