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V. Aaradhyaa

Inspirational

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V. Aaradhyaa

Inspirational

मदद वाले हाथ

मदद वाले हाथ

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आज अभिलाषा को सदर बाजार से सामान खरीदते हुए थोड़ी देर हो गई और उसने साप्ताहिक बाजार से सामान भी बहुत ले लिया था, इसलिए सोच रही थी कि आज मेट्रो से ना जाकर ऑटो कर ले|


सामान के सारे बैग को संभालकर रख ही रही थी कि सामने एक ऑटो आकर रुका |

अभिलाषा ने उसे अपनी आशियाना सोसाइटी चलने बोला तो वो राज़ी हो गया. ज़ब पूछा किराया कितना लोगे तो बोला, दीदी! जो उचित समझे दे दीजियेगा|

उसके बाद अनिता एक एक करके सामान रखने लगी तो उसे बहुत आश्चर्य हुआ ज़ब वो खुद नीचे उतरकर एक एक करके सारा सामान ऑटो में रखने लगा.


सारा सामान रखकर ऑटो में बैठी ही थी कि सामने से भुट्टेवाला ठेला लेकर गुजर रहा था, उसने आवाज़ लगाई पर उसने सुना नहीँ शायद बाजार के शोर की वजह से अभिलाषा की आवाज़ उस तक नहीँ पहुँची और अभिलाषा इतना सारा सामान लेकर बैठी थी कि उसका इस वक़्त उतरकर भुट्टे लेने में बहुत परेशानी हो जाती! ऑटोवाले ने शायद अभिलाषा की परेशानी भाँप ली थी इसलिए पीछे मुड़कर बोला, कितने भुट्टे चाहिए? अभिलाषा ने कहा चार तो वो उतरकर दौड़कर भुट्टेवाले के पास गया और ठेले पर पहले से सिंके रखे हुए भुट्टों में से चार उठा लाया!

अभिलाषा उसे पैसे देने लगी तो उसने कहा ज़ब आप उतरने लगेंगी तो किराये के पैसे में भुट्टे का दाम भी जोड़कर दे दीजियेगा!


अब अभिलाषा ने उसे गौर से देखा तेईस चौबीस साल का वह युवक देखने में किसी अच्छे परिवार का लगता था, और आचार व्यवहार से भी काफ़ी सभ्य लग रहा था!

पता नहीँ क्यूँ उस युवक को लेकर अभिलाषा की उत्सुकता बढ़ती ही जा रही थी! आखिर उसने पूछ ही लिया,


"तुम देखने में तो पढ़े लिखे लगते हो फिर ऑटो क्यों चलाते हो?"


"क्या करें दीदी हमें कोई नौकरी नहीँ देता! अनुभव जो नहीँ है. ग्रेजुएशन फर्स्ट ईयर में था तब एक सड़क दुर्घटना में पिता का देहांत हो गया!बस तबसे ऐसे ही ऑटो चलाकर माँ और दो छोटी बहन और और एक भाई का पेट पालता हूँ!


फिर उसने आगे बात बढ़ाते हुए बताया कि वह पढ़ने में बहुत अच्छा था और गणित उसका प्रिय विषय था. साथ ही ज़ब उसने अपने स्कूल का नाम बताया तो वो चौंक गई! उसके दोनों बेटे भी तो इसी स्कूल में पढ़ते थे!और करण त्रिपाठी ये नाम भी सुना हुआ लग रहा था. उसने याद करने की कोशिश की तो याद आया ये नाम उसने बच्चों के स्कूल के रिसेप्शन से लगे हुए हॉल में डिस्प्ले बोर्ड पर बारहवीं के टॉपर्स लिस्ट में देखा था!


अब अभिलाषा सोचने लगी कि भाग्य भी कैसे कैसे खेल दिखाता है. अगर यह लड़का पढ़ लिख जाए तो इसका भविष्य सुधर सकता है, और अगर आगे ना पढ़ पाए तो ज़िन्दगी भर ऑटो चलाता रहेगा और एक प्रतिभा नष्ट हो जाएगी!बहरहाल ऑटो अब उसकी सोसाइटी में प्रवेश कर चुका था !अब तक अभिलाषा ने करण को नहीँ बताया था कि उसके बच्चे भी उसी स्कूल में पढ़ते हैँ जहाँ वो पढ़ता था!


