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Chhavi Gautam

Comedy Romance

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Chhavi Gautam

Comedy Romance

हम दोनो दो प्रेमी

हम दोनो दो प्रेमी

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" कुछ कुछ होता है अंजली तुम नहीं समझोगी " जब से अंजली ने ये फिल्म देखी थी ये नाम भी उसकी पसंदीदा फिल्मों में जुड़ चुका था आखिर जुड़ता भी क्यों नहीं फिल्म की मैन हीरोइन काजोल और रानी मुकर्जी का नाम अजली जो था जिसको देख अब अंजली दिन रात फिल्मी दुनिया में ही जीती, उम्र के उस पड़ाव पर पहुंचने पर हर नवयुवक युवती खयाली पुलाव पकाते ही रहते है ।

जब भी घर में मां से डांट पड़ती और अंजली गुस्से में अगर मुंह बना जाती तो उसकी दादी ही उसका पक्ष ले उसे बचाती और फिर उसे अकेले में अपनी मां की बात मानने के लिए समझाती भी, तो अंजली की जुबान पर भी बस यही सेंटीमैंटल डायलॉग हुआ करता था "तुम नहीं समझोगी दादी कुछ कुछ होता है"।

अंजली का फिल्मी भूत तो घर में किसी से छुपा नहींं था सब जानते थे की जो भी फिल्म देखती है कुछ दिन उसी के कैरेक्टर में अंजली खुद जीती है । इसलिए दादी भी समझ गई की ये कुछ कुछ होता है की काजोल का असर कुछ दिन तो चलने ही वाला है ।

मां! "मुझे कुछ कुछ होता है में, काजोल जैसे बाल कटवाना है और वैसा ही हेयरबैंड भी मुझे चाहिए" !

नंदू अपनी मां सुषमा से पिछले कई दिनों से जिद किए जा रही थी ! मां भी बहुत दिन से नंदू की बात को कानो पर टाल बिना कोई जवाब दिए अपने काम में लग जाती ।

आज सुषमा जी ने नंदू को अपनी भाषा में सही से समझा ही दिया " सुन पागल लड़की क्या करना है काजोल से बाल कटवा कर , काजोल से बाल कटवा काजोल तो नहीं बन जायेगी",।

वैसे भी उसको तो पैसे मिलते है ये सब करने से तुझे क्या मिलेगा , इतने लंबे बाल है लेकिन फैशन के कारण पागल हुए जा रही है किसको दिखाना है बाल कटवा कर,दोनो बहने फिल्मी हीरोइन के पीछे पागल है बड़ी बहन काजोल बनी घूम रही है और दूसरी को काजोल जैसे बाल कटवाना है । पता नहीं कब मेरी दोनो लड़कियों के सर से ये फिल्मी भूत उतरेगा।

बाप पूरा दिन मेहनत करता है की बच्चे कामयाब बने लेकिन यहां तो मेरी लड़किया काजोल बनी घूम रही है ।

नंदू का मुंह खुलने से पहले ही बंद हो गया। मां से डरती जो थी सुषमा जी भी जब तक चुप रहती तो ठीक और जब गुस्सा आता तो तीनो बच्चे मां के डर से एक कोने में चुप ही बैठे मिलते।

तीनो बच्चे अपना अपना मुंह लटकाए एक कोने में बैठे थे नंदू के चक्कर में बेचारे अंजली और डुग्गू भी मां की डांट का शिकार हो चुके थे । तभी पापा ( राजेश जी )की साइकिल की घंटी और उनकी पुकार सुन तीनों के चेहरे पर मुस्कुराहट फिर से लौट आई और डुग्गू ने छलांग लगा सैकेंड में पहुंच ,

" हां जी पापा जी, नमस्ते पापा जी बोल सबसे पहले क्रेडिट ले लिया",।

"ये लो!! आज जलेबी लाया हूं तुम सब के लिए, मैने सोचा बारिश का मौसम है तो गर्मागर्म जलेबी बारिश का मजा दुगना कर देंगी ।और सावन का मौसम शुरू हो गया है तो शुरुवात मीठे से होनी चाहिए और फिर डुग्गू को तो जलेबी बहुत पसंद भी है ।

"तभी नंदू मुंह बनाते हुए,लेकिन मुझे तो जलेबी नहीं गुलाबजामुन पसंद है पापा जी फिर आप मेरी पसंद की चीज क्यों नहीं लेकर आए", ।

"अरे सावन शुरू हो गया है अंजली नंदू सावन के सोमवार का व्रत रख लेना बेटा इस बार फिर देखना शिवजी की कृपा से शिवजी जैसा वर प्राप्त होगा भोला भंडारी", दादी ने भी मौके पर चौका मरते हुए कहा ।

