Bhawna Kukreti

Drama

5.0  

Bhawna Kukreti

Drama

मेरी जगह

मेरी जगह

4 mins
1.0K


उसका वॉट्सएप्प स्टेटस

" तुम से ही दिन होता है, सुरमई शाम आती है, तुमसे ही।"

ये एक पॉपुलर मूवी का सुपर हिट गाना था। पर अब लगता है, उसकी हकीकत पर पूरा सच बैठता था। वो जब भी मेरे पास होती उसकी पूरी दुनिया मैं होता था, उसे बस मैं ही मैं दिखता था। कभी-कभी तो डर भी जाता था उसकी दीवानगी देख कर।कहीं ये कोई बेवकूफी न कर दे अपने पागल पन मे।लेकिन उसने मेरे डर को कभी हकीकत नही बनने दिया।

वो बला की खूबसूरत नहीं थी न ही कोई खास बात थी मतलब हम लड़कों की नजर से।पर एक खिंचाव था उसमें। वो छोटी छोटी बातों से खुश हो जाती थी, रूठती भी थी तो ज़रा वक्त नही लगता था उसे मनाने मे।उसे बातों से ही बनाना बहुत आसान था।

शुरु मे मैने उसे हल्के मे लिया। एक दिन बोर हो रहा था तो यूं ही उसे हेल्लो भेज दिया। शुरु मे काफी सख्त सी लगी बाद मे अहसास हुआ की वो नारियल जैसी है।दुनिया के लिये बाहर से बेहद सख्त मगर अपनो के लिये अंदर से ...।

दिन बीतते गए, बातों की दुनिया बनने लगी।अब वो दिन भर मेरे इन्तज़ार मे रह्ती की कब मैं ऑनलाइन आऊँ और कब उस से बात करूं।मुझे भी अच्छा लगता था की कोई मेरे इन्तज़ार मे पलक पाँवड़े बिछाये बैठा है।एक बार तो मैं सिर्फ ये देखता रहा की वो कब तक मेरा इन्तज़ार करती है।वो बहुत दिन तय समय पर ऑनलाइन दिखती रही।उसे मना किया था की कुछ हो जाय न कॉल करेगी न कोई मेसेज, जब भी होगा मैं ही कॉल या मेसेज करूंगा।फिर थोड़ा तरस सा आ गया उस पर।

"हाय " मैने लिखा, उसका तुरंत रिप्लाई " तुम ठीक तो हो न? इतने दिन कोई खबर नहीं? तुमने कॉल और मेसेज को भी मना कर दिया। ऐसी बेरहमी कौन करता है?!"


उसके बाद हम मिले। वो मेन्टल जाना ही नही चाह रही थी और मुझे घर जल्दी जाना था। उसे किसी तरह विदा किया। शायद पहली बार उसका मन किसी से जुड़ा था। किसी तीर्थ पर गयी थी वहाँ से एक मन्नत का धागा मेरे लिये लेती आई। 'एज अ गिफ्ट' , भला धागा भी कोई गिफ्ट होता है? 10 रुपये मे सड़क किनारे लोग बेचते फिरते हैं। खैर जाते-जाते बहुत इमोशनल हो गई थी।उस दिन सच कहूँ कुछ महसूस तो हुआ था। पर मेरे लिये अपने एमोशन को कन्ट्रोल करना आसान था। कई बार ऐसी सिचुएशन को हैंडल कर चुका था।

अब वो हर बार मिलने की जिद करती पर अक्सर मेरे पास गुंजायश नही होती। बहुतेरे काम या कभी कोई काम न भी हो तो कोई मुझे उसके साथ देख ले तो...मेरी रेपुटेशन! न मिल पाने पर वो हर बार रूठती पर मैं मनाता और थोड़ा रो गा कर वो मान भी जाती।

उसकी बातों से लगता था कि वो सपनो की दुनिया मे रहना पसंद करती है पर मैं हकीकत मे रहना पसंद करता था।मेरी असल दुनिया में उसके लिए कोई जगह हो ही नही सकती थी। पर समय अच्छा कटता था उसके साथ इसलिए वो मेरे खाली समय का एक जरुरी हिस्सा होने लगी थी। हम लड़ते झगड़ते, कुछ प्यार की, कुछ हल्की फुल्की बातें करते थे।ऐसे ही ऑनलाइन बात करते साल बीत गया।वो अब अक्सर रूठने लगी थी।मिलने के लिये जोर देने लगी थी और मुझे उलझन भी होने लगी थी। अब ये रिश्ता बोझ सा लगने लगा था। मैने एक दिन उस से कहा " कोई रिश्ता अगर बोझ बन जाय तो....." वो सुन कर खामोश हो गयी थी।फिर जाने क्यूं उसकी हालत पर तरस सा आ गया।मैने उसे धीरे-धीरे समझाना शुरु किया। आपस मे बात करने की डयूरेशन कम करनी शुरु की। उसे धीरे-धीरे हकीकत बताई की एक भरा-पूरा परिवार है मेरा तो जो वो उम्मीद करती है वो सब पूरी नही हो सकती, उसे ज्यादा समय नही दे सकता।


उसे वो भी मंजूर था, मगर मुझसे अलग होना नहीं ! वो पक्की बेवकूफ थी ।



'उन दिनो वो मेरे ख्यालों की दुनिया की हकीकत थी

पर अब वो नही है ,न मेरी जिंदगी मे न इस दुनिया मे।'


वह मेरे सामाजिक डर को समझती थी, उसने एक बार कहा था की वो कभी मेरे पर कोई आंच नही आने देगी। उसने आखिरी दिन ( मुझे नही पता था की वो आखिरी बार बात कर रही है ) मुझसे कहा था "उसे बस मेरा साथ सुकून देता है। इससे ज्यादा की ख्वाहिश ख्वाबों मे तो होती है पर हकीकत मे वो कोई उम्मीद नही रखती।" और मैं व्यवहारिक, उसे सपनो की दुनिया मे रह्ने वाली समझता रहा।


उसके चले जाने की खबर भी मुझे काफी दिनों बाद मिली,वो भी इत्तेफाकन। जब उसकी फैमिली फ्रैंड ने उसकी पिक के साथ स्टेटस लगाया " यू वील बी इन आवर हार्ट...फॉरएवर "। पढ कर जो महसूस हुआ , वो क्या अह्सास था वो मैं क्या लिखूँ उसके लिये कोई शब्द ही नही बना।


मुझे लगता है की उसने जान बूझ कर ऐसा किया होगा।मैने उसके एमोशन को जाने अनजाने कइ बार ठेस जो पहुंचाई थी।कभी कभी कहती भी थी


" कभी मेरी जगह आओगे न ! तो समझोगे।"


मुझे नही पता था की वो अपनी जगह मुझे हमेशा के लिये दे जायेगी। हाँ , वो नहीं है तो मेरी जिंदगी मे कुछ खास फर्क नहीं पड़ा पर खाली वक्त मे कभी कभी ही ....।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama