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कॉलेज के पीछे वाले ग्राऊंड में बहुत सारे पेड़ों के बीच एक लंबे-चौड़े छाया वाले पेड़ के नीचे सुमन किसी का इंतजार करते हुए बार-बार अपनी कलाई पर बंधी घड़ी को देख रही थी। शायद उसे किसी के आने का बेसब्री से इंतजार था। इसीलिए वह समय को रोकने की नाकाम कोशिश कर रही थी। आधे घंटे तक इंतजार करते हुए उसकी आँखें बोझिल होकर गिरने की कोशिश कर रही थी। सब्र करते-करते ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो आज वह पूरी रात नहीं सोई। कुछ ही समय पश्चात् उसे एक लड़का उस तरफ आता हुआ नजर आया। अब जाके सुमन के दिल को सुकून मिला। उसके नजदीक आते ही सुमन यकायक उसके गले लगकर प्यार से सहलाने लगी। ऐसे ही वो हर रोज करती थी, मगर आज उसके ऐसा करने में एक अजीब सा आभाष हो रहा था। वह लड़का भी उसके हावभाव से विस्मित होकर उसकी कमर सहलाने लगा। कुछ देर बाद सुमन ने कहा-

सुमन - राहुल आज आप पूरे आधे घंटे लेट आये हो। पता है मैं आधे घंटे से तुम्हारा इंतजार कर रही हूं।

राहुल - अपनी घड़ी देखो सुमन, अपने मिलने वाले समय से भी पाँच-छह मिनट पहले ही आया हूं। अब तुम ही समय से पहले आ गई तो मेरा क्या कुसूर ?

सुमन - तो फिर मेरी घड़ी गलत हो गई होगी।

राहुल - चलो कोई बात नहीं सुमन, आओ आराम से बैठकर बातें करते हैं, और हाँ आज तुम्हारी आँखों को ये क्या हो गया है। तुम्हारी आँखें बोझिल सी लग रही हैं। ऐसा लगता है पूरी रात तुम किसी कारण से सो नहीं पाई। क्या बात है सुमन, मुझे बताओ ?

सुमन - ऐसी कोई बात नहीं है राहुल। मैं आज का दिन तुम्हारे साथ यहीं इसी पेड़ के नीचे गुजारना चाहती हूं। यही पेड़ हमारी दोस्ती और फिर प्रेम का प्रतीक रहा है। मैं चाहती हूं कि आज तुम्हारी गोद में सिर रखकर अपनी पुरानी बातें फिर से दोहराऊं। जिस दिन हमारी दोस्ती हुई थी।

राहुल - छोड़ो यार, पुरानी बातों का क्या दोहराना, हमें आने वाली बातें सोचनी चाहिए। भविष्य के बारे में।

सुमन - नहीं राहुल, आज तो मुझे तुमसे ढेरों बातें करनी हैं आज मैं एक भी लेक्चर अटैंड नहीं करूंगी और तुम भी प्रोमिज़ करो कि मुझे छोड़कर कहीं नहीं जाओगे।

राहुल - ये तुम्हें क्या हो गया सुमन, क्यों बहकी-बहकी सी बातें कर रही हो।

सुमन - मैं बहकी बातें नही कर रही हूं। मैं तुमसे प्यार करती हूं।

राहुल - प्यार तो मैं भी तुमसे करता हूं। तुम क्या सोचती हो केवल तुम ही मुझसे प्यार करती हो। मैं भी तुम्हारे प्यार के लिए कुछ भी कर सकता हूं।

