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Deepa Dingolia

Drama

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Deepa Dingolia

Drama

माँ

माँ

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 शादी के 7-8 साल बाद घर में ख़ुशी आई थी। मेरे पैदा होने पर मेरी माँ एक पत्नी से माँ बन गयीं थीं। कभी मुलायम हाथ बालों में फेरतीं,सो जाऊं तो निवाला मुहं में डालतीं,ठण्ड लगे तो गोद में छुपा लेतीं।रात -रात भर सिरहाने बैठ सेवा करतीं। मजाल है कोई कुछ कह जाए मुझे।हमेशा दीवार बन कर मेरे साथ खड़ी रहतीं। मेरा दुःख- ख़ुशी, सच- झूठ कुछ भी उनसे छिपा नहीं रह सकता था।

मैं अब मल्टीनेशनल कम्पनी में मैनेजर था। नेहा और मैं एक दूसरे को पसंद करते थे और शादी करना चाहते थे ।

एक  दिन अचानक ”तुम्हें जो भी पसंद है खुल कर बता सकते हो...माँ ने कहा- किसी से डरने की जरूरत नहीं है।

पर "माँ "-मैंने डरते हुए कहा। आपको कैसे मालूम कि मैं...?

“बेटा जिस्म से अलग किया है तुझे आखिर माँ हूँ तेरी...माँ मुसकुरायीं | खैर कब मिलना है ? कल चलती हूँ तेरे साथ-माँ ने कहा”।

सोफे पर बैठ कर माँ ने नेहा से कहा-“बेटा आप दोनों हमेशा खुश रहना।अपने अहंकार व अभिमान को कभी अपने प्यार के आगे न आने देना”-ऐसा कह कर माँ ने नेहा की ऊँगली में अँगूठी पहना दी और मेरा माथा चूम लिया।

बहन जी-“अब आपकी बेटी मेरी हुई”।

नेहा और उसकी माँ लगातार रो रहीं थीं।

रास्ते भर मैं बैचैन रहा ,पसीने से तर बतर ,पूरा शरीर ठंडा पड़ रहा था। सोच-सोच कर मरे जा रहा था कि माँ ने नेहा के बारे में कुछ भी नहीं पूछा था। सन्नाटा तोड़ते हुए माँ ने कहा-“बेटा जिन्दगी सिर्फ खुशियाँ लेने का नहीं देने का नाम है। तुम नेहा का पथ बनना और वो तुम्हारा हाथ थामे साथ चल देगी। तुम्हारा साथ,प्यार, प्रशंसा, प्रोत्साहन ही उसकी दुनिया के रंग हैं। जिन्हें वो तुम्हारी आँखों से देखेगी व महसूस करेगी”|

पर”माँ मैंने तो आपको कुछ बताया ही नहीं”।

हाँ ”बेटा पैर छूने के लिए वो अपने हाथों से मेरे पैर ढूंढ रही थी तभी मैं समझ गयी थी”...माँ ने कहा।

मतलब माँ को नेहा के बारे में पता चल चुका था कि नेहा देख नहीं सकती। मैं बिलख कर माँ से लिपट गया। मेरा वजूद मोम की तरह पिघल गया। नेहा की इस कमी का जिक्र तक माँ ने नहीं किया। 

बालों में हाथ फेरते हुए माँ ने कहा - "तुम मेरी आँखों के तारे हो और अब नेहा की आँखों की रोशनी बन कर उसका जीवन रंगों से भर देना।आज तुमने मेरा माँ होना सार्थक कर दिया।

भविष्य में मेरे जीवन में आने वाली सभी कठिनाइयों को नजरंदाज करते हुए माँ ने मेरे निर्णय का सम्मान किया। एक असीम ताकत है "माँ " जो दुनिया का सामना करने का हौसला देती है व बिन कहे सब जान जाती है। इसीलिए "माँ "को भगवान का दर्जा दिया गया है।


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