Bhavna Thaker

Drama

3.1  

Bhavna Thaker

Drama

लव यू पापा

लव यू पापा

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इधर मेरा एम बी ए खत्म होते ही माँ पापा ने मेरे लिए रिश्ता ढूँढना शुरु कर दिया मानों मैं बोझ हूँ, जितना जल्दी हो सके सर से उतार देना चाहते हो, क्यूँ आख़िर मेरी मर्ज़ी भी नहीं पूछते, मैं क्या चाहती हूँ, मेरे सपने क्या है मेरी पसंद पूछते !

 मन में कहीं न कहीं लव मैरिज के सपनों को जीती थी की कोई एसा हो जो मुझे पूरी तरह जानता हो, मेरी हर आदत हर ख़्वाहिश को पहचानता हो, जिसके साथ अपनी सारी ज़िंदगी खुशी खुशी अपने तरीके से बीता सकूँ जिसे मैं समझती हूँ प्यार करती हूँ ! अरेंज्ड मैरिज के बारे में सोचते ही एक भय औरडर बैठ जाता है दिल में, पता नहीं कैसा होगा लड़का, परिवार के लोग कैसे होंगे, मुझे समझ पाएंगे की नहीं, लड़के के विचारों से मेरे विचार मिलेंगे या नहीं और मेरी बहुत सी सहेलियों ने लव मैरिज की थी तो दिल में एक आस औरसपना पल रहा था।

क्या जल्दी है माँ-पापा को मेरी शादी की कुछ तो समय देते मुझे आज तक पढ़ाई में ही व्यस्त रही आसपास देखने तक की फुर्सत नहीं थी, अब खुद के अस्तित्व के आसमान में उड़ना चाहती हूँ क्या पता कोई एसा मिल जाएँ जिसके साथ अपनी सारी ज़िंदगी खुशी-खुशी बिता सकूँ, सोचने तक का मौका ना दिया औरपापा ने एक दिन विस्फोट किया- 

खुशी बेटे सुन तो तेरे लिए कितना अच्छा रिश्ता आया है, पापा की खुशी का ठिकाना नहीं रहा पापा को हमेशा मेरे लिए एक इन्जीनियर लड़के की तलाश थी, अपनी बच्ची को सारे सुख देना चाहते थे अनमोल मिश्रा जो मैकेनिकल इंजीनियर है एक रविवार को पूरे परिवार के साथ आ धमका, दिखने में ही स्मार्ट औरहेंडशम था, दूसरे रविवार सगाई भी हो गई औरदो महीने में शादी भी पक्की।

 पता नंही एक सपने सा लग रहा है आज खुद को शादीशुदा महसूस करना। औरशादी का दिन भी आ गया, आसपास के शोर शराबो के बीच आवाज़ आई बारात आ गई दीदी, आज महसूस हो रहा है पल पल जैसे कुछ छूट रहा है। एक फूलों से सजी गाड़ी रुकी मेरी धड़कन को रफ्तार देती। 

एक अजनबी को देखा मैंने उतरते, जो आज मुझे अपनी धरातल से उखाड़ कर उसकी एक अन्जान दुनिया का हिस्सा बनाने ले जाएगा। उसके घर को अपना घर कहना होगा उसके परिवार को अपना मानना पड़ेगा, अपना बनाना पड़ेगा, मैं कुछ नया करने नहीं जा रही थी पर फिर भी न जाने क्यूँ इस अरेंज्ड मैरिज के पीछे की गहराई मुझे महसूस करवा रही थी कि क्या ढाल पाऊँगी मैं खुद को नयी ज़मीन पर। 

क्या थे सपने की पढ़ लिखकर जाॅब करूँगी कुछ बनूँगी, अपनी डगर खुद तराशूँगी औरआज मैं ये क्या करने जा रही थी, बस महज माँ पापा के प्यार औरउनकी जिम्मेदारीयों को कम करने की कोशिश में एक अजनबी के साथ बँधने जा रही थी।

जयमाला, फेरे, सात वचन, बिदाई अब मैं शादीशुदा थी, एक दहलीज़ छूट रही थी पल भर में कितना कुछ बदल गया मैं लगातार रोए जा रही थी की मेरी नज़र मेरे अजनबी दूल्हे पर पड़ी, उसके चेहरे की हर अकुलाहट में हर लकीर में मेरे प्रति परवाह साफ़ झलक रही थी उसकी आँखों में नाराज़गी दिखी उन सबके प्रति जो मुझे लिपटकर रो रहे थे, उसे लग रहा था की वो सब मुझे रुला रहे है।

