मासूम बालक
मासूम बालक
यत्र-तत्र दंगाई हिंसा फैला रहे थे।ऐसा लग रहा था कि आज बारिश में पानी की बूंदें नहीं बल्कि बड़े-बड़े पत्थर हैं।दंगाई निर्दोष लोगों के ऊपर पत्थर से प्रहार कर बेसहारों को चोटिल कर रहे थे।एक कोने में बैठा एक बच्चा सिसक सिसककर रो रहा था।उसने अपने माता-पिता को खो दिया था।किसी दंगाई ने गोली मारकर उसके माता-पिता को असमय ही मृत्यु के घाट उतार दिया था।अब मासूम अनाथ हो चूका था।नन्हा बच्चा ईश्वर से प्रार्थना कर रहा था कि" हे ईश्वर! मेरा तो अब इस जग में कोई नहीं, अब आप ही संभालिये मुझे और हाँ उन दंगाईयों को आप कड़ी-से-कड़ी सजा जरुर दीजिएगा।मेरे पापा और अम्मा को उसने मारा है ईश्वर आप उस दंगाई को सजा जरुर दीजिएगा।"यह कहते हुए बालक फिर से बिलख-बिलखकर रोने लगा।