सुमन - तो मेरे लिए आज बस मेरे साथ ही रहना। मुझे तुमसे बहुत सारी बातें करनी हैं।

राहुल - ठीक है चलो, आओ मेरी गोद में अपना सिर रखकर लेट जाओ ओर हम अपनी पुरानी बातों को एक बार फिर दोहराते हैं। याद है ना सुमन, जब तुम अपनी सहेली पूजा, जिसकी शादी अभी दो महीने पहले ही हुई है के साथ इसी पेड़ के नीचे बातें कर रही थी और मैंने आकर तुमसे दोस्ती के लिए कहा था। और तुमने दोस्ती के लिए इंकार कर दिया था पर मैं भी कहां तुम्हारा पीछा छोड़ने वाला था। दिन-रात तुम्हारा पीछे लगा रहा। उस दिन की वह शाम भी मुझे याद है जब मैं तेरे गांव गया हुआ था और शाम को तुम पूजा के साथ खेतों में घूमने के लिए आई हुई थी। तब तुम्हारे साथ तेरे गाँव के कुछ लड़के छेड़छाड़ कर रहे थे तो मेरा खून खौल उठा और मैंने उनके दांत तोड़ दिए। दूसरे दिन पूजा के कहने पर मैं तुमसे इसी पेड़ के नीचे आकर मिला । मुझे डर लग रहा था कि तुम मुझे शायद कुछ भला-बुरा कहकर अपमानित करोगी।

सुमन - पर मैंने ऐसा कुछ भी ना कहकर तुमसे केवल यही कहा था कि देखो राहुल मैं चाहती हूं कि या तो दोस्ती मत करो और यदि दोस्ती करनी है तो उसे मरते दम तक निभाना होगा। राहुल की बात काटते हुए सुमन ने बीच में टोका।

राहुल - ठीक है सुमन मैं अपनी दोस्ती में कुछ भी करने को तैयार हूं।

सुमन - कुछ भी ...... ?

राहुल - कहकर तो देखो, मैं जान भी देने को तैयार हूं।

सुमन - जान तो कोई भी दे सकता है। इसमें कौन-सी बड़ी बात है। तुम्हें तो मेरी खातिर जिंदा रहना है।

राहुल - तो कुछ ओर बोलो।

सुमन - क्या तुम मेरी मांग भर सकते हो ?

राहुल - क्यों नहीं...अभी भर देता, मगर सिंदूर है कहां ?

सुमन - चलो कोई बात नहीं, फिलहाल तो आज का दिन पूरा जीवन समझकर तेरी बांहों में जीना चाहती हूं ।

राहुल - आज ही ...अभी तो हमारे सामने पूरी जिन्दगी पड़ी है।

अभी उन्हें बातें करते हुए लगभग एक घंटा भी नहीं बिता था। ग्राऊंड के गेट की तरफ से चार युवक आते दिखाई दिए। सभी राहुल के दोस्त थे। उनके नाम अनूप, रवि, मोहित तथा रोहित था। कुछ ही समय में चारों उनके पास पहुंच गये । उनमें से रवि ने कहा -

रवि - क्या यार...? राहुल जब देखो, सुमन के साथ रहते हो । कभी-कभी हमारे साथ भी समय बिता लिया करो। इनके साथ तो पूरी उम्र बितानी है। क्यों भाभी सुमन ? मैंने ठीक कहा ना।

सुमन - काश ! तुम जो कह रहे हो वो सच हो जाये।

मोहित - क्यों सच नहीं होगा ? आप और राहुल के बीच जो भी आयेगा। हम उसकी ईंट से ईंट बजा देंगे ।

सुमन - नहीं-नहीं तुम ऐसा कुछ भी नहीं करोगे।

मोहित - चलो यार, कैंटिन में चलते हैं। चलो भाभी आप भी चलो, आज की पार्टी मेरे नाम है। चाय लेंगे या कॉफी या फिर और कुछ लेना है।

राहुल - नहीं यार, आज मैं सुमन के पास ही रहूंगा, क्योंकि इससे मैंने वादा किया है।

अनूप - ओ हो यार, रवि ने पहले ही बोल दिया है कि इनके साथ तो तुमने पूरी उम्र ही बितानी है सो हम दोस्तों के साथ भी कुछ समय बिता लो वैसे भी ये हमारा कॉलेज का लास्ट यीअर है और पन्द्रह दिन बाद वार्षिक परीक्षा होनी है। चलो यार कैंटिन चलते हैं और फिर सुमन भाभी भी तो हमारे साथ ही कैंटिन चल रही है।

सुमन - नहीं अनूप, मैं नहीं चलूंगी। हां यदि राहूल जाना चाहे तो मैं उसे इंकार भी नहीं करूंगी।

राहुल - नहीं सुमन, मैं तुम्हें छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगा ।

मोहित - चलो यार, अब तो सुमन भाभी ने भी तुम्हें प्रमिसन दे दी।

राहुल, सुमन की तरफ ऐसे देखता है मानो उसकी आंखें जाने की इजाजत मांग रही हों। उसे देख कर सुमन ने पलकें झुकाकर जाने की इजाजत दे दी।

राहुल अपने दोस्तों के साथ कैंटिन की तरफ चला गया। कैंटिन में पहुंचकर उन्होंने खुब मस्ती की। कुछ देर मस्ती कर राहुल ने उनसे कहा -

राहुल - देखो यार, काफी समय हो गया है, अब मुझे जाने दो। वहां पर सुमन मेरा इंतजार कर रही होगी।

अनूप - क्या यार, सुमन-सुमन लगा रखा है। अरे ये लड़कियां किसी का इंतजार नहीं करती। आज तेरे साथ हैं तो कल किसी और के साथ होंगी।

राहुल - नहीं यार, सुमन ऐसी लड़की नहीं है। वो मुझसे सच्चा प्यार करती है। यह कहते-कहते उसकी आंखों से पानी छलक आया।

अनूप - सॉरी यार राहुल, मुझे माफ कर दे। मैं तो मजाक कर रहा था। चल तू जा, हम भी बिल चुका कर आते हैं।

राहुल जल्दी ही कैंटिन से निकलकर कॉलेज के ग्राऊंड में पहुंच गया। वह उसी पेड़ के नीचे गया, जहां पर सुमन को छोड़कर गया था। पेड़ के नीचे सुमन आंखें मुंदे पड़ी थी। राहुल ने सोचा, सुमन उसके साथ मजाक कर रही है। वह चुपचाप से उसके नजदीक पहुँचकर उसके सिर को उठाकर अपनी गोद में रख लेता है, और उसके चेहरे को दुलारने लगा। दुलारते-दुलारते वह कहने लगा -

राहुल - क्या बात है सुमन, तुम तो मेरे साथ आज पूरा दिन गुजारना चाहती थी फिर सो क्यों रही हो ? ये क्या मजाक है। उठो और मुझसे बात करो।

प्रत्युत्तर में उसे कोई जवाब नहीं मिला। वह फिर सुमन को सहलाने लगा, मगर उसका शरीर बिल्कुल ठंडा पड़ चुका था। यह देखकर राहुल ने उसकी छाती पर सिर रखकर देखा तो उसकी धड़कन भी बंद थी। राहुल यह देखकर पागलों की तरह कभी हाथ छुता तो कभी छाती पर सिर रखकर धड़कन ढूंढने की कोशिश करता, मगर सुमन तो मर चुकी थी। राहुल की आंखों से आंसूओं की धार फूट पड़ी। रोते - रोते वह बड़बड़ा रहा था। नहीं सुमन, तुम मुझे ऐसे छोड़कर नही जा सकती, मगर हो सकता है कि मुझे ही भ्रम हो गया हो। मेरी सुमन जिन्दा है, पर मेरे साथ ऐसा मजाक क्यों कर रही हो। जल्दी उठो और मेरे साथ बातें करो। तभी राहुल को उसके हाथ की बंद मुट्ठी दिखाई दी। जब राहुल ने उसकी मुट्ठी को खोला तो उसमें एक कागज था। उसको उसने खोला तो उसमें एक छोटी-सी पुडि़या और थी। उस पुडि़या को खोला तो उसमें सिन्दूर था। उस कागज को देखा तो उसमें कुछ यूं लिखा था जो इस प्रकार से है-

प्रिय राहुल

मैं तुमसे प्यार करती हूं।

मैं आपसे बहुत प्यार करती हूं और सारी उम्र करती रहूंगी। मैं तुम्हारे बिना एक पल भी जिन्दा नहीं रह सकती। मेरे घर वालों ने मेरी सगाई कहीं और तय कर दी है। मैंने घर वालों को मेरे और तुम्हारे प्रेम के बारे में बताया था मगर जाति-पाति के चक्कर में उन्होंने मना कर दिया। मैं अपनी मांग में तुम्हारा ही सिंदूर देखना चाहती हूं। मैं लड़की हूं। मेरे मर जाने से किसी का कुछ नहीं जायेगा मगर तुम लड़के हो यदि तुम भी मर गये तो तुम्हारे मां-बाप का क्या होगा ? तुम्हें उनके लिए जीना होगा। तुम ही उनका इकलौता सहारा हो। मैं तुम्हारे साथ भागने को भी तैयार थी मगर यही सोचकर रूक गई कि हम दोनों के परिवार को हानि उठानी पडे़गी। इसलिए मैं सोचती हूं कि तुम मेरे लिए ना सही अपितु अपने माता-पिता के लिए जिंदा रहना। मैं तो बस इतना ही चाहती हूं कि मैं इस संसार से जब जाऊं तो तुम्हारी पत्नी बनकर। मेरा ये काम जरूर करना। ये जो सिंदूर मैं बाजार से लाई हूं ये तुम्हारे ही हाथों मेरी मांग में भरा हो। मैं तुम्हारी पत्नी बनकर संसार से अंतिम विदाई लेना चाहती हूं। और एक बात और, मेरे जाने के बाद ये मत सोचना कि मैं तुमसे दूर चली गई हूं। मैं हमेशा तेरे पास ही रहूंगी। जीवन में एक साथी की कमी हमेशा खलेगी सो अपनी शादी कर लेना। उस आने वाली लड़की को भी इतना ही प्रेम करना जितना कि आप मुझसे करते हो। उसमें तुम मुझे देखना। मुझे पता है कि मेरे बिछुड़ने का दुख तो तुम्हें जरूर होगा, मगर क्या करूं।

किसी और की मैं हो नही सकती और तुम्हारी मुझे जमाना नहीं होने देगा। मैंने तुमसे वादा किया था कि मैं तुम्हारी बनकर ही इस संसार में रहना चाहती हूं। आज मैं दूसरे की होने से पहले ही तुम्हारी होकर तुमसे आखिरी विदा लेती हूं। चलती हूं अलविदा।

तुम्हारी

सुमन।

यह पढकर राहुल बुरी तरह से उससे लिपट कर रोने लगा। उसकी आवाज इतनी तेज थी कि पूरा कॉलेज हिल गया और ग्राऊंड की तरफ दौड़ आया। राहुल, सुमन की लाश से लिपट कर बुरी तरह से रो रहा था। सुमन मर चुकी थी। राहुल उसे बार-बार उठने के लिए कह रहा था। उसकी आंखों से पानी रूकने का नाम नहीं ले रहा था। सारे कॉलेज के बच्चे राहुल को देख रहे थे, और सभी की आंखों से आंसू बह निकले। राहुल के साथी भी राहुल को समझाने की कोशिश कर रहे थे, मगर सब नाकाम थे। राहुल पागलों की भांति उससे लिपटा रहा। कुछ समय के बाद वहां पुलिस आई। सुमन को पोस्टमार्टम के लिए ले जाया गया। वहां से रिपोर्ट में पता चला कि नींद की अधिक गोलियां खाने से सुमन की मौत हुई है। सुमन का अंतिम संस्कार करने से पहले राहुल को बुलाया गया। राहुल ने सुमन का सारा श्रृंगार किया। हरे कांच की चूड़ियाँ पहनाई, उसकी मांग में सिंदूर सजाया, लाली लिपिस्टिक आदि से पूरी तरह से दुल्हन की तरह सजाया गया। राहुल उसकी अर्थी के आगे-आगे चला। राहुल के गांव में सुमन का अंतिम संस्कार हुआ। राहुल आज फूट-फूट रो रहा था। पूरा कॉलेज राहुल के साथ शमशान भूमि तक गया। सभी राहुल को दिलाषा देकर एक-एक करके चलता गया। राहुल सभी को एकटक देखता रहा। अंत में वहां पर चारों तरफ सब सुनसान था।

वहां शमशान में राहुल अकेला था और धांय-धांय जलती हुई सुमन की चिता।


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