मैं सामान नहीं ...

मैं सामान नहीं ...

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मोनू ओ ! मोनू ! कब तक तैयार होते रहोगे | जल्दी जाओ गाड़ी बराबर समय पर है | स्टेशन समय पर नहीं पहुँचे तो बुआ आसमान सिर पर उठा लेंगी | बंद कमरे से आवाज आई - जा रहा हूँ माँ | शर्ट ठीक करता हुआ वह बाहर आया और माँ के गले में झूल गया | फिर वही बचपना, अब जा भी | रेखा ने कहा | मोनू ने तिरछी आँखे करते हुए कहा मुझे पता है माँ, आपके हाथ पाँव क्यों फूल रहे हैं, आप बुआ से डरती हो | हट परे उसका हाथ छुडाते हुए रेखा ने कहा, डरती नहीं रे मैं उनका आदर करती हूँ | उन्होंने ही तो सिखाया है समय की पाबंदी | बाय माँ बाय... | ठीक है | ध्यान से जाना, गाड़ी तेज मत चलाना, और हाँ सिग्नल मत तोड़ना, रेखा की चेतावनी नुक्कड़ तक मोनू का पीछा करती रही | मोनू चला गया भागवान ! ड्राइंग रूम में बैठे शर्मा जी की गंभीर आवाज ने रेखा को चेताया | मुस्कुराते हुए एक कप चाय की फरियाद की | हमें भी चाय मिलेगी ? आप तो ऐसे बोल रहे हैं जैसे कैदी फरियाद करता हो | 25 सालों से तुम्हारी कैद में ही तो हूँ मेरी जोहराजबी | रेखा के होठों पर हल्की सी मुस्कुराहट फैल गई माथे की सिकुड़ी की रेखाएं कुछ सीधी हुई | बुआ के गृहप्रवेश करते ही चहल-पहल होने लगी | रेखा ने जरा सा पल्लू सरकाया और कहने लगी जीजी पाये लागूं | सुखी रहो | बुआ ने ढेरों आशीष दे डाली | बुआ जी के पिटारे से उपहारों के साथ हँसी- खुशी, सुख दुख, शिकवे शिकायतें एक- एक कर बाहर निकलने लगे | यादों की रेल जो वक्त के पीछे छूट गई थी, अब बुआ और पापा के बीच पटरी पर फिर से दौड़ने लगी | रेखा हाथ पोंछते हुए रसोई से निकल कर आई और कहने लगी, जीजी आप अब नहा धो लीजिए गरमा गरम खाना तैयार है | मोनू उपहार देखते हुए कहने लगा, आपकी पसंद की मेथी की सब्जी और मिस्सी रोटी बनी है बुआ जी | बुआ ने दोनों हाथों से घुटने थामे | भीगी लकड़ी से गुटने लरज पड़े | सब ने भोजन किया | अब बुआ ने पूछा अच्छा गिरधारीलाल यह बता कब आएगी बिटिया ? गिरधारी लाल जी ने कहा शाम को दस बजे आएगी जीजी | बुआ को यह बात कुछ जँची नहीं | यह भी कोई टेम हुए है आने का | कभी छोरी भी दिन ढले घर से बाहर रहे है भला? अंधेर हैं | उनके होठ बगावत को उतर आए | रेखा ने स्थिति भाँप ली और उन्होंने हाथ आगे बढ़ाते हुए कहा अब आप आराम कर लीजिए जीजी | आइए सरसों का तेल मल देती हूँ | हाँ चल भई कहते हुए उन्होंने रेखा की ओर हाथ बढ़ाया|

रविवार के दिन सारा परिवार एक साथ भोजन करता है | इस आपाधापी में दो पल भी अपनों के साथ मिल जाए तो क्या कम हैं ? कभी-कभी मन में हूक सी उठती है आखिर हम भी बेहताशा कहाँ भागे जा रहे हैं, खैर रसोई से देसी घी में बने दाल बाटी चूरमे की भीनी-भीनी खुशबू आ रही थी | रेखा ने कढ़ी में मेथी और हींग का छौंक लगाया | मोनू ड्राइंग रूम से ही पूछ बैठा माँ गट्टे की सब्जी बनी कि नहीं पेट में चूहे कूद रहे हैं | बेटे की इस आतुरता पर शर्मा जी मुस्कुरा दिए | बुआजी भी राम राम जपते आ गई | बातों का सिलसिला चल पड़ा | गिरधारी, छोरी समझदार हो रही है अब ब्याह कर ही दो | उदयपुर वाले सोहनलाल जी हैं ना ! उनका लड़का है | वो के कहे हैं आटी आटी .. गिरधारी जी मुस्कुराने लगे   आईआईटी जीजी | हाँ हाँ वही | घणों कमावे है, ऊँचा लोग हैं म्हाने तो पसंद है | क्यों नहीं जीजी रिश्ता तो करना ही है | बात कर लेते हैं | उन्होंने रेखा की ओर देखा सच में आज खाना बहुत अच्छा बना जीजी आपका ही प्रताप है| उन्होंने शरारत भरी नजरों से रेखा को टटोलना चाहा | रेखा आँखे तिरछी कर देखने लगी, तारीफ मिल चुकी थी | आज भी रेखा एवं शर्मा जी ने ‘भरे भुवन में करे नैनन सो बात’ वाला दोहा जीवन में उतार रखा है  | एक दूसरे से व्हाट्सएप पर प्रशंसा करना तो ठीक है लेकिन जब एक दूसरे की आँखे बोलती -सुनती हैं तब भावनाओं का फैलाव मजबूत हो जाता है |

