माँ जरूर आएगी..
माँ जरूर आएगी..
अपने छोटे छोटे दोनों हाथ अपने छोटे से गालों पर टिकाए हुए मासूम आसमान की ओर टकटकी लगाए बहुत देर से देख रहा था।
10 साल के मासूम का नाम उसके रूप के अनुरूप ही था। उसके पैदा होते ही उसकी दादी ने उसकी मासूमियत देखकर इसका नाम रखा था। रमेश उस गुमसुम मासूम को आकाश की ओर तकते देख कर अनायास ही अपनी कोरों पर आए आंसुओं को पोछने लगे।
उनकी पत्नी सुशीला को गुजरे हुए अभी एक महीना ही हुआ था और तब से नन्हा मासूम अपनी मां को आकाश की ओर ताकते ढूंढता दिखता था। जिस दिन रमेश अपनी पत्नी का दाह संस्कार करके आए और नन्हे मासूम ने उनसे पूछा मां कहां गई हैं। पूरी हिम्मत जुटाते हुए रमेश ने एक उंगली आकाश की ओर दिखाते हुए उसे जवाब दिया था। मां भगवान से मिलने आसमान में गई है। मासूम का अगला प्रश्न था, "कब आएगी ?"
रमेश के पास चंद आंसुओं के सिवा कोई जवाब नहीं था। उसने उसे अपने सीने से लगा लिया लेकिन मासूम ने यह बात अपने सीने से लगा ली थी। जो जाता है, वह वापस भी लौटता है। यदि मां भगवान के पास गई है तो आएगी भी। तभी से वह आंगन में बैठा बैठा टकटकी लगाए राह निहारता रहता था- मां जरूर आएगी।