उनकी अधूरी मुहब्बत
उनकी अधूरी मुहब्बत
लोग सच कहते है अधूरा इश्क़ ही मुकम्मल होता है। कुछ समय पहले की बात है मेरे पड़ोस में एक बहुत सुन्दर लड़की रहती थी, वो मेरी बहुत अच्छी मित्र बन गयी थी, कुछ साल हुए मुझे पता चला पास ही के अल्ताफ नाम के लड़के से बहुत प्यार करने लगी है। अल्ताफ भी उसे बहुत प्यार करता था लोगो ने उन्हें बाग़ में मिलते हुए भी देखा था उनके रोज़ मिलने की ये बात एक दिन दोनों के घर में पता चल गयी और फिर वो हुआ जिसका मैंने सपने में भी नहीं सोचा था।
अल्ताफ के घरवालों ने दूसरे ही दिन लड़की के घर वालो को खबर की और कहा "वो अल्ताफ की शादी उनकी बेटी से करना चाहते है" लेकिन लड़की के घरवाले बहुत अमीर घराने से थे और अल्ताफ एक ग़रीब घर में पला बढ़ा था। लड़की के घरवालों ने शादी के लिए साफ साफ मना कर दिया ये बात लड़की और अल्ताफ बर्दाश्त नहीं कर पाए क्योंकि, वो एक दूजे के बिना नहीं रहे सकते थे। उनके लाख मनाने पर भी घरवाले उनकी शादी के खिलाफ रहे कुछ दिन बाद माहौल ठंडा हुआ नहीं की लड़की के घरवालों ने उसकी शादी कहीं और तय कर दी। उसपर कड़ी नज़र रखने लगे, इस ज़बरदस्ती की शादी का जैसे ही अल्ताफ को पता चला वो शादी रुकवाने को चल पढ़ा, और उसका अंजाम ये हुआ की उसे लड़की के घरवालों ने बहुत मार खिलाकर बेहोश कर रस्सी से बंद कर दिया ताकि वो शादी रोक न सके। ये देख लड़की को सहा न गया और आखिर उसने शादी के उसी दिन उसी जगह अल्ताफ के साथ ज़हर खाकर उसी जगह अपनी जान ले ली।
आखिर उनके जीते जी किसी ने उनके प्यार को नहीं समझा और जब वो दोनों नहीं रहे तब सब उनसे हमदर्दी जताने लगे उनके चर्चे करने लगे। ये दुनिया का दस्तूर है जो सदियों से चलता आ रहा इस अमीरी और गरीबी दहेज़ जैसी चीज़ो से न जाने और कितनी जाने चली गयी। पर मरने के बाद लड़की और अल्ताफ दोनों की कब्र आसपास ही थी। इसीलिए उस दिन मैंने जाना अधूरा इश्क़ ही मुक़म्मल इश्क़ होता है प्यार को पाना ज़रूरी नहीं प्यार को खो देना भी इश्क़ है ।
(कहानी सच्ची घटना पर आधारित है उस लड़की का नाम याद नहीं लेकिन उसका किस्सा हमेशा याद रहेगा ये कहानी नागपुर जिले के एक छोटे से शहर की है )