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Archana Pati

Romance

4  

Archana Pati

Romance

तुम्हारा साथ

तुम्हारा साथ

2 mins
450

रोज़ की तरह आज भी ऑफिस जाने के लिए गीता जी अपने पति के लिए गरमा गर्म चाय का कप हाथ में लिए लिविंग रूम की तरफ बढ़ने लगी, और उधर कमरे में अनिल जी बेसब्री से नज़रें गड़ाए बैठे थे घड़ी की टिक टिक की ओर । 

गीता : "ये लीजिए आपकी ग्रीन टी...वैसे आप आज भी जाएंगे क्या ऑफिस?" (मुस्कुराते हुए)

अनिल : "गीता जी ज़रा बता दें आपको ना हम रिटायर हुए हैं और ना हमारा आपके प्रति प्रेम "(मुस्कुराते हुए) !!

गीता : "ये देखो ज़रा, इश्क जवां है अभी भी"(हा - हा)...

"कभी नहीं बदलेंगे आप !"

अनिल : "एलेक्सा प्ले - जवां है मोहब्बत "(गीता जी का हाथ अपने हाथ में लेते हुए)

गीता : ( अपने पति के आंखों में देखते हुए) "इतने सालों में भी आप बिल्कुल वैसे ही हैं जैसे कॉलेज के पहले दिन मुझसे मिले थे अनिल । आप जानते हैं मेरे लिए सबसे अनमोल क्या है और क्यों मैंने आपके साथ रिटायरमेंट ले लिया?"

अनिल : "बता ही दीजिए आप ...इतना सस्पेंस?"

गीता : "क्यूंकि मुझे चाहिए आपका साथ हर पल ठीक वैसे ही जैसे हम कोलकाता में कॉलेज के वक्त रहते थे, मुझे फिर से जीना है आपके साथ इस सफ़र को भी और साथ चलना है आपके जैसे आज तक आप चलते आए हैं मेरे साथ ।"

दोनों एक दूसरे के गले लग गए और दोनों के आंखों मै ख़ुशी के आंसू थे ।उम्र के हर पड़ाव में यदि एक दूसरे का साथ रहता है तो जीवन का हर सफ़र सुहाना सा लगता है ।



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