लक्ष्य और जवाबदारियां
लक्ष्य और जवाबदारियां
आज जया के घर किटी पार्टी थी।कॉलोनी की सभी लड़कियां और सब उम्र की औरतें उसमें शामिल थी। तभी सुनीता ने थोड़ा परेशानी के साथ अंदर प्रवेश किया।बोलती है "मैं तो हार गई हूं यह क्या जिंदगी है। इतनी जवाबदारी है थोड़ी देर के लिए भी मेरे को शांति नहीं। समझ में नहीं आता क्या करूं। "
जया ने कहा "सुनीता तुम जल्दी से झल्ला जाती हो ,परेशान हो जाती हो।थोड़ा व्यवस्थित ढंग से काम करो तो समय भी बहुत मिलेगा, और काम भी होगा ।नहीं तो तुम कहीं जाती हो तो भी अपनी परेशानी के साथ ही जाती हो ,और आनंद नहीं उठा पाती हो। जैसे आज यहां सब अपन आनंद उठाने के लिए इकट्ठे हुए हैं ।किटी पार्टी होती इसीलिए है कि थोड़ा आपस में मौज मस्ती और आनंद किया जाजवाबदारी है तो रहने ही वाली हैथोड़ी देर तो शांति से सब कुछ भूलकर आनंद उठा लो।"
तो सब उसकी हां में हां मिलाने लगते हैं सब।सब लोग जया को बोलते हैं जैसा कि हमने ने पिछली बार तय करा था कि अपन खेलकूद खाने के बाद आधा घंटा कोई काम की बात करेंगे।तो चलो जया आज तुमने जिंदगी का जवाबदारी ओं का जिक्र छेड़ा है तो आज इसी टॉपिक पर बात कर लेते हैं। जया बोली पहले थोड़ा खेलकूद हो जाए, थोड़ा नाच गाना हो जाए ,पेट पूजा हो जाए फिर यह सब करते हैं।तब तक तुम सबका मन भी शांत हो जाएगा तो सुनने में भी मजा आएगा।सब जने इस बात को ताली बजाकर के मान लेते हैं।और पहले वह लोग काफी कुछ खेल खेलते हैं फिर खाना पीना होता है।
फिर सब उसको पकड़ कर बैठ जाते हैं कि नहीं अब तो तुम को इसके बारे में कुछ बताना ही पड़ेगा ।कि जवाबदारीयां और लक्ष्य तुम बहुत अच्छा समझाती हो। सब एक स्वर में बोलने लगते हैं तो वह सब कुछ चुप करती है। और बोलती है अब कोई बात नहीं करेगा ध्यान से सुनो। मैं क्या कह रही हूं सब ध्यान से उसकी बात सुनने लगते हैं। वह बोलती है
"जिंदगी है भगवान ने हमको इतनी अच्छी जिंदगी दी है, तो उसके साथ में जवाबदारी तो दी ही होंगी। उन जवाबदारीओ को आप बोझ मानो तो बोझ है नहीं तो नहीं।
हम जिंदगी में जो भी चाहते है ।वो हमेशा मिल ही जाये ये संभव नही है, हमें कोशिश करनी पङती है जिंदगी को अपनी पसदंगी से जीने के लिये सकारात्मक सोच ओर उसके लिये .की हुई कोशिश आपको कभी हारने नही देती है। कोशिश करने वाले की कभी हार नही होती।कुछ लोग बोलते है किस्मत मे नही था अरे भाई भाग्य के भरोसे बैठे रहोगे तो कुछ भी हाथ नही लगेगा। किस्मत तो बनानी पङती है ।उसके लिये मेहनत करनी पङती है।
अपना लक्ष्य तय करना पङता हैऔर हमेउसकीतरफअपना100%देना पङता है।अगर हमे अपने लक्ष्य की प्राप्तिके लिए अपनी जिन्दगी मै परिवर्तन लाना है,तो हमे लक्ष्य कीप्राप्ति के लिए जिन्दगीमें एक प्रतिशत परिवर्तन के लिये कुल16 घन्टे जागने के960 मिनट में से9•6मिनट यानी1प्रतिशत काम अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिये ज्यादा करें।फ़िर देखे कि लक्ष्यकी प्राप्ति कैसे आसानी से होती हैं। ओर इस सबके साथ हमे ईश्वर में आस्था व विश्वास भी रखना चाहिए।
