मैं ज़िंदा आदमी हूँ
मैं ज़िंदा आदमी हूँ
उसने फिर से सवाल किया "तुम उसे क्यों नहीं भूल जाते?" मै उसे बेहद प्यार करता था और किसी भी कीमत पर प्यार करना चाहता था। दंगाईयों ने एक घंटा पहले उसे उसके घर से उठा लिया था। मैं जानता था कि वह उसे मार देंगे लेकिन बलात्कार के बाद.... वह इसीलिए उस मकान में उसे क़ैद कर रखा है। इस वक्त वह छः लोग उसकी रखवाली कर रहे थे। वह भारी-भरकम, लंबा आदमी जो मुझे समझा रहा था, उसने मूंछ वाले से कहा "पेशाब करके आता हूँ, अगर यह जाता नहीं है और कुछ भी इधर-उधर करता है तो गोली मार देना। साले को अब तक इस लिए छोड़ रखा था कि अपने धर्म का है।" मैंने भी तय कर लिया था कि कुछ भी बुरा होने से पहले मैं उसे छुड़ा लूंगा, चाहे जान लेनी पड़े या देनी पड़े।"
मैंने देख लिया कि वह मुझे मारने की तैयारी कर रहे थे। रिवाल्वर में उसने छः बुलेट्स डालकर घुमाया। जैसे ही हाथ ऊपर की ओर करके खिड़की में उसकी डरी हुई निग़ाहों में निग़ाह डाल कर मुस्कुराया, मैंने रिवाल्वर छीन लिया था।

