मेरे अपने

मेरे अपने

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रागिनी की शादी को 15 साल हो चुके थे, पिता रिटायर हो गए थे, छोटा भाई अपाहिज था, बहन किसी तरीके से कमा के पेट भर रही थी, रागिनी ने अपने पति को कभी समझाया ही नहीं क्या समझाती उसने तो हमेशा से दबना सीखा है। पति ही सब कुछ था, बहुत प्यार है मुझसे, माँ बोलती है पति ही सब कुछ, पति ही देवता है।

अचानक रागिनी का फोन बजा फोन उसके मायके से था, पिता की तबियत बिगड़ गई थी, रागिनी ने पति से कहा कि चलो जी पापा को देख आते हैं।

"अरे अभी फुर्सत नहीं, दुकान खुली है ,शाम को शादी में भी जाना है हम कल चलेंगे।"

रागिनी चुप हो जाती है, माँ से बोलती है कि वो कल आएगी। उधर पिता अस्पताल में भर्ती हो जाते हैं लीवर में उन्हें बहुत तकलीफ हो जाती है।

दूसरे दिन का इंतजार रागिनी को उलझन में उलझा देता है। पिता से मिलने के लिए वो तैयार होती है कि पति का फोन आता है कि रात में चलेंगे। वो फिर से रात का इंतजार करती है।

रात के 12 बज जाते हैं पति घर आता है, पत्नी से बताता है वो बहुत थका है। रागिनी घर पर फ़ोन करती है पता चलता है पिता ठीक हैं अब।

रागिनी रसोई में खाना बना रही थी कि अचानक सोचती है कि क्या हुआ ऐसा, मेरे पति तो बहुत अच्छे हैं ज़रूर उनकी मजबूरी होगी इसलिए नहीं गए पापा को देखने। रागिनी सोच ही रही थी कि अचानक से सास ने आवाज़ दी रागिनी एकदम से उनकी तरफ़ बढ़ी थी कि आँगन में पानी फैलने की वजह से फिसल गई,और गिर गई। उसके पैर में मोच आ गई।अब वो सोचती है कि पिता को अब कैसे देखने जाऊं।

शाम का वक़्त था, रागिनी बिस्तर पे चाय पी रही थी कि अचानक से घर की घण्टी बजती है उसके पिता, माँ और बहन सामने खड़े मिलते हैं।

रागिनी चौंक जाती है, "पिताजी आप तो बीमार थे आप कैसे ?

बेटा अभी अभी डिस्चार्ज हुआ तेरी माँ को तूने फ़ोन करके बताया कि तू गिर गई है तो हमलोग तुझे देखने आ गए बेटा कैसी है तू ?

रागिनी पिता के गले लगी बहुत सारी बातें हुईं फिर सब धीरे धीरे जाने लगे।

रागिनी सब को देख रही थी सब जा चुके थे।


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