Chhavi Gautam

Romance

4.7  

Chhavi Gautam

Romance

लॉन्ग डिस्टेंस

लॉन्ग डिस्टेंस

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426


"निशा, उठ जाओ बेटा कब तक सोती रहोगी? दस बजने को आया"?

लेकिन निशा का मन बहुत उदास था, जिसकी वजह से वो थोड़ी चिड़चिड़ी हो रही थी और उसका आज उठने का मन नहीं हो रहा था।लेकिन उदास मन इतना कि बस रो ही देगी।

जैसे तैसे मां के प्रवचन शुरू हो ओर और ज्यादा मूड खराब हो इससे अच्छा उठ जा निशा । निशा उठकर सोफे पर जाकर न्यूजपेपर लेकर पढ़ने का दिखावा करने लग जाती है । सुषमा जी " निशा की मां " चाय टेबल पर रखते हुए निशा मै मंदिर जाकर आती हूं तुम चाय पीकर फ्रेश होकर नहा लेना आज मेरे साथ शॉपिंग पर चलना है ।

निशा का मन तो कहीं ओर ही था मां की बाते तो जैसे उसके कानो मे पड़ी ही नहीं । जिसका कारण था " वैभव" ! निशा और वैभव दो साल पहले एक इवेंट में मिले थे जहा से दोनों की जान पहचान हुई और धीरे धीरे बात करते हुए कब उनकी दोस्ती प्यार में बदल गई । वैभव तो निशा को पहली ही मुलाकात में अपना दिल दे बैठा था और मन में खुद से ही निशा को अपना बना उसके साथ जिंदगी गुजारने का वादा भी कर लिया था ।

निशा को वैभव का बात करने का अंदाज़ .... उसका रौबदार व्यक्तित्व .. ओर बिना किसी जीझक उसपर हक़ जताना बहुत भाता था । ये ही वजह थी जिनके चलते निशा भी वैभव से प्यार करने लगी थी । लेकिन लॉन्ग डिस्टेंस होने के कारण दोनों की बात सिर्फ कॉल या चैटिंग में ही हो पाती थी । दोनों वर्किंग थे तो बात भी कम ही हो पाती थी लेकिन दोनों का एक दूसरे पर खुद से ज्यादा विश्वास उनके रिश्ते की नीव था यू तो अगर आप किसी से प्यार करते है तो समय कम ही होता है बस चाहते है की हमारा साथी हमारे साथ ही हो ! कोई बंधन नहीं हो एक दूसरे से बात करने के लिए! लेकिन निशा और वैभव दिन में अपना ऑफिस मे काम में व्यस्त रहते लेकिन चाहे कुछ भी होता लंच में वैभव निशा को कॉल जरूर करता ,। निशा लंच किया तुमने "! लेकिन पिछले कुछ दिन से वैभव का लंच में भी निशा को कॉल नहीं आ रहा था घर आकर भी बात नहीं हो रही थी निशा खुद से ही समझने की कोशिश कर रही थी कि वैभव काम में व्यस्त होगा जिस वजह से बात नहीं कर पा रहा है लेकिन वैभव कभी कभी इतना व्यस्त हो जाता की बिल्कुल ही गायब रहता पूरा पूरा दिन में बात तक नहीं हो पाती दोनों की! ये अक्सर हो ही जाता लेकिन निशा को उसका ये बर्ताव बिल्कुल पसंद नहीं आता था जिससे वो वैभव को कुछ बोलती नहीं थी लेकिन मन ही मन उसे खोने के डर से डरती जरूर थी क्योंकि लॉन्ग डिस्टेंस वाले रिलेशन मे ऐसा चांस ज्यादा होता है।

यही कारण था निशा की उदासी का । पिछले दो महीने से निशा वैभव से बात नहीं कर रही थी क्योंकि वैभव के ऐसे बर्ताव से उसे बहुत बुरा लगता इसलिए उसने खुद को उससे दूर करना ही सही समझा। लेकिन प्यार खुद को दूर करने से ख़तम नहीं होता वही सब मे निशा उलझ सी गई थी ! मन और दिमाग की कशमकश में ! निशा अपने ही सोच विचार की दुनिया में खोई हुई थी तभी डोर बेल की आवाज कानों में पड़ती है ।

निशा दरवाजा खोलती है उसे अपनी आंखो पर विश्वास नहीं हो रहा था " मैडम कुरियर है आपका ! सामने वैभव था और कुरियर में मै भेजा गया हूं आपके लिए, वैभव ने कहा !

निशा, कुछ सोचे समझे बिना तुम यहां वैभव ?

वैभव, " हा मेरी प्रिंसेस मै यहां",!

लेकिन तुम यहां कैसे? निशा पूछती है!

वैभव,"वो ऐसे की आप तो मेरे कॉल, मैसेज का जवाब नहीं दे रही है तो क्या करता मुझे तो मेरे वेलेंटाइन के पास आना ही था ना !

वेलेंटाइन ! निशा ! ओह ये सब का कोई फायदा नहीं वैभव हम दोनों एक दूसरे से अलग है इसलिए अपना वेलेंटाइन तुम किसी ओर के साथ सेलिब्रेट करो । और इससे पहले ममी आए तुम यहां से जा सकते हो ।

पीछे से सुषमा जी , नहीं वैभव बेटा तुम रुको ओर निशा वैभव मुझ से मिलना चाहता था । मां आप ?? वैभव को आपने बुलाया है । नहीं ! निशा मैने उसे नहीं बुलाया वो खुद आया है । वैभव का मुझे कॉल आया था दो दिन पहले और उसने मुझे सब कुछ बता दिया तुम दोनो के बारे में और मैने तेरे पापा से भी बात कर ली है हमे कोई ऐतराज नहीं है ।

लेकिन मां , "निशा "!!!!!

वैभव तुम दोनों बात करो मै चाय बनाकर लाती हूं , सुषमा जी !

वैभव घुटनों पर बैठकर ," निशा विल यू मैरी मि" !!!!!

जानती हो निशा ,"मै जानता हूं कि मै तुम्हारे लायक नहीं लेकिन जो भी हूं जैसा भी हूं सिर्फ तुम्हारा हूं", ।

मानता हूं, "मै थोड़ा केयरलेस हूं लेकिन तुम से प्यार बहुत करता हूं तो क्या मेरी ये कमी तुम भूलकर मेरे प्यार को एक्सेप्ट नहीं कर सकती?"

मानता हूं कि "मुझ में बहुत सी कमियां थी लेकिन तुम्हारे प्यार ने मुझे बिल्कुल बदल दिया है ! तुम जैसे चाहती हो मै मेरी कमियो को दूर करूंगा लेकिन तुम यू दूर जाने के बारे में सोचना छोड़ दो क्योंकि मै तुम्हे कभी खुद से दूर होने ही नहीं दूंगा", ।

निशा की आंख से आंसू बहे जा रहे थे ! वैभव निशा के आंसू साफ करते हुए निशा क्या तुम ये आंसू मुझे वेलेंटाइन का गिफ्ट दोगी ??

देना ही है तो अपना जीवन भर का साथ दे दो । निशा वैभव के गले लग जाती है हा वैभव ये वेलेंटाइन तो मेरी जिंदगी का बेस्ट वैलंटाइंस डे है जिसे मै कभी नहीं भूल सकती ।

दोस्तो मेरी ये कहानी पढ़कर अपनी प्रितिक्रिया देना ना भूले।


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