एक शाम शर्मा जी बड़े खुश थे | उन्होंने सबको बुलाया और कहा कि हमारी रीमा के रिश्ते की बात की थी ना, वे रीमा को देखने अगले रविवार आ रहे हैं | अच्छा खातापीता खानदान है तो, भगवान की दी दाल रोटी की कमी हमारे पास भी नहीं है | हर काम आराम से हो जाए बस और क्या पैसों का अचार डालना है | शर्मा जी ने कहा रेखा ! यह सब तो अपने संस्कार हैं कि थोड़े में संतुष्ट होना ही सीखा है, वरना लोगों के तामझाम के आगे हम क्या हैं ? वह तो तुम मुझसे अच्छा जानती हो | अरे आओ रीमा बिटिया | पढ़ाई लिखाई कैसी चल रही है बेटा ? फर्स्ट क्लास चल रही है पिताजी | अब तो नौकरी भी जल्दी ही मिल जाएगी | अच्छा सुनो रीमा इस रविवार ऋतिक के घर वाले तुम्हें देखने आने वाले हैं | ‘देखने ’ रीमा की गर्दन मुड़ी और चढ़ी भवों ने अनगिनत प्रश्न दाग दिए | बुआ ने कहा अरे देखने में बुराई के है ? मैं क्या कोई सामान हूँ कि मोलभाव करने आ रहे हैं |री रेखा ने कहा यह क्या बात हुई रिश्ता तो ऐसे ही करते हैं| बुआ जी को परम्पराओं की दीवारों में दरारे पड़ती सी नजर आई, छोरी जमाना कितना भी बदल रहा हो चाहे छोरी वाले ने झुकना ही पड़े है पर क्यों बुआजी रीमा की आवाज कुछ तीखी थी बुआ जी को लगी  अरे क्यों का क्या मतलब रीती रिवाज है बस | मने, थारी माँ ने सब ने देखने वास्ते आए थे कि नहीं| वह बात और थी लेकिन मैं कोई चाबी की गुड़िया नहीं कि मोल भाव करे फिर बारगेनिंग | जी चाहा तो ठीक नहीं तो ठीक | शर्मा जी ने इशारा किया रेखा रीमा के साथ कमरे में चली गई, रीमा बेटा यह क्या तुम शादी से चढ़ती क्यों हो ? मैं चिढ़ती नहीं पर क्या लीक से हम हटकर नहीं चल सकते | मेरी इन बातों से आप लोगों की परंपराओं की दीवारों में सेंध लगती है, पर क्यों नहीं समझना चाहते कि आज स्त्री बिकाऊ नहीं है | वह पुरुष के बराबर हर क्षेत्र में कंधे से कंधा मिलाकर कम कर रही है | समाचारों में बजट पेश करतीं निर्मला सीतारामन को देखकर हम गर्व करते हैं | परेड की सलामी लेती स्त्री को देखकर कह उठते हैं कि वाकई जमाना बदल रहा है | इतना ही नहीं पिताजी स्त्रीशिक्षा उसकी समानताऔर स्त्री सशक्तिकरण पर पढ़ाते हैं | बच्चों का मनोबल बढ़ाते हैं फिर घर में उनकी बातें खोखली हो जाती हैं ? बस कर | रेखा ने गुस्से में कहा तुम्हारे पिताजी स्त्री को लेकर कभी गलत नहीं बोलते बल्कि उनकी हर रचना, हर बात में स्त्रियों के प्रति सम्मान झलकता है| यह ना भूलो कि तुम्हारी इच्छा पर उन्होंने तुम्हें वकालत करवाई जरा आँख पसार के देखो तुम्हारी चचेरी ममेरी बहने दो -दो बच्चों की माँ बन चुकी हैं | कहते हुए वह कमरे से बाहर निकल गई| रीमा की आँखों से नींद कोसों दूर हो चली थी | वह सोचने लगी कि सब को लग रहा है मैं बगावत कर रही हूँ | पिताजी ने ही तो हमें सिखाया है अपने हक से जियो पर संस्कार और तमीज ना भूलो| सुबह रीमा गीले बालों पर तोलिया बाँधे बाहर निकली और पिताजी के पास बैठ कर कहा ‘सॉरी’ | आपको बुरा तो नहीं लगा | ना बेटा बुरा नहीं | पर समय के रहते सब काज हो जाने में ही सबका भला है न ! पर मैं लड़के वालों को देखने जाऊँगी | हाँ-हाँ दोनों का मिलना जरूरी है| नहीं पिताजी आप नहीं समझे मैं भी लड़के को देखना और परखना चाहती हूँ |कुछ देर के लिए कमरे ने चुप्पी ओढ़ ली | रीमा ने स्थिति को सम्भालते हुए कहा? हरज ही क्या है, यदि वे मुझसे पूछने का हक रखते हैं तो मैं भी | रेखा ने कहा अब इस लड़की को कैसे समझाया जाए| शर्मा जी ने बेटी का पक्ष लिया यह ठीक कह रही है | मैं फोन कर देता हूँ| आगे उनकी मर्जी रीमा चली गई | नमस्कार जी| जय श्री कृष्णा | राधे राधे उधर से प्रत्युत्तर मिला| नमस्कार कैसे हैं आप मजे में है स्माइल फेस का निशान भेजा गया, मानो चंद शब्द लिखने मुश्किल हो जाएंगे खैर संकेतों की भाषा भी तो कोई चीज है| चलो फोन कर लेते हैं ऋतिक और हम अगले रविवार शाम को आने वाले हैं | शर्मा जी ने रीमा की बात दोहराई क्या..... लंबा सवाल उछलकर कर कानों में पड़ा क्या बुराई हमारे बेटे में उधर से एक और सवाल उछला | शर्मा जी समझ गए कि स्पीकर ऑन कर रखा है| डेढ़ लाख महीना वेतन है ऊपर से सारी सोह्लतें | जी जी | उसके बाद फोन कट गया | ऋतिक के पिताजी समझाने लगे अरे भगवान ! आजकल लडकियाँ मिलती कहाँ हैं ? पढ़ी-लिखी आज के विचारों की लड़की है | तुम अपनी सोच बदलो |

