STORYMIRROR

sayali desai

Abstract

3.9  

sayali desai

Abstract

लॉकडाउन में जीवन सीख

लॉकडाउन में जीवन सीख

2 mins
291


“थप्पड़ से डर नहीं लगता साहब, लॉकडाउन से लगता है।”

कई लोगों के लिए लॉकडाउन केवल दो शब्द है, लेकिन कई लोगों के लिए लॉकडॉउन किसी खौफनाक सपने से कम नहीं है। ऐसा कहा जाता है जीवन में जो होता है, अच्छे के लिए होता है। लॉकडाउन में भी कुछ ऐसी घटनाएं हुई जो हमें बहुत बड़ा सबक दे गई। इस लॉकडाउन ने हमारे सामने बहुत सारी कठिनाईयों को लाकर खड़ा कर दिया है। कुछ समस्या हम तोड़ सकते हैं, लेकिन कुछ समस्या हमें तोड़ देती हे।

हमें पहली सीख ये मिली है कि हम सार्वजनिक परिवहनों का इस्तेमाल करके भी अपने कार्यालय जा सकते हैं। इससे प्रदूषण भी कम होगा और इंधन की बचत भी होगी। आसपास की हवा भी साफ रहेगी क्योंकि हम पर्यावरण की प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं। 

हमारे रोजमर्रा के जीवन में हम भारतीय संस्कृति को मानो भूल ही गए थे। हम नमस्ते, पैरी पोना, जैसे अभिवादन को बदलकर हाय, हेलो, हैंडशेक इत्यादि इस्तेमाल करने लगे थे। हमने हमारे पुरखों के सीख को मानो नजरअंदाज ही कर दिया था।उन्होंने हमें यह भी सीख दी है कि जैसा बोओगे वैसा पाओगे। कई सालों से हमने ना जाने कितने पक्षी पिंजरे में कैद कर रखे हैं और कितने पशु चिड़ियाघर में कैद कर रखे हे। सोचो हमें कुछ महीने घर में कैद रहना पड़

रहा है तो हमें घुटन सी महसूस हो रही है तो उन पशु पक्षियों की हालत क्या होती होगी जो इतने सालों से कैद हे?

इस लॉकडाउन में हमने हमारे घर का बनाया हुआ खाना ही खाया। इसका मतलब बाहर के खाने के बिना भी हम जीवित रह सकते हैं। बाहर का खाना मतलब बर्गर, पिज़्ज़ा इत्यादि। इस घर के खाने से हमारी सेहत भी अच्छी रहेगी और हम बीमार भी नहीं पडेंगे।

इस लॉकडाउन का फायदा यह भी हुआ कि लोगों ने कई तरह की नई कलाऐं भी सीखी जैसे चित्रकला, वाद्य बजाना, गाना, नृत्य, खाना बनाना इत्यादि। शायद इसीलिए बड़े बुजुर्ग कहते थे, “बुरी आदत छूटने के लिए, एक बड़ा झटका लगना जरूरी हे।”

बड़ा झटका लगने की प्रतीक्षा हम हमेशा क्यों करते हैं? अगर बड़ा झटका लगने से पहले हम सुधर जाए तो शायद जिंदगी रंगीन हो जाएगी। अगर वातावरण शुद्ध रखने के लिए हम पहले ही पेड़ पौधे लगा दे तो? सेहत का ध्यान रखने के लिए अगर हम पहले से ही घर का बना खाना खाए तो? मनुष्य तो केवल विकास के पीछे भागने में इतने व्यस्त हो गए हैं कि खुद का और प्रकृति का ध्यान रखना तो जैसे भूल ही गए हे।वास्तव में मनुष्य के लिए विकास क्या है?

अपार शक्ति की तलाश में बाकी सृष्टि को मारकर जीना या हर आत्मा को जीवन देना और उन्हें अपने साथ विकसित करना ....?


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract