मातृत्व
मातृत्व
मुन्नी के जोर जोर से रोने की आवाज़ सुन मालती नींद में हड़बड़ा कर उठ गई और सीने से लगा स्तनपान कराने लगी। एक अद्भुत सा सुकून महसूस हुआ उसके मातृत्व को। सारा दर्द जो वक्ष में दूध इकट्ठा होने से असह्य हो रहा था, स्नेह का एहसास होने पर एकदम से बह गया।
"अरी ओ महारानी उठ जा या ऐसे ही घोड़े बेचकर सोती रहेगी। कम्बख्त तनु और मनू रो रही हैं तेरी जान को। उठकर देख ले उनको भी। कोई अनोखा जनेपा नहीं काट रही तू। और कौन सा उस मनहूस तीसरी को सम्भालना पड़ता जो रतजगा करना पड़ता तुझे"
शांति देवी के जोर जोर से चिल्लाने पर मालती को होश आया कि पिछले सप्ताह ही तीसरी बेटी होने पर बेऔलाद भाई और भाभी ही तरस खाकर उसकी दूधमुंही मुन्नी को अपने साथ ले गए थे। पिछली रात से स्तनों में इक्ट्ठा हुआ दूध एक तीव्र दर्द के साथ चोली को भिगो कर बाहर निकल पड़ा।