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Anandbala Sharma

Inspirational

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Anandbala Sharma

Inspirational

मैं हूँ न

मैं हूँ न

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'चार बज गए अभी तक ये दोनों माँ बेटी आई क्यों नहीं ?

रोज तो तीन बजे ही चटर पटर करते हुए नींद के समय आ टपकती हैं।' सोचते सोचते सुमन परेशान सी हो गई। वैसे भी अमन के फोन ने यह कहकर उसकी नींद उड़ा दी थी कि चार पाँच लोगों का खाना अधिक बना कर रखना।

'उफ ,कैसे होगा यह सब? अभी तक तक तो चौका बरतन भी नहीं हुआ। दोनों आ जातीं तो मदद कर देतीं। परेशान सी सुमन सिर पकड़ कर बैठ गई कि कहाँ से शुरू करूँ।  तभी उसका बेटा अतुल ट्युशन से वापिस आ गया। बैग रख कर वह मम्मी के पास आया और पूछने लगा 'क्या बात है मम्मी ?ऐसे क्यों बैठी हो ?'

सुमन ने उसे सारी बात बताई।

'अरे, मम्मी बस इतनी सी बात। तुम चिन्ता मत करो। मैं हूँ न ,सब हो जाएगा समय पर।' अतुल बोला-'मैं सब सब्जी काट देता हूँ और सफाई भी कर दूंगा ।तुम केवल बरतन साफ कर दो मैं धो देताहूँ।'

'चलो, मम्मी शुरू करते हैं। अधिक सोचो मत।तुम ही तो हमेशा कहती हो एक और एक ग्यारह होते हैं।'

अतुल  का उत्साह चरम सीमा पर था। भौंचक सी सुमन कुछ भी नहीं कह पाई। अपने बारह वर्षीय जिम्मेदार बेटे के लिए उसका मन गर्व की भावना से भर उठा।


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