कुछ देर बाद व्हाट्सएप ने सूचित किया ... जी ठीक है | प्रत्युतर ...

बहुत-बहुत धन्यवाद | लोकेशन भेज दीजिएगा | व्हाट्सएप पर अंगूठे का निशान |रेखा ने चुटकी ली हिंदी वाला ठेंगा तो नहीं ? नहीं भई अंग्रेजी वाला है कहते हुए शर्मा जी मुस्कुरा उठे | रीमा और उसके परिवार ने प्रवेश किया | औपचारिकता के बाद रीमा ने ऋतिक से पूछा आपकी क्वालिफिकेशन ? सभी चौंके | ऑफिस व घर कितने बजे आते हैं ? धूम्रपान ड्रिंक कुछ कहते हुए वह उत्तर की प्रतीक्षा करने लगी | लड़का हड़बड़ा गया | सबके सामने यह मेरी पोल खोल रही है जी बस कभी-कभी | आप की मेडिकल रिपोर्ट भी दिखा दीजिए | बीच में ही माताजी ने टोका यह सब क्या तहकीकात है | शर्मा जी कहने लगे हैरान होने की बात नहीं | ये लीजिए रीमा के सारे डाक्यूमेंट्सऔर मेडिकल रिपोर्ट | ऋतिक की माँ ने धौंस जमा ही दी हम लड़के वाले हैं | रीमा ने समझया आंटी जी यह जिंदगी का फैसला है | उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि जमाना इस तरह बदलेगा | वे तो सपना सजोए बैठे थे कि एक बी.एम्.डब्ल्यू तो तिलक में मिलेगी ही | आखिर बेटे को पढ़ाया -लिखाया है | सब धूमिल हो गया | नमस्कार की महज औपचारिकता के बाद सबने विदा ली | एक मन गर्व से फूला न समां रहा था तो दूसरा बोझिल सा था | प्रोफ़ेसर साहब ने अपनी बेटी को गले लगाया | दूसरे दिन का सूर्य सौगात की किरणें लेकर आया।


 

 

 व्हाट्सएप पर गुड मॉर्निंग का संदेश | हमें रिश्ता करना है जी | हाँ जी समधी जी ! हम आप के संस्कारों को लेने आ रहे हैं जो रीमा बिटिया में कूट-कूटकर भरे हैं| ऋतिक के सारे डाक्यूमेंट्स भेज रहे हैं | कृपया हमें आपकी बिटिया देकर कृतार्थ करें | मिठाई से भरी थाली और तालियों की गड़गड़ाहट | उनकी आँखें छलक आई | भारी गले से उन्होंने कहा तुम दूसरों का आदर्श बनोगी बेटी |


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