"लॉकडाउन-20(आपबीती)"
"लॉकडाउन-20(आपबीती)"


न ये लॉक डाउन पीरियड खत्म होने का नाम ले रहा न मेरा बेड रेस्ट। पर सब कह रहे हैं भले के लिए है।
आज लॉक डाउन 3 मई तक के लिए आगे बढ़ गया। और मेरा बेड रेस्ट भी। दवा में कुछ बदलाव हुए हैं। प्रोगाबलिन बंद और वेर्टिन शुरू, फिलहाल दो दिन।
सर अब भी घूम रहा पर अब इन्टेन्सिटी बहुत कम । मायके से रोज बहन का फोन आ जाता है। आज चाचा जी का फोन आया था, वे भी इसी से पीड़ित रहे हैं। अच्छा लगा,उन्होंने समझाया कि डॉक्टर को फॉलो करो। । ससुराल से तो सब मम्मी जी से हाल चाल ले लेते हैं मेरा। इधर कल रुचि का फोन भी आया, हाल चाल पूछ रही थी । शुरू से मेरा हाल लेती रही है, मुझे लेकर पोसेसिव लगती है। में भी ऐसी ही हूँ कुछ, कोई मेरा है तो बस मेरा ही रहे चाहे कुछ हो जाय। पता नही ये समय कैसा है, पर इस बार कुछ दोस्त मेरे मन से बहुत दूर हो रहे और कुछ पास आ रहे। रुचि उनमे से ही है,उस से एक बार जबरदस्त गलतफहमी हुई थी पर वो मुझे मना ले गयी।और आज भी नवीन जी को ले कर चिंतित थी।बुरी नजर से बचे रहे ये दोस्ती।
आज मोदी जी ने कहा कि बुजुर्गों का विशेष ख्याल रखना चाहिए। बेटे जी एक्शन मोड में आ गए दादी को दूध वाले से दूध नही लेने दिया। बर्तन हाथ से जबरदस्ती ले लिया। दादी जी को ये बदतमीजी लगी, बहुत बुरा मान गयीं। अब वो भी मुह फुला कर बैठ गया है । मेरी हालत तो जैसे "मरते हुए को और मार दिया" जैसी हो गयी है।
आज दोपहर इनको देखा मन थोड़ा शांत हुआ। मुझको अपना ख्याल रखने को समझा रहे थे। मम्मी जी और वे बाते करते-करते हंस भी रहे थे । ये अपना आई कार्ड दिखा कर कह रहे थे कि अब सरकार ने सख्त कदम बोल दिया है, तो अब कस के बजेंगे जो भी नियम विरुद्ध जाएंगे इसलिए कार्ड भी लटकाना जरूरी है। तभी मम्मी जी ने शिकायत कर दी बेटे जी की ,की आज झगड़ा हुआ है। पर ये समझा रहे थे कि लोकडौन से सब के मन उद्विग्न हैं। सबकी दिनचर्या अस्तव्यस्त, बाधित हो गयी है।
बेटा फिर मेरे पैर दबाने आ गया है।कल रात भी बेचारा मेरा पैर दबाता रहा। डर लग रहा है, दो मिनट बैठ कर खाना खाना भी मुश्किल हो रहा।
मेरा पैर कमर दुखती ही जा रही है। करवट भी नहीं ले पा रही। कितना मुश्किल समय है मेरे परिवार और मेरे लिए।काश की इस वक्त मेरी मम्मी होतीं अब नहीं लिख पाऊंगी।