माँ

माँ

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माँ -1


मेरे कमरे की खिड़की पर चिड़िया जोर जोर से चिल्ला रही थी। पहले तो मैंने ध्यान नहीं दिया किन्तु जब उसकी चिचियाहट बढ़ गई तो मुझे लगा कोई बात ज़रूर है। वह बार बार मेरे पास आ कर फिर खिड़की पर बने घोंसले पर जा कर बैठ रही थी।
मैंने पास जाकर देखा तो घोंसलें में उसका एक बच्चा मरा पड़ा था। मैंने जैसे ही उस बच्चे को उठाने की कोशिश की चिड़िया जोर जोर से चीखने लगी और मेरे हाथ पर अपनी चोंच मारी। मैं घबरा गया किन्तु जैसे तैसे मैंने उस मरे हुए चूजे को घोंसले से निकाला। चिड़िया के लिए मन बहुत दुःख रहा था। मेरी आँखों में आंसू भरे थे। मैंने पीछे बगीचे में ले जाकर उस चूजे का दाह संस्कार किया। पीछे बगीचे तक चिड़िया जोर जोर से चीखती हुई मेरे पीछे आई और दाह संस्कार तक बहुत चीखी जैसे अपने बच्चे के लिए माँ बिलखती है।
दोपहर को जब मैं सोकर उठा तो चिड़िया चुपचाप मेरे सिरहाने वाली खिड़की पर बैठी मेरी ओर एक तक देख रही थी। उसकी उस चुप्पी में कृतग्यता के भाव थे।


माँ -2


पिछले वर्ष मेरी बेटी के कक्षा 12 वीं का परीक्षा परिणाम आए थे। अच्छे नंबरों से उत्तीर्ण होकर भोपाल के सबसे अच्छे कॉलेज में उसका दाखिला हो गया था। सब बहुत प्रसन्न थे किन्तु मेरी पत्नी और माँ उसी दिन से उदास हो गईं थी। आखिर वह दिन भी आ गया जब बिट्टो को भोपाल जाना था। वह अपना सामान बांध रही थी। बहुत प्रसन्न थी आज जीवन के आकाश में उसकी पहली उड़ान थी।
दादाजी उसको निर्देश दे रहे थे। उसकी दादी गुमसुम एक कोने में चुपचाप बैठी थी। मेरी पत्नी किचन में उसके लिए नाश्ते की तैयारी कर रही थी। मैंने किचिन में जाकर देखा तो उसका पूरा चेहरा आंसुओं से तर था। झर-झर आंसू बह रहे थे। मैंने समझने की कोशिश की तो मेरी पत्नी के एक वाक्य ने मुझे निरुत्तर कर दिया।
"आप बाप हो माँ नहीं "

माँ -3


पड़ोस में रवि का मकान था, पिता शिक्षा विभाग में क्लर्क थे। रवि १० वर्ष का होगा तब उनका देहवसांन हो चुका था। माँ ने गरीबी में पाला पोसा बड़ा किया। बड़े होने पर पिता की जगह अनुकम्पा नौकरी मिल गयी। अच्छे घर में शादी हुई सुन्दर बहु और बूढ़ी माँ के बीच कलह से रवि परेशान हो गया। रवि को परेशां देख कर माँ ने कहा "बेटा अब तुम बड़े हो गए हो कमाने भी लगे हो अपने लिए अलग घर देख लो।"

रवि माँ की मनस्थिति समझ कर, पत्नी के साथ मजबूरी में माँ से अलग रहने लगा। माँ अपना पूरा खर्च पेंशन से चलाती थी। अचानक रवि की दोनों किडनिया ख़राब हो गईं। इलाज में पूरा पैसा खर्च हो गया। रवि की हालात दिनोदिन बिगड़ने लगी। डॉक्टर ने कहा अब सिर्फ किडनी प्रत्यारोपण से ही रवि की जान बचा सकती है इसके लिए कम से कम 15 लाख रुपये और किडनी की आवश्यकता होगी। 

आखिर बहु दौड़ती हुई सास के पास पहुंची और बोल माँजी मेरे सुहाग को बचा लीजिये। माँ सुनकर अचंभित एवं सकते में आ गई फिर उसने कहा "बहु तुम मत घबराओ मेरे होते हुए तुम्हारे सुहाग को कुछ नहीं होगा। अपना घर बेंच कर रवि की माँ ने रवि को अपनी किडनी दी। फिर रवि की किडनी का सफल प्रत्यारोपण हुआ। माँ की किडनी पर बेटा जीवित हो उठा। माँ मृत्यु शैया पर मुस्कुरा रही थी।

 

माँ -4


आज 53 साल के बाद भी मेरी माँ की आँखे मेरे लौटने तक दरवाजे पर टिकी होती हैं। आज भी सुबह से शाम तक कोई एक खाने की चीज माँ मुझे ज़रूर परोसती है।
आज भी ठण्ड के मौसम में चूल्हे पर बनी चने की रोटी मुझे ज़रूर खिलाती है। आज भी गाड़ी पर बैठने पर पीछे से एक वाक्य जरूर सुनाई पड़ता है 'भैया गाड़ी धीरे चलाइयो"
आज भी बीमार पड़ने पर लालमिर्च और राइ से माँ मेरी नज़र उतरती है।
आज भी मेरे खाने के समय मेरी पत्नी को मेरी माँ का यह जुमला जरूर सुनना पड़ता है ''अच्छे से नहीं परोसा आज उसने कम खाया है"
आज भी बाहर जाने पर मेरी माँ मुझे 50 रूपये खर्च करने को देती है।
आज भी मेरी बात मनवाने के लिए पिताजी से बहस करती है।
आज भी इतना बड़ा होने के बाद लगता है उनका पांच साल का बच्चा हूँ।


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