तभी बारिश की तेज बूंदे जमीन पर गिरती है और मिट्टी की सौंधी खुशबू से नंदू का गुस्से से फूला हुआ मुंह भी बसंती ब्यार के जैसे खिल जाता है और दोनो बहने छत की ओर तेजी से भागती है और बारिश में भीगते अपने दोनो हाथो को फैला बारिश का आनंद ले ही रही थी की नंदू की नज़र अपने घर से कुछ दूर बने घर वाली छत पर खड़े लडके पर पड़ती है जोकि लगातार अंजली को ही निहार रहा था और अंजली भी चोरी चोरी नजरो से उसे बीच बीच में देख लेती जिसकी भनक नंदू को लग चुकी थी, तभी नंदू अंजली को छेड़ते हुए ",जानती हो दीदी लोग सच ही कहते है",।

क्या सच कहते है नंदू ? कौन से सच का पता लगा लिया आज तूने, "अंजली ने पूछा",।

"यही की इश्क और मुस्क छुपाएं नहीं छुपते"!

"जब कोई प्रेमी युगल प्रेम में होता है तो उसे दुनिया के सभी लोग अंधे नजर आते है उन्हे लगता है की भीड़ में भी उन्हें कोई नहीं देख रहा है जबकि वो खुद प्रेम में अंधे होते है। जैसे की आप ", नंदू ये कहकर वहां से भाग जाती है।

नीचे आने के बाद अंजली नंदू से कुछ पूछती तो मां के डर से चुप रहना ही मुनासिफ समझ अपने अपने काम में लग जाती है ।

अगले दिन कॉलेज जाते समय नंदू जब स्टॉप पर पहुंची तो वो छत वाला लड़का उसे फिर से नजर आता है । उस दिन के बाद से ये रोज का ही हो गया था की वो कही ना कही रास्ते में उससे टकरा ही जाता ।

कॉलेज जाते हुए एक दिन नंदू देखती है की वो लड़का और अंजली दोनो साथ साथ थोड़ी गैप पर खड़े बस का इंतजार में ऑलरेडी चार बस छोड़ चुके थे ना जाने इन दोनो को किस चीज का इंतजार था तभी अंजली ये देख उनके बीच में खड़ी हो जाती है और धीरे से कहती है।

"जब आप दोनो को जाना हो मुझे टाइम बता दो मै आप दोनो को बस की काउंटिंग कर के बता दूंगी की आप दोनो कितनी बसे छोड़ चुके हो और ये भी याद दिला दूं की कही पहुंचने के लिए पहले कही से निकलना भी पड़ता है", तभी अंजली नंदू की तरफ देख हड़बड़ा जाती है। और इधर उधर की बाते बनाना शुरू कर देती है।

ना जाने क्या था उस लड़के की नजर में ऐसा की अंजली जैसे चंचल स्वभाव की लड़की शर्म से पानी होती नजर आ रही थी।

अंजली अपने मौहल्ले की शान के रूप में जानी जाती थी उसका चंचल स्वभाव हर किसी को अपना बना लेता।

अपनी बहन की हरकत पर नंदू को हंसी आ जाती है और नंदू अंजली से उस लड़के के बारे में पूछती है अंजली पहले तो बात को टालने की कोशिश करती है लेकिन नंदू भी तो अंजली की बहन थी जो ठान लेती उसके बाद तो फिर बात की तय तक ही जाती।

अंजली नंदू को बताती है की वो उसके ही कॉलेज में उसका सीनियर है इसी साल उसने पासआउट कर कॉलेज कंपलीट किया है और कॉलेज से ही उसका प्लेसमेंट, सिलेक्शन बैंगलोर की किसी कंपनी में हो गया है जिसके लिए उसे दो हफ्ते बाद वहां के लिए निकलना है।

वाह दीदी!!!! "ये तो बहुत अच्छी बात है तो फिर आगे का क्या प्लान है तुम दोनो का", नंदू ने सवाल किया।

"प्लान तो कुछ नहीं फिलहाल कॉलेज के बाद मैं उससे मिलुगी", अंजली बताती है।

ठीक है तो दीदी मैं भी साथ चलूंगी आपके।

दोनो बहने कॉलेज के बाद निश्चित तय स्थान पर पहुंच जाती है जहां राहुल पहले से ही अंजली का इंतजार कर रहा था।

हाय ! मै राहुल नाम तो सुना ही होगा बोलकर राहुल और नंदू हंस जाते है ।

अरे वाह! क्या कॉम्बिनेशन है मेरी बहन अंजली और तुम राहुल .. लगता है कुछ कुछ होता है फिल्म मेरी बहन ने आपके साथ ही देखी है तभी मैं और दादी सोच रहे थे की मेरी बहन के सर से ये फिल्म की खुमारी उतर क्यों नहीं रही है अब समझ आया",नंदू ने दोनो को छेड़ते हुए कहा",।

