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Crazy Kudi

Abstract

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Crazy Kudi

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मैं उड़ना चाहती हूँ,

मैं उड़ना चाहती हूँ,

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हाँँ ! मैं उड़ना चाहती हूँ, 

गिरना चाहती हूँ, गिरकर उठना चाहती हूँ

पर मैं रुकना नही चाहती,बस उड़ना चाहती हूँ

जैसे कोई पंछी आसमान में ऊँची उड़ान भरता है

वैसे ही वो ऊँची उड़ान भरना चाहती हूँ, 

मैं पंछी जैसे उड़ना चाहती हूँ..बेखौफ, बेफिक्र,बेपरवाह, निडर होकर रहना चाहती हूँ

मैं तो अपनी जिंदगी जीना चाहती हूँ, मैं पंछी जैसे उड़ना चाहती हूँ..रास्ते में रुकावटें कई हैं, सबको जवाब देना है, हर पल को जी जान से जीना है

आसमांं को चीरते हवाओं में उड़ते समंदर में

उतारकर एक बूंद जैसे जल बन जाती है,

वैसे ही रिश्तों को छोड़कर, रुकावटों की जंजिरो को तोड़कर, अपनी जिंदगी की हर लड़ाई मैं जीतना चाहती है, मैं पंछी जैसे उड़ना चाहती हूँ...

समाज के रीति रिवाजों से परे मैं अपनी एक नई दुनिया बनाना चाहती हूँ जहाँँ मैं आजादी की जिन्दगी जी सकूं

अपने तरीके से, जहाँँ कोई रोक-टोक न हो जहाँँ कोई मर्यादा न हो, जहाँँ कोई भेदभाव न किया जाए.. 

एक ऐसी दुनिया जहाँँ पंख फैलाकर उड़ा जाए

और हर एक मुमकिन मुकाम मैं हासिल करना चाहती हूँ। मैं पंछी जैसे उड़ना चाहती हूँ ..मेरी जिंदगी को मुझसे ज्यादा समाज ने जिया और हर एक रिश्ते, रीति, रिवाज का जहर मैंने पिया,हर एक कदम पर मुझको सुनाया जाता जीना कैसे है ये सिखलाया जाता

की "तू लड़की है "

ये हर बार हर बात पे मुझे याद दिलाया जाता, 

इन्हीं लोगों की सोच को वो बदलना चाहती हूँ, 

मैं तो बस पंछी जैसे उड़ना चाहती है..उसके पहनावे पर लोग उसे नीचा दिखाते हैं चार लोगों को साथ में लेकर उस पर टिप्पणियों की बरसात करवाते हैं

इन सब को सुनकर, अनदेखा करके मैं तो बस आगे बढ़ना चाहती है। बस पंछी जैसे उड़ना चाहती हूँ।


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