लॉक डाउन डे 17
लॉक डाउन डे 17


डियर डायरी,
लॉक डाउन ने लोगो को एक नए जीवनशैली से परिचय कराया है। हर कोई डर और ख़ौफ़ के माहौल में है। सब सोचते है कि घर पर रहे तो कोरोना से बच सकते है हा यह सही है लेकिन तमाम सावधानी और सुरक्षा रखने के बाद भी मन में नकारात्मकता प्रवेश कर ही जाती है। कल क्या होगा, ऐसा कब तक चलेगा, कोरोना मरीज़ो की संख्या बढ़ती ही जा रही है आदि सवाल हमारे मन में नकारात्मकता भर देते है।
लेकिन समय एक सा कभी नहीं रहता आज बुरा समय है तो कल अच्छा समय भी आयेगा इसलिए क्वारंटाइन को मजबूरी न समझते हुए मस्ती के साथ दिन गुजारने का सोचा है।
मुझे हमेशा यह अफसोस रहा है कि जीवन गुजर गया पर जिंदगी की भागदौड़ में कभी अपनों के साथ वक़्त नही गुजार पाई या कभी स्वयं को समय नहीं दे पाई हमेशा परिवार और जिम्मेदारियों में ही लगी रही। अब मुझे अपने परिवार के साथ पूरा पूरा दिन बिताने का मौका मिला है तो उसे नेगेटिविटी के रूप में व्यर्थ नहीं जाने देना चाहती। अपने बेटे को ज्यादा से ज्यादा समय देकर उसकी दोस्त बनने की कोशिश करती हूं। हर माँ बाप अपने बच्चे को लाड प्यार तो करते है लेकिन बच्चों के दोस्त नही बन पाते यही कारण होता है कि बच्चे छेड़खानी, बड़ती उम्र में होने वाले शारिरिक और मानसिक बदलावों की परेशानी आदि माता पिता से शेयर करने में हिचकिचाते है। पहले तो मेरे पास काम के बहाने थे लेकिन अब मेरे पास इतनी फुर्सत है कि बेटे के साथ बैठकर उसकी हर छोटी छोटी बात, रुचि आदि के बारे में जान सकूँ। कल अपने माता पिता और सास ससुर से फोन पर बात की उनकी परेशानी, तकलीफों, उनकी पसन्द के बारे में पूछा। मेरे बात करने मात्र से ही उन्हें बहुत खुशी हुई। इसलिये आने वाले दिनों में नेगेटिविटी को छोड़कर अपने बेटे और परिवार के साथ मौज मस्ती के साथ दिन गुजारने का निश्चय किया है।