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Harshita Srivastava

Abstract

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Harshita Srivastava

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मेरी डायरी के वो २१ दिन

मेरी डायरी के वो २१ दिन

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डियर डायरी


आज सुबह से ही सफाई में लगी रही। मन में एकसाथ कितनी भावनाएँ? कोरोना का कहर, और सब घर के भीतर और पता आज से नवरात्रि भी शुरू, हर साल की तरह इस साल 9 दिनों का व्रत ना कर पाऊँ शायद पर चलों एक दिन तो हुआ । मन में विश्वास है, माँ हमारी प्रार्थना जरुर सुनेंगी। सुन! तुझे राज की एक बात बताऊँ?

बोल ना देना किसी से।

कहते हैं किया हुआ दान, व्रत, प्रेम बताया नहीं जाता ... अरे! नज़र लग जाती है...पर तू तो सहेली है मेरी...

जाने कब से अपना हर एक छोटा बड़ा दर्द तुझे बयान किया है... और सच एक दफा तुझे बता लूं... तो जेहन को आराम कितना होता है, तू नहीं समझेगी।


अच्छा, ओफो.. कितनी बातूनी हूँ ना मैं......

आज ना यूँ ही बीते दिन याद आ गये। यूँ ही सब कब बदल गया ना?

लोगों में कितना शोर है ना कोरोना कराना... और मैं खुद कितना ख्याल रख रही!

पर कुछ दर्द मौत के डर को कितने हद तक कम कर देते है ना.....


ईश्वर जल्दी सब अच्छा करे। मैं अपना रोना ले बैठी और यहाँ सरकार जनता इतना परेशान हैं. ओहो! नींद आ रही... प्रिये... शेष कल... हाँ वो राज की बात भी....

शुभ रात्रि


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