बरगद
बरगद
बरगद का यह पेड़ पिता जी के बचपन में भी था। दादी ने बताया जब वह ब्याह कर आईं तब इस तमाम तरह की चिड़िया आ कर बैठती थीं। उनमें बगुले काफी संख्या में होते थे। मैंने खुद इसके तने और शाखाओं पर पक्षियों को बैठते देखा है।आज बेटे ने पूछा " पापा ! यह बूढ़ा कब होगा ? उसके मासूम सवाल को सुनकर मुझे याद आया कि मैंने अपने बचपन में भी यही सवाल पिताजी से किया था। उन्होंने कहा था "जब एक नन्हा बरगद इसके नीचे जन्म ले लेगा और बरगद को भरोसा हो जाएगा कि नन्हा बरगद बड़ा होकर लोगों को छाया देने लायक हो जाएगा तब बूढ़ा होना शुरू हो जाएगा।"
नन्हा बरगद आज तक नहीं जन्म ले सका। मैं सोचता हूँ पिताजी ने मुझसे ऐसा क्यों कहा था। शायद उन्हें अंदाजा नहीं रहा होगा कि कुछ ही सालों में इसके नीचे सड़क बन जाएगी और इसके बीज को अंकुरित होने का मौका नहीं मिलेगा।
बेटे ने टोका "पापा ! कब बूढ़ा होगा ?" मैंने उदास हो कर कहा "अब कभी नहीं।" उसने फिर पूछा "आप उदास क्यों हैं ?" मैंने कहा " सरकार पेड़ों को कटवा रही है। कल इसकी बारी है।" उसकी आँखें गीली हो गईं।