तीनो बैठ कर मिलते है बातो के सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए, बातो बातो में नंदू फिर से ये सवाल कर देती है की अब आगे तुम दोनो का क्या प्लान है ।

राहुल तुरंत बोल पड़ता है शादी करना है और क्या ? ये बोल राहुल चुप हो नंदू और अंजली की तरफ देखता है जो पहले से ही उसके जवाब को सुन उसे देख रही थी ।

राहुल,"अरे वो एक्चुअली मेरा मतलब था की अच्छी जॉब तो हो ही गई है अंजली जैसी लड़की जो मुझे बेहद पसंद है वो भी मुझे मिल गई है तो अगर अंजली तैयार हो तो क्यों ना इस रिश्ते को शादी के अंजाम तक पहुंचाया जाए। अगर अंजली की हां हो तो मैं अपने मम्मी पापा को रिश्ते की बात करने के लिए आपके घर भेजता हूं",।

अंजली तो राहुल के सामने कुछ बोल ही नहींं पा रही थी लेकिन बाते सब उसके मन मुताबिक ही हो रही थी और नंदू भी अपनी बहन का मन पहले ही दिन पढ़ चुकी थी ।

इसलिए नंदू ने राहुल की बात का जवाब देते हुए कहा

"क्या बात कर रहे हो राहुल, लड़की यहां तुम्हारे सामने बैठे हुए लगातार शर्माए जा रही है तुम फिर भी संकोच कर रहे हो हम दोनो बहनों की तरफ से तो हां है बाकी रिश्ते के लिए तो हमारे घर में हमे सिर्फ एक इंसान को कॉन्वेंस करना पड़ेगा बाकी सदस्यो को तो वो खुद पर खुद मना लेगा। वो है हमारी दादी ",।

"दादी ने सही कहा था जो लड़की सावन का व्रत रखती है उसे उसका मनपसंद वर मिलता है और मुझे तो लगता है दीदी तेरे सावन के सोमवार के व्रत में बड़ी शक्ति है तूने व्रत रखा और तेरा सोमनाथ तुझे मिलने की राह में लाइन लगाए खड़ा है", नंदू अंजली को छेड़ते हुए कहती है।

राहुल से दोनो बहने अलविदा कहती है और घर के लिए निकलती है ।

घर आने पर नंदू और अंजली दोनो अपनी दादी के गले लग जाती है और चेंज के बाद अंजली रसोई में मां का हाथ बटाने के लिए चली जाती है । शाम को पापा के आने पर दादी पापा को अपने पास बुलाती है और खाना खाते समय पापा मां से कहते है की कल वो छुट्टी पर है उन्हे और दादी को कही जाना है ।

अगले दिन दादी और पापा कही जाते है और वापस आने पर, सुषमा कल कुछ मेहमान घर पर आने वाले है तो जो भी समान मंगवाना हो तो उसकी लिस्ट तैयार कर दे ।

नंदू और अंजली तुम भी कॉलेज नहीं जाना कल अंजली को देखने के लिए वो लोग आ रहे है ।


ये सुन अंजली के चेहरे का रंग और भूख दोनो ही उड़ चुके थे, हाथ से निवाला तक नहीं तोड़ पा रही थी हाथ कांप रहे थे आंखो के आंसू बाहर निकलने को ही थे की जैसे तैसे उन्हें रोका और उठकर अपने कमरे में चली गई।

अंजली नंदू से रोते रोते अपने दिल का दुखड़ा रोती है की इतनी जल्दी ये सब होना था ये मेरी ही गलती है राहुल ने मुझे कब से कहा था घर पर बात करने के लिए लेकिन मैं डरती रही और टालती रही । लेकिन देख ना नंदू ये क्या हो गया है।

नंदू से अपनी बहन की ये हालत देखी तो नहीं जा रही थी लेकिन उसने भी अपने दिल पर पत्थर रख ही लिया था करती भी तो क्या, सब के कसमों के चक्कर में मजबूर जो थी ।

अंजली की तो रात की नींद और दिल का चैन उड़ चुका था।

अगले दिन सब अपने अपने कामों में व्यस्त थे लेकिन आज अंजली की फिल्मी काजोल कही नजर नहीं आ रही थी। अजली हिम्मत जुटा दादी के पास अपने मन की बात करने जाती तो है लेकिन कुछ बोल नहींं पाती । जो मां हमेशा सजने संवरने पर गुस्सा हुआ करती थी वो आज बार बार उसे अच्छे से तैयार होने की सलाह दे जाती और बड़े चाव के साथ घर के सारे काम करती नजर आ रही थी सब बहुत खुश नजर आ रहे थे बस एक अंजली के अलावा।