घर के पास ज़ब ऑटो रुका तो अभिलाषा ने उसे कुछ एक्स्ट्रा पैसे देने चाहे तो उसने सिर्फ उतने ही पैसे लिए जितने बाकी ऑटोवाले लेते हैं!फिर अभिलाषा ने उसका मोबाइल नंबर ले लिया यह कहते हुए कि अगर कभी ज़रूरत होगी तो उसे बुलाएगी!


घर आकर रात का खाना बनाने में व्यस्त हो गई पर दिमाग में यही चल रहा था कि करण की मदद कैसे करे ताकि वो पढ़ भी सके और अपने घर का खर्चा भी चला सके!इतने में उसके पति आ गए तो वह व्यस्त हो गई!


रात को खाना खाकर ज़ब बच्चे सोने चले गए तो उसने आलोक को करण के बारे में बताया तो आलोक ने बड़े ध्यान से सुनते एक संभावना बताई कि अक्सर उसके ऑफिस में मीटिंग वगैरह देर तक चलती है तो ऐसे में अकाउंटें की कभी ज़रूरत पड़ जाती है तो वो लोग उस काम को अगले दिन पर टाल देते हैं क्योंकि तब तक सारा स्टाफ जा चुका होता है! आलोक चाहे तो शाम पाँच बजे से रात दस बजे तक के समय के लिए उसे अपने ऑफिस में काम पर रखवा सकता है! सुनकर अभिलाषा बहुत खुश हुई क्योंकि वो यह मानती थी कि शिक्षा सबका

अधिकार है!


तभी आलोक ने एक और बात कहते हुए आशंका जताई! उसने अभिलाषा को कहा,


"और एक बात, करन को बीच बीच में चाय पानी भी देना पड़ेगा और हिसाब किताब भी देखना पड़ेगा. कहीं वो इस काम को चपरासी का काम तो नहीँ समझेगा!


अब अभिलाषा भी सोच में पड़ गई. लेकिन वह खुश भी थी कि अगर कुणाल आलोक के ऑफिस में शाम की ड्यूटी संभाल ले तो वह दिन में अपने कॉलेज में पढ़ सकता है और शाम को ऑफिस में काम करके घर का पालन पोषण भी कर सकता है!


सुबह अभिलाषा ने करण को फोन करके शाम को आठ बजे के लगभग अपने घर बुलाया क्यूँकि आज आलोक भी घर आ गया था. ज़ब उन्होंने करण को पूरी बात बताई तो वो बहुत खुश हुआ. ख़ुशी के मारे जैसे उसकी आँखें भर आईं।

करण ने उनदोनों को बताया कैसे उसकी माँ और बहन उसकी पढ़ाई छूटने से दुखी रहते और उन्हें करण का ऑटो ड्राइवर बन जाना एकदम पसंद नहीँ था. उसके पापा उसे चार्टर्ड अकाउंटेंट बनाना चाहते थे! पर किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था!


आगे आलोक ने बॉस से बात करके एक औप चारिक मुलाक़ात करवा दी और उसके अच्छे एकेडेमिक रिकार्ड और व्यवहार को देखते हुए उसे नौकरी पर रख लिया!

काम के पहले दिन ही उसे लगन से काम करता देख आलोक को ख़ुशी हुई! उसने घर आकर यह बात ज़ब अभिलाष को बताई तो वह भी बहुत खुश हुई!


ज़ब पहली तनख्वाह मिलने पर करण मिठाई का डब्बा लेकर देने आया तो उसने बताया अब उसका कोलेज़ में एडमिशन हो चुका है!पिछले एक सप्ताह से उसने क्लास भी जाना शुरू कर दिया है और माँ, बहन, भाई सब बहुत खुश हैं.करण बार बार कृतज्ञता जता रहा था तो अभिलाषा ने कहा,


"मैंने तो सिर्फ तुम्हारी मदद की है, एक रास्ता दिखाया है बाकी अपनी मंज़िल तक तुम्हें अपनी लगन और मेहनत से ही पहुँचना होगा!"

करण के जाने के बाद अभिलाषा सोचने लगी, अगर ऐसे ही हम थोड़ा अपना हाथ किसी की मदद के लिए बढ़ा दें तो कई हाथ बढ़ जाते हैं.


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