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Archana Pati

Romance

3  

Archana Pati

Romance

मेरे हमसफ़र

मेरे हमसफ़र

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अंश अपने घड़ी को पहनते हुए जल्दबाजी में मेट्रो की सीढ़ियों से स्टेशन की और जाता हुआ, कि तभी पीछे से एक धक्का लगता है और आवाज आती है...

"ओ हेलो मिस्टर, एक तो अपना आधा काम रास्ते में कर रहे हो, और ऊपर से चल भी नहीं रहे जल्दी !" परेशान होती हुई प्रिया अपने मोबाइल को उठाते हुए बोली ।

अंश तभी अपने स्पेक्ट्स को ठीक करते हुए, " ओ मैडम, मैं अपने रास्ते ही था ... यू आर स्ट्रेंज, क्योंकि यहां तो उलटा चोर कोतवाल को डांटे...खुद की नजरें इतनी कमज़ोर की आपको बंदा दिख ही नहीं रहा, बस चले जा रही हो अपने धुन में... डोंट यू हैव ऐनी कॉमनसेंस?"

"अच्छा, तो मुझमें आपको इतनी कमियां नजर आ रही है अब खुद की गलती तो इग्नोर ही कर दिया आपने... वाउ, वेल डॉन"...प्रिया ने मेट्रो की और बढ़ते हुए कहा।

तभी अंश ने कहा, "अरे जाओ जाओ ...कहां का गुस्सा कहां निकाल रहे लोग उनको ही नहीं पता"...


दोनों लंबी बहस के बाद उसी मेट्रो में बैठकर अपनी अपनी मंजिल को ओर चल दिए, मगर नजरों से तकरार अभी जारी थी दोनों की।

अंश पेशे से एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर है और काफ़ी मेहनती है...उसके परिवार वाले अब चाहते हैं कि उसे अब उनके सुपुत्र के हमसफ़र ढूंढने का वक्त आ गया है, तभी तो पिछले दो सालों से सब ये चाहते हैं कि अंश को कोई तो पसंद आ जाए...परंतु हर बार जनाब कोई न कोई बहाना बनाकर टाल ही देते...ठीक इसी तरह की हालत प्रिया की भी थी ।

मगर प्रिया पहले अपने जीवन में कुछ पाना चाहती थी जिससे वो सबको यकीन दिला सके कि हुनर भी पेशा बन सकता है, मगर हमारे यहां तो लड़की कोबेक उम्र के बाद सिर्फ यही सवाल पूछा जाता है...बेटा और फ्यूचर प्लान्स क्या है...इस गलतफहमी में मत रहिएगा कि उसे ये पूछा जा रहा कि पढ़ाई या नकौरी की प्लानिंग्स... अजी नही, इसका मतलब है बताओ शादी का क्या सोचा है...इन सवालों से तंग आकर प्रिया दिल्ली चली आई है और अपना मुकाम बनाना चाहती है...परंतु यहां भी चाची जी हर दूसरे दिन कोई न कोई लड़के को पसंद कराने के चक्कर में न जाने अब तक कितनों की तस्वीर से रूबरू करवा चुकी हैं ।


वहां अंश हर बार कोई न कोई बहाना बना ही लिया मां के सामने..."मां, नॉट अगेन... प्लीज़" ।परंतु मां तो मां है न आखिर तो इस बार उन्होंने किसी भी तरह इमोशनल करके अंश को मन ही लिया मधु मासी के जान पहचान की एक लड़की से सीधे कैफे में मीटिंग फिक्स करवा दी । बेटा क्या ही करता, मां के लिए आखिर हां करना ही पड़ा ।

उधर प्रिया की चाची ने वार्निंग ज़ारी कर दी, " देखो प्रिया , इस बार भी यदि "ना" हुई ना तुम यहां तो कतई नहीं रहोगी ...चाची जी का इतना कहना था कि प्रिया का चेहरा उतर गया क्योंकि अभी तो उसने इंटर्नशिप ज्वाइन की थी, और अभी अभी चाची का फ़रमान...उसने भी सर हिलाया और फिर निकल गई मेट्रो की ओर ।

कहते है न, कभी कभी आप किसी अजनबी से टकराते हैं...तो उससे एक कनेक्शन सा जुड़ जाता है।

ऐसा ही कुछ हो रहा था हमारे कहानी के किरदार अंश और प्रिया के साथ भी ।

कशमकश तो दोनों के मन में चल रही थी...प्रिया ऑफिस से लौटते वक्त सोच रही थी न जाने क्या होगा इस बार...चाची जी तो और ताने मारेंगी , क्योंकि उसके पहले के अनुभव बहुत खराब रहे हैं, जब भी कोई उसे देखने आता । हमारे यहां व्यक्ति से ज्यादा महत्व दिया जाता है बाहरी सुंदरता को... फिर एक दिन अचानक कोई आता है और आपमें सौ नुक्स निकल जाता है... जिससे शायद हम खुद भी अनजान होते है।

अंश भी आज जल्दी जल्दी मेट्रो की और भागा...आखिरकार भागते भागते कैफे में पहुंच गया...देखा तो वहां पहले ही कोई मोहतरमा बैठी हुई थी, अंश ने जरा बाल सेट किया और परफ्यूम छिड़क कर टेबल की और बढ़ा ।

एक्सक्यूज़ मी ! ... हाय, आई एम अंश ।

हैलो अंश, आई एम प्रिया ...

वो जैसे ही पीछे मुड़ी और अंश को देखा प्रिया खड़ी हो गई और अचरज से बोली...

तुम....

अंश का भी वैसा ही रिएक्शन था... ओएमजी !

तुम...

तुम ना जरूर गलत जगह बैठी हो ...आई थिंक

ऐसा तुम्हे लगता है अंश...आई हैव चेक्ड इट ऑलरेडी...चाची जी ने पहले बताया होता तो मिलती ही नहीं...तुम जैसे से

वेट वेट...क्या बोला, "मुझ जैसे से क्या मतलब..."

तुम कोई अलग प्लानेट से हो क्या मिस प्रिया...कहकर अंश हँसने लगा। दोनों की बहस चलने लगी और कैफे के लोग उनको ही देखने लगे ...तब अंश ने बात संभाली... प्रिया को पानी दिया और बैठने को कहा....फिर इशारे से समझाया कि लोग उनको ही देख रहे है , तब प्रिया भी समझ गई की आराम से बात करने में ही भलाई है ।

अब दोनों


साहित्याला गुण द्या
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