अंजली की भरी भरी आंखे जैसे अपनी मां और दादी के गले लग ये कहना चाहती हो " मेरा पहला प्यार अधूरा रह गया", । लेकिन उसकी आंखों की इस फीलिंग को महसूस करने के लिए आज किसी को फुर्सत नहीं थी या ये बोलो की उसकी दादी और बहन नंदू भी इसे देखकर भी अनदेखा कर रही थी ।

सुषमा अंजली को अच्छे से तैयार कर देना वो लोग आते ही होंगे,"दादी ने अपनी बहू से कहा",।

अंजली का दिल तो कही भाग जाने को कर रहा था बार बार मन करता की काश उसके पास पंख होते तो वो राहुल के पास पहुंच जाती। आज राहुल का फोन भी स्विच ऑफ है सुबह से । उसे ये खबर कैसे पहुचाऊं की उसकी अंजली किस दुविधा में फंसी हुई है । इसी उधेड़ बुन में अंजली को सुषमा जी तैयार कर लडके वालो की आवभगत में चली जाती है ।

अंजली को बुलाने नंदू को भेजा जाता है। अंजली के कदम तो जैसे एक जगह जाम हो गए थे वो जाना नहीं चाहती थी लेकिन पापा के वास्ते अंजली नजरे झुकाए वहां आती है

दोनो परिवार आमने सामने बाते करते है तभी लड़के की मां उठकर अंजली से पूछती है, "अंजली हम सभी को तो तुम बेहद पसंद हो बेटा लेकिन तुम्हारी पूरी जिंदगी का सवाल है इसलिए तुम्हारी राय जानना भी जरूरी है अगर तुम्हे मेरा बेटा राहुल पसंद है तो हम रिश्ते को आगे बढ़ाते है",।

अंजली जो अभी तक अपनी नजरे झुकाए ही बैठी थी राहुल का नाम सुनते ही उसने जैसे ही नजरे उठाई तो उसके होश ही उड़ गए, उसके चेहरे का नूर , मुस्कुराहट सब फिर से एक साथ लौट आया क्योंकि सामने कोई और नहींं राहुल था वही राहुल जिससे वो प्रेम करती थी ।

राहुल और नंदू, अंजली की तरफ देख इशारों में उसे सताने की और उससे ये सब छुपाने के लिए माफी मांगते है ।

राहुल की मां अंजली को शगुन के पैसे देते हुए रिश्ते की मंजूरी दे देती है। दोनो परिवार अपनी अपनी ओर से शगुन दे रिश्ता पक्का करते है और पंडित को बुला सगाई की तारीख पक्की हो जाती है ।

अंजली का मन अभी भी ये मानने को तैयार नहींं था की उसकी सगाई राहुल से इतनी आसानी से हो गई ये सब उसके लिए एक सपने जैसा ही था ।

मौका मिलते ही नंदू ने उसे सारी स्टोरी बता दी की कैसे उसने दादी को अंजली और राहुल के बारे में बात कर मना लिया था और दादी ने पापा से बात कर राहुल के घर देखने के लिए साथ चलने को कहा और फिर उनको रिश्ते के लिए घर पर बुला लिया।

लेकिन अंजली और राहुल के प्यार के बारे में सिर्फ दादी और नंदू ही जानते है । मम्मी पापा के लिए तो वो उनकी ही पसंद का लडका है क्योंकि राहुल में या उसके घर में रिश्ते को ना कहने जैसी कोई कमी नहींं थी । इसलिए सब कुछ इतनी आसानी से हो गया।

अंजली नंदू को गले लगते हुए धन्यवाद करती है । की उसने उसका मनपसंद जीवन साथी का साथ दिलवाने में उसकी मदद की ओर ये सिर्फ उसकी वजह से ही मुमकिन हो पाया ।

अरे दीदी, "अंजली और राहुल को तो मिलना ही था वरना पूरी पिक्चर अधूरी नहीं रह जाती है। वैसे भी ये तो तुम्हारे सावन के सोमवार का फल है इसे भला कोई तुम से कैसे छीन सकता था ।", नंदू ने अपनी बहन के आंसू साफ करते हुए कहा।

तय तारीख पर अंजली और राहुल की सगाई हो जाती है दो महीने बाद शादी की तारीख पक्की हो जाती है और। उसके बाद राहुल बैंगलोर चला जाता है अपनी जॉब ज्वॉइन करने के लिए । वहा पहुंचकर राहुल अंजली से फोन पर संपर्क बनाए रखता है। और दो महीने बाद दोनो की शादी कर राहुल और अंजली एक हो जाते है और अपने नए जीवन की शुरुआत साथ साथ शुरू करते हैं।


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