जिंदगी में जवाबदारी का बोझ तो सबके ही होता है ।छोटे बच्चे के पढ़ने कीजवाबदारी ।थोड़े बड़े हुए अपने कैरियर की तरह जवाबदारी। उससे थोड़े बड़े हुए लड़की हुई तो उसको घर परिवार और पढ़ाई तीनों की जवाबदारी का बोझ होता है ।लड़का है उसके ऊपर कमा कर लाना ,घर को व्यवस्थित चलाना, सब की सुख सुविधा का ध्यान रखना, और सब परिवार के साथ मिलजुल कर रहना। यह सब जवाबदारी है ।इसी तरह स्त्रियों की जवाबदारी घर की तरफ काफी बढ़ जाती है। जवाबदारी का बोझ काफी बढ़ जाता है ,जब शादी होती है। सोचते हैं बच्चे आएंगे फिर फ्री हो जाएंगे ।बच्चे होते हैं उनको बड़े करने में सही परवरिश देना .उनको सही जीवनसाथी देना। उनकी शादियां ,उनके शादियों में बाद उनके डिलीवरीज में ।साथ में मां बाप हो उनको संभालने की जवाबदारी सारे बोझ तो होते ही हैं। बच्चों को अच्छा नागरिक बनाने की जवाबदारी तो, बूढ़े मां बाप को संभालने की जवाबदारी।हम अपनी जिंदगी में जवाबदारीयो की और से कभी भी भाग नहीं सकते।
मैं मेरा ही बताती हूं अभी एक तरह से देखो तो मुझे सब जवाबदारीओं से मुक्त हो जाना चाहिए अगर मैं आज भी पूरी जवाबदारीओं से बंधी हुई हूं 109 साल की सासु मां बीमार थे,17 साल से बिस्तर में थे अभी 6 जनवरी को उनका स्वर्गवास हुआ।उनकी जवाबदारी के साथ पूरे परिवार की जवाबदारी संभालते हुए हंसी खुशी से जिंदगी बिता रही हूं।अगर हम पॉजिटिव सोचे तो जवाबदारी बोझ नहीं लगती। और नेगेटिव सोचे तो हमेशा जवाबदारी से झुके रहते हैं। और पूरे दिन यही लगता है क्या करें। क्या करें। इतनी जवाबदारी आ गई है ,खत्म ही नहीं होती है। जबकि पॉजिटिव सोचे तो वह हल्की ही लगती है। जिंदगी है तो जवाबदारी तो रहेगी।
अभी लॉक लॉक डाउन के टाइम ने यह भी सिखा दिया है कि अपने सब काम खुद ही करने के हैं। कोई मेड सर्विस कोई नहीं मिलेगा ।तो इस समय माथे हाथ दे कर बैठ जाएंगे कि आप क्या करें ,तो क्या होगा ।उसकी जगह जवाबदारीयो को हम अच्छी तरह निभाएंगे मिल बांट कर तो ज्यादा अच्छा रहेगा।
इसी तरह हमारी जवाबदारीआ समाज की तरफ देश की तरफ और इंसानियत की तरफ भी होती है उनको भी अच्छी तरह निभाना चाहिए। इस सब के लिए सबसे जरूरी है आप अपना लक्ष्य तय करो और जिंदगी को अच्छी तरह से जियो बिना लक्ष्य की जिंदगी जिंदगी नहीं रह जाती ऐसा मेरा मानना है। क्यों सुनीता प्रमिला पम्मी रिमी मेरी बात पसंद आई तुमको।"
सभी एक स्वर में बोलते हैं तुमने हमको बहुत अच्छी तरह समझाया हम भी जिंदगी में बदलाव करने की कोशिश करेंगेऔर समय हो जाता है और सब सी खुशी बातें करते हुए अपने घर की ओर रवाना होते हैं अगली किटी पार्टी में मिलने का वादा करके।
