मेरा दोष नहीं
मेरा दोष नहीं
लड़के या लड़की के जन्म के पीछे मेरा (औरत) कोई दोष नहीं होता परमात्मा ने सिर्फ मुझे बच्चे को गर्भ में नौ माह तक पालन पोषण व सहेजने की जिम्मेदारी दी है। यह बात भी सत्य है कि मैं ही लड़की या लड़के को जन्म देती हूॅं शायद इसलिए मैं ही दोषी कहलाती हूॅं परंतु बीज का रोपण पुरुष के द्वारा ही किया जाता है अर्थात मेरे पास सिर्फ एक्स-एक्स क्रोमोजोम पाए जाते हैं परंतु पुरुष में एक्स और वाई दोनों क्रोमोजोम पाए जाते हैं। जब पुरुष का एक्स क्रोमोजोम मेरे एक्स क्रोमोजोम से मिलता है तब एक बालिका का जन्म होता है परंतु जब पुरुष का वाई क्रोमोजोम मेरे एक्स क्रोमोजोम से मिलता है तब एक बालक जन्म लेता है अर्थात में तो लड़के और लड़की दोनों को जन्म देने की क्षमता रखती हूॅं पर वास्तविकता में यह निर्भर करता है कि पुरुष किस क्रोमोजोम को मुझे उधार देता है उसके आधार पर ही उस नवजात के जन्म की प्रक्रिया तैयार होती है , लेकिन हमारा समाज पुरुष प्रधान समाज होने के कारण पुरुष के दोषारोपण भी महिलाओं पर ही मढ़ दिए जाते हैं।
अब भला इसमें मेरा क्या दोष है मेरे लिए तो परमात्मा ने सिर्फ एक्स एक्स क्रोमोजोम ही दिये है लेकिन पुरुष के पास एक्स और वाई दोनों क्रोमोजोम होते हैं तो यह निर्भर पुरुष की प्रक्रिया पर करता है कि वह मुझे क्या क्रोमोजोम उधार देकर चाहता है उसके आधार पर ही किसी भी नवजात का जन्म तय होता है लेकिन जन्म के पश्चात दोषारोपण पूरी तरीके से सिर्फ मेरे ऊपर मढ़ दिया जाता है लेकिन यथार्थ सत्य को कोई भी समाज में स्वीकार नहीं करता है। लेकिन सत्यता यही है कि लड़का या लड़की के जन्म की पूरी जिम्मेदारी सिर्फ और सिर्फ पुरुष की होती है मैं तो सिर्फ उससे बीज को अंकुरित कर नन्हे पौधे के रूप में संजोकर जन्म देती हूॅं। इसमें मेरा कोई दोष नहीं है यदि दोष है तो सिर्फ और सिर्फ पुरुष के क्रोमोजोम का है। तो क्या .....हमारा समाज पुरुष को इसके लिए जिम्मेदार ठहरायागा...... शायद नहीं ....... क्योंकि समाज आज भी पुरुष प्रधान समाज है ....... पर यकीन मानिए इसमें मेरा कोई दोष नहीं है।
औरत, जो मर्द के भरोसे का शिकार हो गई।
शोषण का किया विरोध तो गुनहगार हो गई।।
बाबुल का घर छोड़ देती जिसके भरोसे,
सहनशीलता इसकी आज लाचार हो गई।।