मेरा हक कब मिलेगा
मेरा हक कब मिलेगा
हम सब कभी न कभी बीमार हो जाते हैं। जब आप एक नन्ही सी गुड़िया थीं... बीमार होने पर आपकी मां कितना ध्यान रखती थीं ,कब सोना है, कब दवाई देनी पड़ेगी और खाने पीने का, सबका ख्याल मां को था।
इसी के साथ हम बड़े हो गए, शादी हो गई, शादी के शुरु में सबके के साथ अच्छा ताल मेल हो जाता है लेकिन धीरे धीरे सब सपने अपने असली रूप में आ जाते हैं।
अब सच्चाई यह यह है कि आप बीमार नहीं हो सकती???
आप बहू हैं सारे घर की जिम्मेदारी आप पर निर्भर है। घर के अंदर सबकी जरूरत को पूरा करने से लेकर पति तक को खुश करने तक की, जब आपके साथ पूरा परिवार है।
घर में कोई भी बीमार हो जाए आपको सेवा करनी है ये आपका फर्ज़ है।अपने बच्चों के साथ समय का पता ही नहीं चलता कब सुबह से शाम हो जाती है। अब आप बीमार हो गए तो सबके लिए मुसीबत हो जाती है।
कोई बीमार हो जाए तो वह बिस्तर से नहीं उठेगा सब कुछ उसे वहीं लाकर दो, खाना,दवाई, और ऊपर से आने जाने वालों को भी सत्कार, चाय, पानी! बहू बिचारी क्या क्या करे ? बहू ये लाना, वो देना, कौन आया, चाय बना दे, अरे ,यह छोटू रो रहा है इसे भी देख ले,खाना बना दिया क्या तेरे पापा जी को भूख लग गई है, और ना जाने कितने काम!
फिर पति देव का कहना क्या करती हो दिनभर?
आज वो दिन आ ही गया, आज बहू को बुखार हो गया सब परेशान हैं कि कौन कौन सा काम करे! सबको परेशान देखकर आराम भी नहीं हो रहा लेकिन शरीर साथ नहीं दे रहा, फिर भी शरीर को हराकर खड़ी हो गई... अपने ना सही अपने बच्चों और परिवार के लिए अपनी बीमारी को भी हरा देती है।
"भगवान ने हम बहुओं को विशेष ताक़त से नवाजा है" इस वजह से हम अपने कर्तव्य को पूरा करने में लगी रहती हैं। लेकिन हम जब सास बन जायेंगी तब ये गुण हमारी बहुरानी में आ जायेगा।
फिर वह बहू भी कभी बीमार नहीं होगी और उसे अपना हक मिल जाएगा।