 शादी की रस्म खत़्म होते ही फूलों से सजी गाड़ी में एक अन्जान हमसफ़र के साथ निकल पड़ी एक नयी दुनिया बसाने, नये सफ़र पर, अन्जाने अजनबी के साथ आँसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे मैंने खुद को इतना अकेला कभी महसूस नहीं किया था। मैं चुपचाप रोए जा रही थी की अनमोल ने मेरे हाथ पर अपना हाथ रख दिया औरआँखों से कुछ यूँ इशारा किया की मुझे एसा महसूस हुआ मानों पापा का हाथ हो स्पर्श अनजान था पर बहुत ही नज़दीक औरअपनापन जताता। 

मैं थोड़ी रिलेक्स हुई। 

दो घंटे में अनमोल का घर, मेरा ससुराल आ गया गाड़ी रुकी पहले अनमोल नीचे उतरे, औरजैसे ही मैंने गाड़ी के नीचे कदम रखा अनमोल ने अपना हाथ आगे किया तो एक पराये घर की दहलीज़ पर गर्म औरउर्जा सभर सहारे का हाथ थामें मैंने सारी रस्म निभाते गृह प्रवेश किया फ़र्श पर फूलों की चद्दर बिछी थी और उपर से पंखुड़ियां बरस रही थी। कुछ भी मेरा ना होते हुए भी एक सुकून लग रहा था और एक रस्म निभाते तो अनमोल ने मुझे अपने और नज़दीक कर दिया, दूध

और पानी से भरी थाली में कुमकुम औरफूल की पंखुड़ियां सजा कर एक अंगूठी उसमें डाल दी थी जो मुझे और अनमोल को ढूँढने थी अनमोल की बहनें चिल्ला कर अनमोल को चीयर कर रही थी, कम ऑन भैया आपको ही जितना है, मुझे कुछ यूँ महसूस हुआ मैं मानों किसी युद्ध के मैदान में अकेली निहत्थे खड़ी थी 

कि पीछे से स्नेह से भरा हाथ मेरे सर पर रखकर अनमोल की मम्मी औरमेरी सासू माँ ने मेरे कानों में गुदगुदाया, जितेगी तो मेरी बेटी ही।

 मेरे डरे हुए असमंजस भरे मन में जैसे ताकत औरहौसला भर गया मैं सासू माँ से लिपट गई,

 औरखेल में अंगूठी ढूँढते वक्त मेरी ऊँगलियों ने महसूस किया की अनमोल ने हाथ आई अंगूठी जानबूझकर मेरी और सरका कर मुझे जीताया, मन में पड़ी अरेंज्ड मैरिज के प्रति जो एक आशंका थी वो कुछ-कुछ छंट रही थी। 

सारी रस्म खत़्म होते ही मेरी सासूमाँ मुझे अनमोल के कमरे तक छोड़ने आई जिस पर अब मेरा भी 50% हक था, फिर भी मेरा कहाँ था यहाँ कुछ भी तो मेरा नहीं था बस इस पल से मेरी कोशिश शुरू हो गई अपना बनाने की, सासूमाँ ने कहा मेरा बेटा शरारती है पूरी रात तुझे सताएगा तो सुबह यह सोचकर उठने की कोई जल्दी नहीं की हाँ ये तो ससुराल है देर तक कैसे सो सकती हूँ,

जैसे तुम मायके में आराम से उठती थी वैसे ही निश्चिंत हो कर सोना, मैंने सासूमाँ के पैर छू लिए तो उन्होंने मुझे गले लगा लिया। 

मुझे बहुत अच्छा लगा यहाँ भी मुझे माँ मिल गई थी, कमरे में कदम रखते ही मेरा रोम-रोम खिल गया मेरे प्यारे मोगरा के फूलों की खुशबू से साँसे महक गई, औरये क्या दीवारें मेरा फेवरिट क्रिम औरहल्के पिच कलर से रंगी थी, बेड पर मेरा पसंदीदा लाइट ब्लू कलर की बेडशीट बड़े सलीके से बिछाई गई थी उपर गुलाब की पंखुड़ियो से बड़ा वाला दिल बना हुआ था, दीवार पर मेरी ही पसंद के अजन्ता इलोरा और ताजमहल की पेन्टिंग लगी हुई थी,

टेबल पर मेरी पसंद की चॉकलेट और मेरी ही पसंद के लीली के फूलों से सजा वाज़ रखा था। 

औरमेरा बड़ा वाला टैडी बिअर एक कोने में बैठा हंस रहा था, 

मैं सरप्राइज़ थी अनमोल ने कितने कम समय मैं मेरी पसंद जानकर 14/16 के कमरे में मेरी पूरी दुनिया बसा दी थी,

