मातृत्व की गरिमा
मातृत्व की गरिमा
"तुम माँ बनने वाली हो क्या?"
गीता और शुचि की जब बहुत दिन बाद मुलाक़ात हुई तो शुचि ने गीता के चेहरे पर संभावित मातृत्व की आभा देखकर पूछा तो गीता समझ गई कि अब अपनी अनुभवी सहेली से वो अपने माँ बनने की बात नहीं छुपा पायेगी। लिहाज़ा स्वीकृति में सिर हिला दिया। फिर क्या था, पहले से ही माँ बन चुकी शुचि
ने उसे जो ज्ञान देना शुरू किया वो बच्चे के जन्म तक चलता रहा। जब फूल जैसे कोमल बच्चे को गीता ने अपने सीने से लगाया तो उसे असीम शांति का आभास हुआ।