कहाँ कुछ छूटा था सब कुछ तो यहाँ मेरा अपना था, क्यूँ कुछ भी अजनबी अनदेखा या अनजान नहीं लग रहा। खुद की सोच बदलने की क्षितिज पे खड़ी थी कि अनमोल कमरे में आए और मुझे बाँहों में भरकर बोले- कहो मेरी महारानी जी आपकी कोई पसंद छूटी तो नहीं। वैसे बंदे ने ट्राय तो की कि आपका मायके वाला कमरा ही उठाकर यहाँ ले आऊँ पर बहुत भारी था यार, सो आपकी शान में आपकी पसंद की हर चीज़ पेश कर दी। 

मेरी आँखें भर आई मैं अनमोल के गले लग गई,

 अनमोल ने मुझे हौले से अपनी बाँहों में उठाया और बेड पर सुलाकर बोले थक गई होगी आराम से सो जाओ अब, मुझे कोई जल्दी नहीं कल से हमारी हर रात सुहाग रात होगी। 

मैं कायल हो गई एक अजनबी की, अनमोल फ्रेश होने गए और मेरी कब आँख लग गई पता ही नहीं चला, पिछ्ले कई दिनों की थकान की वजह से दूसरे दिन सुबह 11 बजे मेरी नींद खुली किसी ने मुझे डिस्टर्ब नहीं किया। आज एकदम हल्का औरफ्रेश महसूस हो रहा था।

 मैं नहा धोकर कमरे से बाहर निकली की सासू माँ ने मेरा हाथ पकड़कर डायनिंग टेबल पर बैठा दिया और नाश्ता और कोफ़ी दे कर बोली पहले कुछ खा लो भूख लगी होंगी, औरअनमोल को भी आवाज़ लगाई बेटे बहू को कंपनी दो चलो दोनों नाश्ता कर लो मैंने माँ को हाथ पकड़कर अपने पास बिठा लिया और उनके काँधे पर सर रख दिया।

जैसे ही मैं नाश्ता करके उठी माँ ने मोबाइल मेरे हाथ में थमा दिया और बोली- अपने कमरे में जाओ और तुम्हारे माँ-पापा से बात कर लो वो लोग राह देख रहे होंगे, और तुम्हें भी अच्छा लगेगा फिर आराम करो, मैंने कहा माँ मैं बाद में बात कर लूँगी पहले आपको काम में कुछ हाथ बंटा दूँ।

तो सासू माँ मुझे जबरदस्ती हाथ पकड़कर कमरे में ले आए और बोले जब तक तुम्हारे हाथों की मेहंदी नहीं उतरेगी तब तक एक भी काम को हाथ नहीं लगाना, अभी तुम्हारे खुशियों के दिन है एन्जॉय करो काम तो पूरी ज़िंदगी करना ही है।

 मैं सासूमाँ के प्यार के आगे नतमस्तक हो गई। 

अनमोल ने दो टिकट मेरे हाथ में थमा दी और बोले तैयारी कर लो मैडम कल सुबह की फ्लाइट से हम जा रहे हैं मौरिशस हनीमून के लिए, और दूसरा कवर थमाते हुए बोले ये रहा तुम्हारा गिफ्ट, मैंने आश्चर्य से कवर खोला तो अपोइन्टमेन्ट लेटर था अगले महीने की 1तारीख से अनमोल की ही कंपनी में मुझे जाॅब ऑफर हुआ था 

मुझे अपनी आँखों पर और किस्मत पर यकीन नहीं हो रहा था। बस सबसे पहले पापा की बेतहाशा याद आ गई। जल्दी से नंबर मिलाया, पापा ने काल उठाया तो गले से आवाज़ ही नहीं निकली। मैं बस रोए जा रही थी, पापा ने बड़े ही नर्म लहजे में पूछा मेरी गुड़िया कैसी है, ससुराल पसंद आया की नहीं। बोल मेरा बच्चा सिवाय मेरे और तुम्हारी माँ के यहाँ कुछ छूट तो नहीं गया मेरी लाडो का ?

 मैंने पापा से बोला पापा मैं कितनी गलत थी मेरी सोच कितनी गलत थी। आपने हंमेशा मुझे एक बेहतरीन जीवन देने की कोशिश की और आज अनमोल के रूप में मुझे मेरी ज़िंदगी की सारी खुशियाँ दे दी, पापा मैंने आपको गलत समझा। सौरी अरेंज्ड मैरिज को लेकर जो मेरी सोच थी वो अनमोल के अपनेपन ने बदल दी। 

उसने तो अपना फ़र्ज़ निभा लिया अब मुझे माँ औरआपके संस्कारों को स्थापित करना है ससुराल को मायका बनाकर,

आशीर्वाद दीजिए पापा मैं अपना फ़र्ज़ निभाने में कामयाब रहूँ।

कोई रिप्ले नहीं आया पर मैं समझ गई पापा की नम आँखें और मूक आशीर्वाद को मेरा दिल महसूस कर रहा था।


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